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26 फ़र॰ 2012

ईवीएम वाले कमरे में पानी, मशीनें खराब होने का अंदेशा

ईवीएम वाले कमरे को खोलने के निर्देश

लखनऊ/वाशिंगटन ।

चुनाव आयोग ने लखनऊ पॉलीटेक्निक के उस कमरे को प्रशासन और उम्मीदवारों की उपस्थिति में खोलने का निर्देश दिया है जिसमें ईवीएम मशीनें रखी थीं और उस कमरे में पानी रिसने की खबर आई थी.

आयोग ने निर्देश दिया है कि प्रशासन की उपस्थिति में इस कमरे को खोला जाए और उसका निरीक्षण किया जाए. साथ ही यह भी कहा है कि ये कमरा सरोजनी नगर और मोहनलालगंज विधान सभा सीटों के सभी उम्मीदवारों के सामने खोला जाए.

दिन में तीन बजे हुई बैठक के बाद ये फैसला लिया गया. अब रविवार शाम को स्ट्रांग रूम को खोला गया है। यह पता लगाया गया कि पानी रिसने से ईवीएम मशीनों को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.बाद में एक अधिकारी ने दावा किया कि ईवीएम को कई नुकसान नहीं पहुंचा है।

हंगामा

इससे पहले, खबर आई थी कि लखनऊ के पोलिटेक्निक कालेज की इमारत में छत से पानी लीक होकर अंदर स्ट्रॉन्ग रूम में चला गया है, जहाँ मतदान के बाद ईवीएम मशीनें रखी हुई हैं. इस खबर से राजनीतिक दलों में हडकंप मच गया.

मुख्य चुनाव अधिकारी उमेश सिन्हा ने फोन पर बीबीसी को बताया कि चुनाव आयोग के प्रेक्षक आज ई वी एम मशीनों का निरीक्षण करके देखेंगे कि कोई नुकसान तो नही हुआ है.

घटना के निरीक्षण के लिए निर्वाचन आयोग ने असीम खुराना और डॉ. अरविंदर सिंह को विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया था.

जिस कमरे से पानी बाहर बहता पाया गया है उसमे सरोजनी नगर विधान सभा क्षेत्र की मशीनें रखी हैं.

आयोग ने मशीनों के निरीक्षण के दौरान उम्मीदवारों को भी उपस्थित रहने की अनुमति दे दी है, हालांकि पहले जिला मजिस्ट्रेट ने इसके लिए मना कर दिया था.

शनिवार को करीब पांच बजे सुरक्षा बल सी आर पी एफ जवानों ने स्ट्रोंग रूम से पानी बहते देखा तो फ़ौरन जिला मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना दी.

निर्वाचन निदेशालय के अधिकारियों को आशंका है कि सरोजनीनगर क्षेत्र की कुछ मशीनें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट अनिल सागर ने पत्रकारों से कहा है कि मशीने सुरक्षित हैं.

जिला मजिस्ट्रेट मौके पर काफी देर से पहुंचे इसको लेकर राजनीतिक दलों में नाराजगी है.

जिला मजिस्ट्रेट ने उम्मीदवारों अथवा पत्रकारों को इमारत के अंदर नही जाने दिया, इस बात को लेकर भी रोष है.
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अमेरिका में भारतीय ईवीएम पर चर्चा

भारत में चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर उठे विवाद की आवाज़ अमेरिका तक पहुँच गई है.

यहाँ एक सभा में कंप्यूटर विशेषज्ञों ने भारत में इस्तेमाल होने वाली इस मशीन को दोषपूर्ण बताया.

लेकिन सभा के बाहर चर्चा थी कि मुंबई पुलिस के उस केस की जिसमें कुछ कंप्यूटर विशेषज्ञों के ख़िलाफ़ समन जारी किए गए हैं.

दरअसल मुंबई पुलिस ने एक इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के ग़ायब होने के बाद तीन विदेशी समेत कुछ कंप्यूटर विशेषज्ञों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की है. पुलिस उनसे पूछताछ करना चाहती है.
मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जे अलेक्स हल्दार्में ने कहा यह एक मज़ाक है.

उन्होंने कहा,"ये बेबुनियाद इल्ज़ाम है. यह केस बिल्कुल बेकार है. मशीन चोरी नहीं की गई थी. यह हमें एक व्यक्ति ने दी थी जो अपनी शिनाख्त गुप्त रखना चाहता था. उसने हमें इसलिए यह मशीन दी क्योंकि उसे मालूम था कि इसमें खोट है.''

हौलैंड के रोप गोंगोरिप और भारत के हरिप्रसाद से भी पुलिस पूछताछ करना चाहती है.

मशीन के साथ छेड़छाड़ संभव

इन सभी ने मई में एक मशीन हासिल की थी और यह साबित करने का दावा किया कि यह मशीन सुरक्षित नहीं है और इसके साथ छेड़छाड़ संभव है.
इस सभा में हिस्सा लेने आए चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी अलोक मिश्र ने कहा कि आयोग के दफ़्तर से ग़ायब होने वाली सरकारी संपत्ति चोरी ही समझी जाएगी.

उन्होंने कहा, "पुलिस ने उनसे जानकारी लेने की कोशिश की है उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है. उन्हें परेशान करने का सवाल नहीं."

नरसिम्हा राव उन लोगों में से एक हैं जो मशीन की सुरक्षा पर देश भर में एक बहस का सिलसिला शुरू करवाना चाहते हैं.

उनका कहना है कि इस मशीन के साथ हर डाले गए मत का दस्तावेज़ भी होना चाहिए

उन्होंने कहा, "इस मशीन में दिए गए मत को कागज़ में छापने की गुंजाइश है. इन मतों को कागज़ पर छापा जा सकता है. मेरे ख्याल में इस पर बहस होनी चाहिए लेकिन चुनाव आयोग इस पर कोई चर्चा करने को तैयार नहीं."

भारत में इस समय 13 लाख इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनें हैं.

कई वर्षों के प्रयास के बाद इसका पहली बार देश भर में इस्तेमाल वर्ष 2004 के आम चुनाव में किया गया था.


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भारत में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ संभव

अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे भारत में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को हैक किया जा सकता है.

एक उपकरण को इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के साथ जोड़ने के बाद मिशीगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक मोबाइल से संदेश भेजकर वोटिग मशीन के नतीजे बदल सकने में कामयाब रहे.

पर भारतीय चुनाव अधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन पूरी तरह से विश्वसनीय है और छेड़छाड़ के लिए मशीन को हासिल करना बहुत मुश्किल है.

उल्लेखनीय है कि भारत में हर आम चुनाव में लगभग 14 लाख वोटिंग मशीन का इस्तेमाल होता है.

हेराफेरी

मिशीगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इंटरनेट पर एक वीडियो लगाया है जिसमे एक उपकरण को भारत में इस्तेमाल होने वाली वोटिंग मशीन से जोड़ते हुए दिखाया गया है.
इस परियोजना की अगुवाई करने वाले जे एलेक्स हॉल्डरमैन ने कहा कि इस उपकरण की मदद से वो मोबाइल से संदेश भेजकर वोटिग मशीन के नतीजे बदल सके.

हॉल्डरमैन ने बीबीसी को बताया, "हमने एक ऐसा नकली डिस्प्ले बोर्ड बनाया जो कि असल डिस्प्ले जैसा दिखता था. लेकिन इसके नीचे हमने एक माइक्रोप्रोसेसर और ब्लूटूथ उपकरण लगाया. हमारा नकली डिस्प्ले बोर्ड वोट की कुल संख्या को पता कर उसके स्थान पर गलत संख्या को दर्शाता है यानी हेराफेरी करनेवाले लोग जो नतीजे चाहते है मशीन वही नतीजे दिखाती है."

इसके अलावा उन्होंने एक माइक्रोप्रोसेसर लगाया जिससे वो चुनाव और मतगणना के दौर के बीच वोटिंग मशीन मे रखे गए मतों की संख्या मे भी बदलाव कर सकते हैं.

भारत मे इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रोनिक वोटिग मशीन को विश्व में सबसे विश्वसनीय माना जाता है.

इस मशीन में किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं होता है जिसे बदला जा सके, बल्कि इस मशीन मे उम्मीदवारों की जानकारी और वोट की गिनती सीधे कम्प्यूटर चिप पर रखी जाती है.

सीलबंद मशीन

भारत के उपचुनाव आयुक्त आलोक शुक्ला कहते हैं कि छेड़छाड़ के लिए मशीन को हासिल करना बहुत मुश्किल है.

आलोक शुक्ला ने बताया, " ये सिर्फ़ एक मशीन नहीं है बल्कि एक पूरा प्रशासनिक सुरक्षा तंत्र है जिसका हम इस्तेमाल करते है. इस सुरक्षा तंत्र में किसी के लिए भी मशीन के खोल पाना असंभव है. चुनाव से पहले उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों के सामने इस मशीन को लगाया जाता है. इन लोगों को मशीन पर सील लगाने की छूट होती है और कोई भी सील खोले बिना मशीन को नहीं खोल सकता है. "

शोधकर्ताओं का कहना है कि कागज और मोम की सील के साथ आसानी से छेड़छाड़ की जा सकती है.

हालांकि इस चिप की मदद से पूरे तंत्र को प्रभावित करने के लिए इन्हें बड़ी संख्या में लगाना होगा जो आसान नहीं है, खासकर भारत के जैसे आम चुनाव में.

उल्लेखनीय है कि 2009 के लोक सभा चुनावों में 1,368,430 इलेक्ट्रोनिक वोटिग मशीन का इस्तेमाल किया गया था.

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