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Founder Editor(Print): late Shyam Rai Bhatnagar (journalist & freedom fighter) International Editor : M. Victoria Editor : Ashok Bhatnagar *
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31 जुल॰ 2012

राहुल गांधी को मंत्री बनाने की तैयारी

प्रधानमंत्री की कुर्सी की तरफ राहुल गांधी का पहला कदम अब उठने ही वाला है. कांग्रेस के आला सूत्रों से पता चला है कि मनमोहन मंत्रिमंडल में जल्द ही बड़ा फेरबदल होने वाला है. सबसे बड़ी बात तो ये होगी कि पहली बार राहुल गांधी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा.
राहुल गांधीराहुल गांधी के अलावा भी इस मंत्रिमंडल में कई दूसरे बदलाव भी होंगे. खबर है कि सुशील कुमार शिंदे को गृह मंत्रालय का जिम्मा मिल सकता है और पी चिदंबरम को वित्त मंत्रालय वापस मिल जाएगा. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक, मानसून सत्र से पहले 26 जुलाई से 7 अगस्त के बीच ये सारे बड़े बदलाव कर लिए जाएंगे.
कैबिनेट के लिए राहुल का रास्ता साफ है और इस नए रोल के बारे में उन्होंने कह भी दिया. लगातार जिम्मेदारियों के बारे में उठ रहे सवालों को लेकर राहुल गांधी ने गुरुवार को ये साफ-साफ कह दिया कि वो कोई भी बड़ी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं. लेकिन उनका रोल क्या होगा, ये प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी को तय करना है. फैसला हो चुका है, बस अब उसपर अमल होना है.
हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी का कहना है कि सोनिया गांधी के बाद पार्टी में राहुल गांधी ही तो हैं. राहुल ने जो कहा है वो बुधवार को सोनिया गांधी की बात का जवाब भर है. केंद्रीय मंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेस के फारुख अब्दुल्ला मानते हैं की युवाओं को आगे आना चाहिए. राहुल को बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है तो ये काफी अच्छी बात है.

सुशील कुमार शिंदे बने गृह मंत्री, पी चिदंबरम होंगे वित्त मंत्री




सुशील कुमार शिंदे यूपीए सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल किए गए है. सुशील कुमार शिंदे देश के नए गृहमंत्री होंगे. वहीं पी चिदंबरम एक बार फिर वित्त मंत्रालय का प्रभार संभालेंगे. वहीं वीरप्पा मोइली ऊर्जा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे.
मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए पीएमओ की ओर से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को चिट्ठी भेज दी गई है.

दो तिथियों में मनेगा रक्षाबंधन

भाई-बहन के पवित्र प्रेम का पर्व रक्षाबंधन इस बार दो तिथियों में मनाया जाएगा। पर्व की शुरूआत में श्रावण की पूर्णिमा होगी और समापन पर भाद्रपद की एकम। इस बार भद्रा नहीं होने से राहुकाल को छोड़कर रात दस बजे तक राखी बांधी जा सकेगी। ज्योतिषाचार्य पं. पुरूषोत्तम गौड़ ने बताया कि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को रक्षा बंधन मनाया जाता है। दो अगस्त को सवेरे 8.58 बजे तक ही पूर्णिमा है।
इसके बाद भाद्रपद की एकम तिथि आ जाएगाी। लेकिन उदियात में पूर्णिमा तिथि होने से दिनभर पूर्णिमा तिथि ही मानी जाएगाी। इसलिए रक्षाबंधन का मुहूर्त दिनभर रहेगा। लेकिन जो श्रावणी पूर्णिमा को ही रक्षाबंधन मनाना चाहतेे हैं उन्हें सवेरे 9.00 बजे तक राखी बांधनी-बंधवानी होगी। पं. पुरूषोत्तम गौड़ के अनुसार सूर्योदय से लेकर सवेरे सात बजकर पैंतीस मिनट तक शुभ का चौघडिय़ा है।
10.35 से 1.30 बजे तक चर लाभ का चौघडिय़ा है। दोनों ही शुभ मुहूर्त हैं। राहुकाल का समय दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक हैं। इसमें रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए। शाम को 5.31 से रात 10 बजे तक भी शुभ मुहूर्त है। वेद वेदांग अनुशीलन संस्थान के अधिष्ठाता आचार्य दुर्गादत्त शिवदत्त शास्त्री के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाने वाले सवेरे नौ बजे तक रक्षाबंधन बनाए। हालांकि इसके बाद भी शुभ मुहूर्त है। शाम 5.31 से 7.10 तक शुभवेला है।
इससे पूर्व दोपहर 12 बजे से राहुकाल शुरु होने तक भी राखी बंधवाई जा सकेगी। रक्षाबंधन के दिन ही श्रावणी उपाकर्म मनाया जाएगा। यज्ञोपवीत धारी लोग भस्म, मिट्टी, दूध, दही, घी, शहद, गौमूत्र, गोबर, हल्दी, डाब से स्नान करेंर्गे। इसे दसविध स्नान कहा जाता है। ज्योतिर्विद पुष्पा तिवाड़ी के अनुसार दसविध स्नान करने से सभी पाप कर्मो का नाश हो जाता है।

57 लाख ऑफिसों में भटकने को मजबूर

कल से राजस्थान में लागू होगा सुनवाई का अधिकार अधिनियम
राज्य में कल से लागू हो रहे राजस्थान राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम से पूर्व ही राज्य में लोगों की पीड़ाओं की पोल खुल गई है। राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम के लागू होने के कुछ माह बाद ही राज्य में 57 लाख से अधिक प्रकरण सरकारी कार्यालयों में दर्ज हो चुके हैं। इसी अधिनियम की पूरकता के रूप में सरकार कल से प्रदेश में राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम लागू कर रही है।
राज्य सरकार ने पहले राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम-2011 लागू कर 18 विभागों की 153 सेवाओं को सम्मिलित किया था ताकि आम आदमी को अपने कार्यों के लिए भटकना नहीं पड़े। एक निश्चित समय सीमा में कार्य हो। काम नहीं होने की स्थिति में उसे यह हक मिले कि वह दोषी के विरूद्घ अपनी परिवेदना दे सके। इसके लिए कानून में निश्चित समय सीमा में काम न करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर दण्ड का प्रावधान किया गया था। कानून के लागू होने के बाद 31 मई तक प्रदेश में 57 लाख से अधिक प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं। प्रकरणों की संख्या से स्पष्ट है कि राज्य में आम व्यक्ति अपने काम करवाने के लिए किस कदर सरकारी कार्यालयों में चक्कर लगा रहा है।
लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम के तहत पहले 18 विभागों की 153 सेवाएं शामिल की गई थी। नियम, कानून एवं प्रक्रिया की वजह से सभी विभागों की सेवाएं सम्मिलित नहीं की गई थी। अब राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम में सभी विभागों की सेवाओं को इसमें शामिल किया गया है। इस अधिनियम से पूरे राज्य में अब आम आदमी को उसके निवास के पास ही राहत सुनिश्चित की जा सकेगी।
इस व्यवस्था से श्रम, समय एवं धन की बचत होगी। तहसील, जिला एवं राज्य स्तर पर आने वाली परिवेदनाओं की संख्या में भी कमी आएगी। राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम में लोक सेवा गारन्टी कानून में सम्मिलित सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार की शासकीय सेवाएं, कार्य तथा राज्य की कल्याणकारी योजनाएं एवं कार्यक्रमों को शामिल कर इनसे होने वाले असंतोष एवं शिकायत पर निर्धारित समय सीमा में सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
कानून में ऐसी व्यवस्था की गई है कि शिकायतकर्ता को उसके निवास के निकटतम स्थान यथा ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला स्तर पर सुनवाई का अवसर उपलब्ध हो । इसके लिए ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला एवं संभाग स्तर पर सुनवाई अधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी नियुक्त किए गए हैं। शिकायतों पर निर्धारित समय अवधि में सुनवाई कर परिवाद पर लिए गए निर्णय की जानकारी परिवादी को देने की कानूनी बाध्यता इस अधिनियम में लागू की गई है। इससे आम जनता को उसके अभाव अभियोगों में राहत प्राप्त करने के लिए एक निश्चित प्लेट फार्म उपलब्ध करवाया जाएगा। उसकी समस्याओं, शिकायतों पर एक निश्चित समय सीमा में न केवल सुनवाई का अवसर दिया जाएगा बल्कि शिकायत पर की गई कार्यवाही के बारे में जानकारी प्राप्त करने का भी कानूनी अधिकार दिया जाएगा। अधिनियम के तहत शिकायत कर्ता को उसके निवास स्थान के निकटतम स्थान ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला एवं संभाग स्तर पर सुनवाई का अवसर प्रदान करने के लिए सुनवाई अधिकारी एवं अपीलीय प्राधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इससे 15 दिन की समय सीमा में परिवाद पर सुनवाई हो सकेगी।
नियमों में शिकायत के लिए आवेदन प्रपत्र का निर्धारण तथा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन प्राप्ति की रसीद देने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही परिवाद पर लिए गए निर्णय की सूचना परिवादी को देने के लिए 7 दिन की समय सीमा निर्धारित करने के साथ ही निर्णय सूचना निर्धारित प्रपत्र में देने की बाध्यता लागू की गई है। निर्धारित समय सीमा में सुनवाई नहीं होने या सुनवाई अधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट होने पर अपील का प्रावधान है तथा 21 दिवस में प्रथम अपील का निस्तारण आवश्यक होगा। इसके साथ ही उपखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित लोक शिकायत एवं सतर्कता समिति की उप समिति को द्वितीय अपील प्राधिकारी की शक्तियां दी गई हैं।
अधिनियम में नोटिस बोर्ड पर सूचनाओं के लिए प्रपत्र का निर्धारण करने के साथ ही दोषी अधिकारी एवं कर्मचारी पर शास्ति का प्रावधान किया गया है। अधिकारी एवं कर्मचारी शास्ति के विरूद्घ पुनरीक्षण याचिका दायर कर सकेंगे। अधिनियम के तहत आवेदन देने, सूचना लेने के लिए सूचना तकनीकी उपयोग के मार्ग दर्शन के लिए सूचना एवं सहायता केन्द्रों की स्थापना भी की जाएगी।

सुभाष पार्क में अवैध मस्जिद गिरवाए : हाई कोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग [एएसआइ] को लाल किले के पास सुभाष पार्क में अवैध रूप से बनाई गई मस्जिद को गिरवाने की अनुमति दे दी है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस संजय किशन कौल की खंडपीठ ने पुलिस को निर्देश दिया कि अदालत के आदेश के बावजूद अवैध मस्जिद का निर्माण करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे।
हाई कोर्ट ने नगर निगम से कहा है कि एएसआइ द्वारा 19 जुलाई को जारी किए गए नोटिस के अनुसार त्वरित कार्रवाई करे। इस नोटिस में एएसआइ ने निगम से अवैध मस्जिद को ढहाने के लिए कहा था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हमारे देश की धार्मिक व सास्कृतिक विभिन्नता को एकजुटता व भाईचारे का प्रतीक माना जाता है, न कि शाति भंग करने का। समाज के प्रबुद्ध लोगों का यह दायित्व है कि वे धर्म के दिखावे के नाम पर आम जनता की जान जोखिम में न जाने दें। इसके अतिरिक्त समाज के तीन अंगों विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका की यह ड्यूटी बनती है कि संविधान की मूल भावना को स्थापित रखा जाए।
हाई कोर्ट ने विभिन्न पक्षकारों की उस माग को ठुकरा दिया, जिसमें एएसआइ द्वारा की जा रही जाच की निगरानी के लिए एक रिटायर्ड जज नियुक्त करने की माग की गई थी। अदालत ने कहा कि एएसआइ एक विशेषज्ञ निकाय है। हाई कोर्ट इस मामले की निगरानी खुद करेगा। अदालत ने कहा कि विवादित स्थल पर किसी को भी कोई धार्मिक गतिविधि करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मामले में एएसआइ को 11 अक्टूबर को अपनी स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
क्या था मामला
सुभाष पार्क इलाके में मेट्रो ट्रैक खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिले थे। एक समुदाय विशेष ने इस पर अपना दावा ठोकते हुए यहां अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण शुरू करवा दिया था। हरकत में आई दिल्ली सरकार ने इस पर रोक लगा दी। फिर भी निर्माण कार्य जारी रहा। हिंदू संगठनों ने इसका विरोध जताया। कुछ दिनों पहले ढांचे को तोड़े जाने की अफवाह पर इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अनेक वाहनों में तोड़फोड़ व आगजनी की। इलाके में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात है।

मिलावटखोर सक्रिय,विभाग का समर्थन!

जयपुर, 31 जुलाई। बाजार में सजी-धजी दुकानों पर जो रंग-बिरंगे लड्डू, बर्फी, जलेबी, रसगुल्ला आदि मिठाइयां ललचा रही हैं दरअसल वे मीठे जहर से कम नहीं है।
राखी के त्योहार से पहले ही मिलावटखोरों ने त्योहार का रंग फीका करने के लिए जानलेवा रंगों को मिठाइयों में मिलाना शुरू कर दिया है। चिंता की बात है कि ऐसे मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने व समाज को इन रंगीन मिठाइयों से होने वाली बीमारियों से सुरक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग ने अब तक कोई तैयारी नहीं की है।
राखी के साथ त्योहारों का मौसम शुरू होने वाला है। इसके साथ ही बाजार में मिलावटी माल खपाने के लिए मिलावटखोर भी सक्रिय हो गए हैं। मिलावटखोर हर साल त्योहारों के मौकों पर मिलावटी माल बेचकर चांदी काटते हैं।
इसके बावजूद खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण विभाग की आंख नहीं खुलती। यही वजह है कि विभाग द्वारा मिलावट जांचने की कार्रवाई त्योहार के एक या दो दिन पहले ही शुरू की जाती है। मिठाई, खाद्य सामग्री के नमूने लिए जाते हैं।
जब तक जांच रिपोर्ट आती है, मिलावट प्रमाणित होती है बाजार में मिलावटी मिठाई बिक चुकी होती है। शहर में प्रतिदिन लगभग ढाई से तीन क्विंटल मिठाई की खपत होती है। त्योहारों के समय यह खपत बढ़कर 12 से 15 क्विंटल तक पहुंच जाती है। इसके बाद भी विभाग की कार्रवाई का आंकड़ा देखा जाए तो मात्र बीस से तीस नमूनों पर ही सीमित रह जाते हैं। विभागीय निष्क्रियता के कारण रिपोर्ट आने से पहले ही माल बाजार में खप गया। यह रंगीन मिठाइयां गंभीर बीमरियों के आगोश में धकेलने में जरा भी देर नहीं लगातीं। पीले रंग की मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
नारंगी-नीले मिलावटी रंगों से लीवर व किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। हरा रंग इतना घातक है कि अगर किसी खाद्य पदार्थ में यह रंग मिला हो और इसका सेवन किया जा रहा है तो फेफड़ों, लीवर, चमड़ी से जुड़े कैंसर होने का खतरा बन जाता है। वहीं लाल रंग मिले खाद्य पदार्थ से चमड़ी से जुड़ा संक्रमण रोग होने का खतरा रहता है। रक्षाबंधन के त्योहार पर मिठाई के शौकीनों को खरीदारी करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी राजधानी के कई इलाकों में सिंथेटिक दूध से बने सिंथेटिक मावे से तैयार की गई मिठाइयां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। घातक है मिलावट मिलावटी मिठाई में मिलाए जाने वाले कलर से कैंसर का खतरा हो सकता है। मिलावटी मिठाई के सेवन के लगभग एक घंटे बाद सीने में जलन, खट्टी डकार, उल्टी-दस्त की शिकायत भी हो जाती है। पीलिया होने के साथ ही एसजीपीडी बढ़ जाती है। ब्लड यूरिया, सीरम क्रियेटनिक बढ़ जाता है। यह लीवर और किडनी पर भी विपरीत असर डालता है। डॉ. शिवराज सिंह, मेडिसिन विशेषज्ञ

‘मोदी गान’: कांग्रेस ने दिए जांच के आदेश

नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए औपचारिक अभियान की शुरुआत भले ही नकी हो, लेकिन अनजाने ही उनका प्रचार शुरू हो गया है। शाहिद सिद्दीकी के साक्षात्कार के बाद कांग्रेस नेता विजय दरडा की ‘मोदी स्तुति’ ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है।
कांग्रेस ने जहां उक्त मामले की जांच का निर्देश दिया है, वहीं भाजपा ने आरोप लगाया कि वोटबैंक की राजनीति के तहत मोदी के खिलाफ ‘अस्पृश्यता’ का अभियान चलाया जा रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि गुजरात के प्रभारी मोहन प्रकाश इसकी जांच करेंगे। गौरतलब है कि दरडा ने अहमदाबाद के एक कार्यक्रम में मोदी की लगन और कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए उन्हें शेर बताया था।
दूसरी ओर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि मोदी के खिलाफ अस्पृश्यता बरती जा रहा है। कोई भी उनकी सच्ची प्रशंसा करता है तो उसे दंडित किया जाता है। यह वोट बैंक की गंदी राजनीति है। उन्होंने याद दिलाया कि पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी आगाह किया गया था। अब शाहिद सिद्दीकी के बाद दरडा का नंबर है। रविशंकर ने कहा कि आंकड़े मोदी की प्रशासन क्षमता के गवाह हैं। लेकिन कांग्रेस या दूसरे दलों को यह सच्चाई भी गले नहीं उतरती है।
माना जा रहा है कि पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखते हुए कांग्रेस दरडा के मामले को बहुत तूल देने के पक्ष में नहीं है। दरअसल उसे यह एहसास हो गया है कि मोदी की बहुत तीखी आलोचना से कांग्रेस का राजनीतिक हित नहीं होता है।

गहलोत की मुश्‍किलें बढी

  • गोपालगढ़ दंगे का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर
  • अपने ही गहलोत को घेरने में जुटे
  • राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की मांग 
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। पार्टी के असंतुष्ट तो कांग्रेस हाईकमान के सामने गहलोत को घेरने में जुटे ही हैं, पार्टी के पारम्परिक वोटर के रूप में पहचाने जाने वाला मुस्लिम समुदाय भी गहलोत से नाराज है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने तो गहलोत की तुलना गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी से करते हुए राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की मांग की है।
एक साल पहले भरतपुर के गोपालगढ़ में हुए दंगे का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अजमेर दौरा तब रद्द हो गया जब सरकार तक मुस्लिम संगठनों की नाराजगी की खबर पहुंची और ये कथित नाराजगी भी किसी ख़ुफ़िया एजेंसी के सूत्रों के जरिये नहीं बाकायदा अजमेर में लगाये गये पर्चों के जरिये पहुंची। पर्चों में गहलोत को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह मुस्लिम विरोधी ठहराने की कोशिश की गयी है।
वहीं मुस्लिम संप्रदाय में ही कई ऐसे नेता भी हैं जो गहलोत के दौरे के रद्द होने के पीछे इन आरोपों को वजह नहीं मान रहे।
पर्चेबाजी से पहले ही एकजुट मुस्लिम नेताओं ने गहलोत की घेराबंदी ऐसे समय में शुरू की है जब कांग्रेस के ही कई विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ लामबंदी कर आलाकमान तक शिकायत दर्ज करा रहे हैं। जाहिर है विरोध बढ़ा तो गहलोत की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।


 

30 जुल॰ 2012

सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2012 का परि‍णाम घोषि‍त

दिनांक 20.05.2012 को आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2012 के परिणाम के आधार पर, निम्नलिखित अनुक्रमांक वाले उम्मीदवारों ने सिविल सेवा प्रधान परीक्षा, 2012 में प्रवेश के लिए अर्हता प्राप्त कर ली है ।

इन उम्मीदवारों की उम्मीदवारी अनंतिम है । परीक्षा की नियमावली के अनुसार, इन सभी उम्मीदवारों को एक विस्तृत आवेदन प्रपत्र डीएफ में पुनः आवेदन करना है, जो संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट http://www.upsc.gov.in पर उपलब्ध होगा । सभी अर्हक उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे दिनांक 05.10.2012 से आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा प्रधान, परीक्षा, 2012 में प्रवेश हेतु डीएफ को भरकर उसे ऑनलाइन जमा कर दें । डीएफ, आयोग की वेबसाइट पर दिनांक पहली अगस्त, 2012 से 21.08.2012 तक रात्रि 11.59 बजे तक उपलब्ध रहेगा । डीएफ भरने और उसे आयोग में ऑनलाइन जमा करने संबंधी महत्वपूर्ण अनुदेश भी वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे । सफल घोषित किए गए उम्मीदवारों को ऑनलाइन विस्तृत आवेदन प्रपत्र भरने से पहले, वेबसाइट के संगत पृष्ठ पर अपने को पंजीकृत करना होगा । अर्हक उम्मीदवारों को कार्मिक एवं प्रशि‍क्षण विभाग की दिनांक 04.02.2012 की अधिसूचना के तहत भारत के राजपत्र असाधारण में प्रकाशि‍त सिविल सेवा परीक्षा, 2012 की नियमावली का अवलोकन करने का परामर्श भी दिया जाता है, जो आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है ।



डीएफ विधिवत भरकर ऑनलाइन जमा करने के बाद, उम्मीदवारों से अपेक्षा की जाती है कि वे अंतिम रूप से प्रस्तुत किए गए डीएफ का अलग से एक प्रिंट ले लें और उम्मीदवारों द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित उस मुद्रित प्रति को सभी संगत दस्तावेजों सहित, जिनमें निर्धारित शुल्क, जहां लागू हो, शामिल है, अवर सचिव सि‍वि‍ल सेवा(प्रधान),ए संघ लोक सेवा आयोग, धौलपुर हाउस, शाहजहां रोड, नई दिल्ली-110069 को भेज दें, ताकि वह आयोग कार्यालय में दिनांक 27.08.2012 तक अवश्‍य पहुंच जाए । ऑनलाइन जमा किए गए डीएफ की मुद्रित प्रति वाले लिफाफे पर सि‍विल सेवा, प्रधान परीक्षा, 2012 हेतु आवेदन पत्र लिखा होना चाहिए । इसे संघ लोक सेवा आयोग काउंटर पर दस्ती रूप से भी दिनांक 27.08.2012 सायं 5.00 बजे तक जमा कराया जा सकता है । यह नोट कर लिया जाए कि आवेदन प्रपत्र जमा करने मात्र से प्रधान परीक्षा में प्रवेश के लिए स्वतः अधिकार नहीं मिल जाता । पात्र उम्मीदवारों को, प्रधान परीक्षा की समय-सारणी सहित प्रवेश प्रमाण पत्र, परीक्षा आरंभ होने से 2-3 सप्ताह पहले भेज दिया जाएगा । डीएफ जमा करने के बाद डाक पते में हुए परिवर्तन, यदि कोई हो, के बारे में आयोग को तुरन्त सूचित करें ।



संघ लोक सेवा आयोग का अपने परिसर में परीक्षा हॉल भवन के पास सुविधा केन्द्र है । उम्मीदवार उपर्युक्त परीक्षा के अपने परिणाम के बारे में कोई भी जानकारी/स्‍पष्टीकरण आयोग के सुविधा केंद्र से व्यक्तिगत रूप से अथवा दूरभाष संख्या 011-23385271, 011-23098543 या 011-23381125 पर सभी कार्य दिवसों में प्रातः 10.00 बजे से सायं 5.00 बजे के बीच प्राप्त कर सकते हैं । उम्मीदवार संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट http://www.upsc.gov.in पर भी अपने परिणाम से संबंधित सूचना प्राप्त कर सकते हैं । अनुक्रमांक 253465 का परिणाम रोक लिया गया है ।
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Sahara buys New York’s Plaza Hotel for $570 mn

Sahara Group has agreed to buy a controlling stake in New York’s landmark Plaza Hotel for $570 million, Elad Properties, an Israeli-owned real estate company, said on Monday.

The 105-year-old luxury hotel overlooking New York’s Central Park, is jointly owned by Elad Properties, an Israeli-owned real estate company, and Saudi-based Kingdom Holdings Co.

Elad, controlled by Israeli businessman Yitzhak Tshuva, said it would receive 1.6 billion shekels for its 60 percent stake, while Kingdom will receive the rest.


Kingdom, the investment vehicle of Saudi billionaire Prince Alwaleed bin Talal, will hold a 25 percent stake once the deal is completed, Elad said in a statement.

Elad said Fairmont Hotels & Resorts Inc, which has managed the hotel since 1999 and which is owned by the Saudi prince, will continue to operate the property.

Tshuva bought the hotel eight years ago for $675 million.

According to media reports, Elad had sold luxury apartments in the renovated hotel for $1.5 billion. The sale of the apartments alone netted Elad Group $500 million in profit.

प्रदेश के किसानों को ब्याजमुक्त ऋण

जयपुर। खराब मानसून की आशंका के मद्देनजर राजस्थान के 2.60 करोड़ किसानों को अप्रत्याशित मदद मिल रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की है, जिसके तहत राज्य के सभी किसान एक लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त ऋण पाने के हकदार होंगे।
इस योजना के लिए लगभग 1,800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन पहले ही किया जा चुका है।
अधिकारियों का कहना है कि यह योजना खराब मानसून के मद्देनजर राज्य के किसानों के हितों की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री द्वारा घोषित व्यापक आपात योजना का एक हिस्सा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना से खासतौर पर छोटे किसान लाभांवित होंगे और उन्हें साहूकारों के चंगुल से छुटकारा मिलेगा, जो ऊंची ब्याज दर पर ऋण देते हैं। इस धनराशि का उपयोग फसल उगाने के लिए जरूरी खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल खरीदने में किया जा सकेगा।
अधिकारी ने कहा कि इस योजना का सबसे आकर्षक व अनोखा पहलू यह है कि नियत समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को ब्याज नहीं देना होगा। इस तरह की योजना शायद देश में पहली बार लागू की जा रही है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 63 प्रतिशत कम और पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 35 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इसके परिणामस्वरूप राजस्थान में खरीफ की बुआई आधी ही हो पाई है।
योजना की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह ऋण खरीफ और रबी दोनों फसल मौसमों के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध होगा। राजस्थान में ऐसी 5,000 से अधिक सहकारी समितियां हैं और सभी को ऋण योजना से जोड़ा गया है।
वर्ष के प्रारम्भ में मुख्यमंत्री ने 8,000 करोड़ रुपये के सहकारी ऋणों को मंजूरी दी थी। इसे बढ़ाकर 9,431 करोड़ रुपये कर दिया, ताकि और ज्यादा किसानों को ब्याजमुक्त ऋण योजना का लाभ मिल सके।
एक अन्य फैसले में, मुख्यमंत्री ने प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों से भी 300 करोड़ रुपये के सहकारी फसल ऋण वितरित करने का निर्णय लिया है, ताकि धन की कोई कमी न रहे।
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यह अनुरोध भी किया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम योजना के तहत अनिवार्य कार्य दिवसों को कम बारिश होने सहित संकट काल में 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन कर दिया जाए।
गहलोत सरकार ने प्राकृतिक आपदा के समय फसल नष्ट होने पर किसानों को मुआवजा देने की नीति में भी बदलाव किया है।
एक अधिकारी ने कहा कि अब मुआवजे के लिए किसानों को बेवजह परेशान नहीं होना पड़ेगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा कर उसकी प्रक्रियाओं का सरलीकरण बनाया गया है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि किसानों की समस्याओं का समाधान बिना किसी विलम्ब के हो।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जब कांग्रेस ने साढ़े तीन साल पहले शासन की बागडोर संभाली थी तो मुख्यमंत्री गहलोत ने उसी समय एक ऐतिहासिक फैसला लिया था कि खेती के लिए बिजली की दरों में पांच साल तक कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
अधिकारी ने कहा कि सिंचाई के लिए बिजली का इस्तेमाल करने वाले किसानों को कम से कम आठ घंटे तक रोजाना बिजली दी जा रही है। इस पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही है और इसे सुनिश्चित किया जा रहा है। किसानों की शिकायते दूर करने के लिए मुख्यमंत्री के स्तर पर विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत अपने स्तर पर भी बिजली और किसानों से जुड़ी समस्याओं की समीक्षा करते हैं।

भिवानी में सड़क हादसा, 32 श्रद्धालुओं की मौत

भिवानी। हरियाणा के भिवानी में सोमवार सुबह हुए सड़क हादसे में 32 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। हिसार-राजगढ़ रोड पर सुबह राजस्थान के अमरपुरा धाम से श्रद्धालुओं से भरा कैंटर एक ट्रक से टकरा गया। हादसे में 28 लोगों की मौत मौके पर ही हो गई, जबकि चार लोगों की मौत अस्पताल में हुई। इनमें के कई यात्रियों की हालत गंभीर है, जिन्हें हिसार के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया है। बताया जा रहा है कि कैंटर में 40 लोग सवार थे। हादसे में मारे गए अधिकतर श्रद्धालु कैथल जिले के कलायत कस्बे के बताए जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक राजस्थान के अमरपुरा धाम से लौट रहे श्रद्धालुओं से भरा कैंटर को सिवानी के पास सेनिवास गाव के नजदीक ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी। कैंटर में तकरीबन 40 लोग सवार थे। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कैंटर के परखच्चे उड़ गए।

तमिलनाडु एक्सप्रेस में आग, 48 जिंदा जले

हैदराबाद। दिल्ली से चेन्नई जा रही तमिलनाडु एक्सप्रेस के एक डिब्बे में  तड़के आग लग जाने से करीब 48 यात्रियों की मौत हो गई है और 28 अन्य घायल हो गए। हालांकि रेलवे ने फिलहाल 15 यात्रियों की मौत की पुष्टि की है। बोगी में लगी आग की चपेट में आने वाले सबसे अधिक चेन्नई के लोग थे। इस बीच, रेलमंत्री मुकुल राय ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने हादसे में मारे गए यात्रियों के परिजनों को पांच लाख रुपये व घायल हुए लोगों के परिजनों को 25 हजार रुपये मुआवजा देने का एलान किया है।
हैदराबाद से करीब 450 किलोमीटर दूर दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश में नेल्लोर रेलवे स्टेशन से चेन्नई को जाने के लिए निकली इस रेलगाड़ी की एस-11 बोगी में तड़के करीब 5:30 बजे आग लग गई। नेल्लोर के जिला कलेक्टर बी श्रीधर ने बताया कि रेलगाड़ी से पांच शव व 15 घायलों को बाहर निकाला गया है। घायलों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
माना जा रहा है कि 15 यात्री बोगी में आग लगने पर उससे बाहर कूद पड़े। अन्य यात्रियों के संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। इस बोगी में कुल 72 यात्री यात्रा कर रहे थे। एक प्रत्यक्षदर्शी सुधीर के मुताबिक जब लपटों ने बोगी को अपनी चपेट में लिया तो कई लोग वहां फंस गए थे। उन्होंने बताया कि इस हादसे में वह तो हादसे में बच गए लेकिन कई यात्री नहीं बच सके क्योंकि बोगी के दो दरवाजे जाम थे और धुआं तेजी से फैल रहा था।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक लगाड़ी अपनी पूरी गति में नहीं थी इसलिए कुछ यात्री या तो समीप की बोगियों में चले गए या रेलगाड़ी से कूद गए। वैसे ऊपरी बर्थो पर सो रहे यात्री खुद को नहीं बचा सके क्योंकि धुआं तेजी से फैल रहा था और दरवाजे भी नहीं खुल रहे थे।
दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पाया और राहतकर्मी शवों को बाहर निकालने के लिए गैस कटर्स व अन्य उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे है। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए घटनास्थल पर एम्बुलेंस पहुंच गई है। जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक सहित शीर्ष अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए है और राहत एवं बचाव कार्य पर नजर रखे हुए है।
जिला कलेक्टर ने बताया कि क्षतिग्रस्त डिब्बे को ट्रेन से अलग कर बाकी ट्रेन को चेन्नई के लिए रवाना कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बोगी में शौचालय के नजदीक शॉर्टसर्किट होने से आग लगी।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, नई दिल्ली-चेन्नई तमिलनाडु एक्सप्रेस की एस 11 बोगी में 72 यात्री सफर कर रहे थे, जिनमें 28 चेन्नई और 17 दिल्ली के थे।
अग्निकांड से प्रभावित हुई नई दिल्ली-चेन्नई-तमिलनाडु एक्सप्रेस चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पर पहुंच गई है। आग की चपेट में आई बोगी को अलग करने के बाद रेलगाड़ी को यहां भेजा गया।

1896 से अबतकः ओलंपिक खेलों का इतिहास

प्राचीन काल में शांति के समय योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ. दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे.इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी खेलों में अपना दमखम दिखाते थे.
समाचार एजेंसी ‘आरआईए नोवोस्ती’ के अनुसार प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन 1200 साल पूर्व योद्धा-खिलाड़ियों के बीच हुआ था. हालांकि ओलंपिक का पहला आधिकारिक आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि आखिरी बार इसका आयोजन 394 ईस्वी में हुआ.
इसके बाद रोम के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्तिपूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
इसके बाद लगभग डेढ़ सौ सालों तक इन खेलों को भुला दिया गया. हालांकि मध्यकाल में अभिजात्य वर्गों के बीच अलग-अलग तरह की प्रतिस्पर्धाएं होती रहीं. लेकिन इन्हें खेल आयोजन का दर्जा नहीं मिल सका.
कुल मिलाकर रोम और ग्रीस जैसी प्रभुत्वादी सभ्यताओं के अभाव में इस काल में लोगों के पास खेलों के लिए समय नहीं था.
19वीं शताब्दी में यूरोप में सर्वमान्य सभ्यता के विकास के साथ पुरातन काल की इस परंपरा को फिर से जिंदा किया गया. इसका श्रेय फ्रांस के अभिजात पुरूष बैरों पियरे डी कुवर्तेन को जाता है.
कुवर्तेन ने दो लक्ष्य रखे, एक तो खेलों को अपने देश में लोकप्रिय बनाना और दूसरा, सभी देशों को एक शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा के लिए एकत्रित करना. कुवर्तेन मानते थे कि खेल युद्धों को टालने के सबसे अच्छे माध्यम हो सकते हैं.
कुवर्तेन की इस परिकल्पना के आधार पर वर्ष 1896 में पहली बार आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुआ. शुरुआती दशक में ओलंपिक आंदोलन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करता रहा क्योंकि कुवर्तेन की इस परिकल्पना को किसी भी बड़ी शक्ति का साथ नहीं मिल सका था.
वर्ष 1900 तथा 1904 में पेरिस तथा सेंट लुई में हुए ओलंपिक के दो संस्करण लोकप्रिय नहीं हो सके क्योंकि इस दौरान भव्य आयोजनों की कमी रही. लंदन में अपने चौथे संस्करण के साथ ओलंपिक आंदोलन शक्ति संपन्न हुआ. इसमें 2000 एथलीटों ने शिरकत किया. यह संख्या पिछले तीन आयोजनों के योग से अधिक थी.
वर्ष 1930 के बर्लिन संस्करण के साथ तो मानों ओलंपिक आंदोलन में नई जीवन शक्ति आ गई. सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर जारी प्रतिस्पर्धा के कारण नाजियों ने इसे अपनी श्रेष्ठता साबित करने का माध्यम बना दिया.
1950 के दशक में सोवियत-अमेरिका प्रतिस्पर्धा के खेल के मैदान में आने के साथ ही ओलंपिक की ख्याति चरम पर पहुंच गई. इसके बाद तो खेल कभी भी राजनीति से अलग नहीं हुआ.
खेल केवल राजनीति का विषय नहीं रहे. ये राजनीति का अहम हिस्सा बन गए. चूंकि सोवियत संघ और अमेरिका जैसी महाशक्तियां कभी नहीं खुले तौर पर एक दूसरे के साथ युद्ध के मैदान में भिड़ नहीं सकीं. लिहाजा उन्होंने ओलंपिक को अपनी श्रेष्ठता साबित करने का माध्यम बना लिया.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी ने एक बार कहा था कि अंतरिक्ष यान और ओलंपिक स्वर्ण पदक ही किसी देश की प्रतिष्ठा का प्रतीक होते हैं.
शीत युद्ध के काल में अंतरिक्ष यान और स्वर्ण पदक महाशक्तियों का सबसे बड़ा उद्देश्य बनकर उभरे. बड़े खेल आयोजन इस शांति युद्ध का अंग बन गए और खेल के मैदान युद्धस्थलों में परिवर्तित हो गए.
सोवियत संघ ने वर्ष 1968 के मैक्सिको ओलंपिक में पदकों के होड़ में अमेरिका के हाथों मिली हार का बदला 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में चुकाया. सोवियत संघ की 50वीं वर्षगांठ पर वहां के लोग किसी भी कीमत पर अमेरिका से हारना नहीं चाहते थे.
इसी का नतीजा था कि सोवियत एथलीटों ने 50 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 99 पदक जीते. यह संख्या अमेरिका द्वारा जीते गए पदकों से एक तिहाई ज्यादा थी.
साल 1980 में अमेरिका और उसके पश्चिम के मित्र राष्ट्रों ने 1980 के मॉस्को ओलंपिक में शिरकत करने से इनकार कर दिया. इसके बाद हिसाब चुकाने के लिए सोवियत संघ ने 1984 के लॉस एंजलिस ओलंपिक का बहिष्कार कर दिया.
साल 1988 के सियोल ओलंपिक में सोवियत संघ ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता साबित की. उसने 132 पदक जीते. इसमें 55 स्वर्ण थे. अमेरिका को 34 स्वर्ण सहित 94 पदक मिले थे. अमेरिका पूर्वी जर्मनी के बाद तीसरे स्थान पर रहा.
वर्ष 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भी सोवियत संघ ने अपना वर्चस्व कायम रखा. हालांकि उस वक्त तक सोवियत संघ का विघटन हो चुका था. एक संयुक्त टीम ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था. इसके बावजूद उसने 112 पदक जीते. इसमें 45 स्वर्ण थे. अमेरिका को 37 स्वर्ण के साथ 108 पदक मिले थे.
साल 1996 के अटलांटा और 2000 के सिडनी ओलंपिक में रूस (सोवियत संघ के विभाजन के बाद का नाम) गैर अधिकारिक अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रहा. 2004 के एथेंस ओलंपिक में उसे तीसरा स्थान मिला.
बीजिंग ओलंपिक 2008 को अब तक का सबसे अच्छा आयोजन माना जा गया है. पंद्रह दिन तक चले ओलंपिक खेलों के दौरान चीन ने ना सिर्फ़ अपनी शानदार मेज़बानी से लोगों का दिल जीता बल्कि सबसे ज़्यादा स्वर्ण पदक जीत कर भी इतिहास रचा.
पहली बार पदक तालिका में चीन सबसे ऊपर रहा. जबकि अमरीका को दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा. भारत ने भी ओलंपिक के इतिहास में व्यक्तिगत स्पर्धाओं में पहली बार कोई स्वर्ण पदक जीता और उसे पहली बार एक साथ तीन पदक भी मिले.

गगन नारंग की जीत

गगन नारंगलंदन ओलंपिक में भारत को पहला पदक दिलाने वाले निशानेबाज गगन नारंग के पिता बीएस नारंग ने बेटे की जीत पर खुशी जताते हुए कहा कि हम गोल्‍ड की उम्‍मीद कर रहे थे लेकिन यह भी अच्‍छी उपलब्धि है. इस पदक से अगले दो इवेंट में बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी. गगन की मां ने भी बेटे को शुभकामनाएं दी और आगे बेहतर करने की उम्‍मीद जताई.
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी गगन नारंग को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी है. भारत सरकार ने गगन को आईएएस अधिकारी का ओहदा देने का ऐलान किया है.
हरियाणा सरकार ने अपने राज्‍य के इस खिलाड़ी को बतौर ईनाम एक करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है. गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गगन नारंग को बधाई दी है.
गगन नारंग ने ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद खुशी जताते हुए कहा, ‘मैं अपने परिवार के साथ अपने सभी शुभचिंतकों को धन्यवाद करता हूं.’ गगन ने कहा, ‘मेरे कोच इस प्रदर्शन से उतने खुश नहीं हैं लेकिन ओलंपिक पदक तो आखिरकार ओलंपिक पदक ही होता है.’
गगन ने यह भी कहा कि वो अभी देश में इस खुशी को किस तरह मनाया जा रहा है यह जानने के लिए उतने उत्सुक नहीं हैं क्योंकि उनकी निगाहें शूटिंग के बचे हुए दो प्रतियोगिताओं पर टिकी हैं.
गगन की जीत पर  प्रतिक्रियाएं
सचिन तेंदुलकरः
गगन तुमने लंदन ओलंपिक 2012 में पहला पदक दिलाकर हमें गौरवान्वित किया है. अब हमारी यही दुआ है कि हम अधिक से अधिक पदक जीतें.
अजय माकनः गगन नारंग के एक पदक जीत से पूरे दल का मूड बदल दिया है. दल के प्रत्येक सदस्य में उत्साह और जोश का संचार हो गया है.
नरेंद्र मोदीः लंदन ओलंपिक से एक शानदार खबर आई है. गगन नारंग को ओलंपिक मेडल घर लाने के लिए बधाई.
संजय मांजरेकरः गगन नारंग शाबास. 10 मीटर एयर राइफल में भारत को कांस्य पदक दिलाने के लिए बहुत बहुत बधाई.
नवीन जिंदलः कांस्य पदक दिलाने पर गगन तुम्हें बधाई. दिल में जय हो की धुन बज रही है...
दीपिका पादुकोणः ...और गगन नारंग ने भारत को ओलंपिक में पहला पदक दिला दिया है. पूरे देश और टीम के लिए यह बहुत सम्मान का पल है.
संजय झाः भारत का नाम पदक तालिक में आ गया है. गगन नारंग के नाम आज की रात. पूरा देश हो जाएगा मगन.

27 जुल॰ 2012

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पर गिर सकती है गाज !

जयपुर। केंद्र में कांग्रेस पार्टी महासचिव राहुल गांधी के महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाले जाने की घोष्ाणा के बाद से प्रदेश में भी पार्टी नेतृत्व में फेरबल की अटकले शुरू हो गई है। राहुल बाबा के एक्शन में आते ही यहां भी किसी युवा नेता को पार्टी की कमान सौंपी जाने की संभावनाएं बढ़ गई है और इसके चलते अपनी बेबाक बयानबाजी के चलते कइयों की आंख की किरकिरी बने प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान पर भी गाज गिर सकती है।
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पार्टी सूत्रों के अनुसार विधायकों के बगावती सुर,आलाकमान से शिकायत,राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग और अस्थिरता की स्थिति सहित विभिन्न मामलों में फजीहत करवा चुकी प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी है।

निशाने पर चंद्रभान !

पार्टी सूत्रों के अनुसार, वक्त बे वक्त बयानबाजी, पार्टी में अनुशासन कायम नहीं कर पाना, पार्टी को आगे बढ़ाने के नाम पर हुड़दंग से भरपूर संभाग स्तरीय कार्याशालाओं के आयोजन को लेकर प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान प्रदेश नेतृत्व के निशाने पर हैं। इस संबंध में प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत, केंद्रीय प्रभारी मुकुल वासनिक व अन्य प्रमुख नेता भी प्रदेशाध्यक्ष से खासे नाराज हैं। पीसीसी सूत्रों का कहना है कि अगस्त के पहले सप्ताह तक प्रदेश अध्यक्ष बदलने के फैंसले पर आला कमान अपनी मुहर लगा सकते हैं।

संभागीय कार्यशालाओं में अनुशासन

पीसीसी अध्यक्ष का पद संभालने के बाद डॉ चंद्रभान ने संभाग स्तरीय कार्यशालाओं के आयोजन किए लेकिन भरतपुर और जयपुर में कार्यशाला के दौरान ही कांग्रेस कार्यकर्ता आमने-सामने हो गए। भरतपुर में तो कांगे्रसियों ने कांगे्रसियों के ही कपड़े फाड़ डाले। कार्यशालाओं के दौरान कार्यकर्ताओं का कोई अनुशासन देखने को नहीं मिला, जिससे पूरे प्रदेश में संभाग स्तरीय कार्यशालाओं के प्रति नकारात्मक फीडबैक आला कमान को मिला है। माना जा रहा है कि लगातार ऎसे ही फीडबैक से आलाकमान भी परेशान हो गया।

युवा अध्यक्ष बन सकते हैं पायलट

प्रदेश में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए वर्तमान में दो प्रमुख दावेदार सामने आ रहे हैं। इसमें केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट और राज्य के वरिष्ठ जाट नेता हेमाराम चौधरी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी के केंद्र सरकार में सक्रिय होने की तैयारी के साथ ही यहां पर युवा नेता को प्रदेश का नेतृत्व सौंपे जाने की चर्चा आम है। इसमें सचिन पायलट को सबसे आगे बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि प्रदेश में विभिन्न मामलों में सरकार की बदहाल स्थिति को देखते हुए युवा नेतृत्व के जरिए पार्टी में जान फूंकने की कवायद की जा रही है।

'दिल्ली में अधिकतर हत्याएं नहीं रोकी जा सकतीं' l

दिल्ली पुलिस के प्रमुख नीरज कुमार ने कहा कि पुलिस डकैती एवं छिनैती जैसी वारदातों के समय होने वाली हत्याओं को रोक सकती है लेकिन अधिकतर हत्याएं रोकी नहीं जा सकती.
नीरज कुमार राजधानी में हुईं श्रंखलाबद्ध हत्याओं पर पुलिस आयुक्त ने कहा कि उस दिन छह हत्याएं हुईं थी लेकिन कुछ रिपोर्टों में नौ बताई गईं. राजधानी के रोहिणी इलाके में मंगलवार को दो अलग-अलग स्थानों पर घर में घुसकर दो वृद्ध महिलाओं की हत्या कर दी गई थी.
उन्होंने कहा कि पुलिस डकैती एवं चेन छिनैती जैसे अपराधों के समय हत्याओं को रोक सकती है लेकिन व्यक्तिगत कारणों जैसे निजामुद्दीन इलाके में पुत्र ने पिता की हत्या उसके खराब व्यहार के कारण कर दी थी जैसे मामलों को रोकना मुश्किल है.
नीरज कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष राजधानी में हत्या के 543 मामले सामने आए और उनमें से अधिकतर डकैती एवं छिनैती के समय हुए थे. उन्होंने कहा, 'छिनैती की पूर्व की घटनाओं पर विचार करने के बाद हमने उन संवेदनशील स्थानों एवं समय की सूची तैयार की है, जिस समय यह घटनाएं होती हैं.'

अनशन में रामदेव के पहुंचने से बढ़ी भीड़

संप्रग सरकार के खिलाफ टीम अन्ना के अनशन स्थल जंतर मंतर पर भीड़ में भारी इजाफा हुआ है और लगभग डेढ़ हजार लोग पहुंच चुके हैं.
लोगों का जत्थों में आना जारी है. अनशन कर रहे टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और गोपाल राय मंच पर हैं जबकि किरण बेदी पुणे गई हुई हैं. योग गुरू बाबा रामदेव भी अभी पहुंचे हैं.
सुबह अनशन स्थल पर लोगों की उपस्थिति बहुत ही कम थी. प्रात: 11 बजे जब गांधीवादी समाज सेवक अन्ना हजारे मंच पर आए तो वहां करीब 300 लोग थे. अनशन स्थल सूना नजर आ रहा था और लोग केवल मंच के आसपास ही थे. बहरहाल, बाबा रामदेव के आने की खबर के बाद भीड़ बढ़ने लगी. जत्थों में लोग अनशन स्थल पर पहुंच रहे हैं.
सुबह अनशन स्थल पर कुछ लोगों ने न्यूज चैनल की एक महिला संवाददाता के साथ धक्का मुक्की की. पुलिस में शिकायत के बाद आयोजकों ने ऐलान किया कि ऐसे कृत्यों का आंदोलन में कोई स्थान नहीं है और पुलिस को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. महिला पत्रकार ने अपने साथ बदसलूकी की शिकायत की है.

एनडी तिवारी ही रोहित के पिता हैं:

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी दिल्ली निवासी युवक रोहित शेखर के जैविक पिता हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने तिवारी की डीएनए जांच के नतीजे की शुक्रवार को घोषणा करते हुए यह जानकारी दी.
न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला में की गई तिवारी की डीएनए जांच के नतीजे की घोषणा खुली अदालत में की. रिपोर्ट के अनुसार, 'तिवारी कथित तौर पर रोहित शेखर के जैविक पिता और उज्ज्वला शर्मा कथित तौर पर उनकी जैविक मां है.'
दिल्ली में रहने वाले 32 साल के रोहित शेखर का दावा है कि एनडी तिवारी ही उसके जैविक पिता हैं और इसी दावे को सच साबित करने के लिए रोहित और उसकी मां उज्ज्वला शर्मा ने 4 साल पहले यानी 2008 में अदालत में एन डी तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस दाखिल किया था.
अदालत ने मामले की सुनवाई की और अदालत के ही आदेश पर पिछले 29 मई को डीएनए जांच के लिए एनडी तिवारी को अपना खून देना पड़ा था.
देहरादून स्थित आवास में अदालत की निगरानी में एनडी तिवारी का ब्लड सैंपल लिया गया था. कुछ दिनों पहले हैदराबाद के सेंटर फोर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायएग्नोस्टिक्स यानी सीडीएफडी ने ब्ल़ड सैंपल की जांच रिपोर्ट अदालत को सौंप दी.
सीडीएफडी की इस सील्ड रिपोर्ट में एनडी तिवारी के साथ रोहित शेखर और रोहित की मां उज्ज्वला शर्मा की भी डीएनए टेस्ट रिपोर्ट शामिल हैं. हालांकि एनडी तिवारी नहीं चाहते कि उनकी डीएनए टेस्ट रिपोर्ट सार्वजनिक हो इसलिए उन्होंने अदालत में इसे गोपनीय रखने के लिए याचिका भी दी थी लेकिन अदालत इसे खारिज कर दिया और इसे खोलने का आदेश जारी कर दिया.

26 जुल॰ 2012

मायावती ने बंगला संवारने पर फूंके जनता के 86 करोड़ रुपये

मायावती
मायावती
लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना बंगला संवारने में सरकारी खजाने के 86 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। यूपी की पूर्व सीएम के बारे में यह खुलासा हुआ है सूचना का अधिकार (आरटीआई) के इस्‍तेमाल से।

मायावती को 1995 में पहली बार सीएम बनने के बाद लखनऊ में 13, मॉल एवेन्‍यू का बंगला आवंटित किया। इसे सजाने संवारने का काम 2007 में शुरू हुआ जब वह दूसरी बार सीएम बनीं। लेकिन अधिकतर काम उनका कार्यकाल खत्‍म होने तक पूरा हुआ।

दिलचस्‍प है कि आरटीआई के तहत आवेदन सपा नेता शिवपाल यादव ने उस वक्‍त किया था जब वह नेता विपक्ष थे और मायावती सीएम थीं। लेकिन करीब साल भर बाद राज्‍य के संपदा विभाग ने यादव के सवाल का जवाब दिया है। पता चला है कि मायावती ने खुद की और बसपा संस्‍थापक कांशीराम की 20-20 फीट की दो मूर्तियां भी सरकारी पैसे पर बनवाईं हैं। 

हर साल 3700 करोड़ की रिश्वत

Indians pay USD 700M yearly as bribe for land servicesनई दिल्ली। भारत में जमीन की रजिस्ट्री, खसरा-खतौनी की नकल जैसी भूमि प्रशासन संबंधी सेवाओं के लिए हर साल 70 करोड़ डॉलर की भारी भरकम राशि घूस के रूप में दी जाती है। यह रकम करीब 3,700 करोड़ रुपये बैठती है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन [एफएओ] और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के साझा अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
दोनों संगठनों ने संयुक्त रूप से तैयार अध्ययन पत्र 'भू-संपत्ति क्षेत्र में भ्रष्टाचार' शीर्षक से तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि कमजोर प्रशासन की वजह से जमीन से जुड़े मामलों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। इसके अनुसार जमीन संबंधी मामलों में भ्रष्टाचार देश के विकास के रास्ते में बड़ी बाधा बन कर सामने आया है। यह अध्ययन 61 से अधिक देशों में किया गया।
अध्ययन के मुताबिक, जमीन को लेकर निचले स्तर पर भ्रष्टाचार छोटी-छोटी रिश्वत के रूप में है। वहीं, ऊंचे स्तर पर सरकारी ताकत और राजनीति रुतबे के दुरुपयोग की वजह से यह घोटालों के रूप में सामने आता रहता है। जमीन से जुड़ी प्रशासनिक सेवाओं में भू-कानून, रजिस्ट्री, मूल्यांकन, कराधान, जमीन उपयोग में बदलाव, भूमि आवंटन और संबंधित जानकारी शामिल हैं। अध्ययन पत्र ने यह भी साफ किया है कि जमीन संबंधी भ्रष्टाचार भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया में फैला हुआ है। उदाहरण के तौर पर केन्या में वर्ष 2011 में जमीन संबंधी हर मामले में औसतन 65 डॉलर रिश्वत के रूप में चुकाये गए। मेक्सिकों में जमीन संबंधी सेवाओं के लिए बहुत ज्यादा घूस देनी पड़ती है। इस मामले में बांग्लादेश की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है।
अध्ययन पत्र में भ्रष्टाचार और जमीन के इस्तेमाल के बीच संबंध का भी विश्लेषण किया गया है। इसके अनुसार जमीन पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। नए क्षेत्रों में खेती हो रही है। शहरों का विस्तार खेती की जमीन पर हो रहा है। भू-क्षरण और जलवायु परिवर्तन के कारण भूमि बंजर हो रही है। ऐसे में बहुत कम जमीन के लिए बहुत ज्यादा लोगों के बीच मारा-मारी है।

जान देकर चुकाई अवैध भू आवंटन पर्दाफाश की कीमत

बेंगलूर। अभी तक व्हिसिल ब्लोअर कानून तो नहीं आया, लेकिन भ्रष्टाचार और घोटालों के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले अधिकारियों की हत्या का सिलसिला बदस्तूर जारी है। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के ठेकों में घोटाले का भंडाफोड़ करने वाले सत्येंद्र दुबे, पेट्रो उत्पादों में मिलावट का विरोध करने वाले मंजूनाथ और अवैध खनन पर अंकुश लगाने वाले आइपीएस नरेंद्र कुमार के बाद भ्रष्टाचार की कीमत जिंदगी से चुकाने वालों में कर्नाटक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एसपी महंतेश का नाम भी शामिल हो गया है।
Karnataka officer pays with life for exposing land scam सहकारी आवास समितियों में अवैध भू-आवंटन का पर्दाफाश करने वाले महंतेश पर यहां पांच दिन पहले हमला हुआ था। निजी अस्पताल में भर्ती महंतेश की रविवार सुबह मौत हो गई। 48 वर्षीय महंतेश पर कुछ अज्ञात लोगों ने 15 मई को हमला किया था, जिससे उनके सिर में गहरी चोटें आई थीं। उन्हें पिछले दो दिन से जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था। वह बेंगलूर में एक होटल के समीप बेहोशी की हालत में मिले थे। वहां से गुजरने वाले एक व्यक्ति ने उनके परिवार को सूचना दी थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया था।
महंतेश सहकारिता विभाग के लेखा परीक्षा विभाग में कार्यरत थे। परिजनों के अनुसार उन्होंने कई सहकारी आवास समितियों में बड़े पैमाने पर हुए घोटालों का पर्दाफाश किया था। कई भूखंडों का आवंटन वरिष्ठ अधिकारियों और राजनीतिज्ञों को किया गया था। इसके बाद से करीब 80 सहकारी आवास समितियां जांच के घेरे में आ गई हैं। इसमें से अधिकतर बेंगलूर में मौजूद हैं।
महंतेश की मौत पर दुख जताते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा, मामले की जांच तेज कर दी गई है। आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे सरकार और आम लोगों की भावनाओं को ठेस लगी है। पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाएगा।
कर्नाटक के गृह मंत्री आर अशोक ने बताया कि घटना के संबंध में पुलिस को कुछ सुराग मिले हैं। हत्यारे जल्द गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।

आईपीएल फिक्सिंग के कारण हुई जे.डे की हत्या!

मुंबई । पिछले वर्ष 11 जून को मुंबई में हुई पत्रकार जे. डे की हत्या का मामला महाराष्ट्र विधान परिषद में गूंजा। विधान परिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावड़े ने कहा कि जे. डे की हत्या आईपीएल मैचों की सट्टेबाजी के कारण हुई। गौरतलब है कि जे. डे जागरण समूह के अंग्रेजी सांध्य दैनिक मिड डे के वरिष्ठ पत्रकार थे।
Dey silenced as he was to expose match fixing in IPL विनोद तावड़े ने विधान परिषद में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि जे.डे क्रिकेट के आईपीएल मैचों में चलनेवाली सट्टेबाजी को उजागर करना चाहते थे। उनके पास इससे संबंधित खबरें थीं। इसलिए उनकी हत्या कर दी गई। गौरतलब है कि इस मामले में अब तक 11 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें क्रिकेट का एक संट्टेबाज विनोद असरानी भी शामिल है। असरानी अंडरव‌र्ल्ड सरगना छोटा राजन का करीबी बताया जाता है। उसी ने जे.डे की हत्या करनेवाले सतीश कालिया को पैसा मुहैया कराया था।
तावड़े ने बाद में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस मामले में एक महिला पत्रकार जिग्ना वोरा को पुलिस ने आंखों में धूल झोंकने के लिए गिरफ्तार किया है। जिस पर आरोप है कि उसी ने छोटा राजन को जे.डे के घर का पता एवं मोटर साइकिल का नंबर बताया था। तावड़े सवाल करते हैं कि छोटा राजन को मुंबई में ये सूचनाएं पाने के लिए एक पत्रकार पर निर्भर होने की क्या जरूरत पड़ गई?
गौरतलब है कि मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने एक साल पहले हुई जे.डे की हत्या में अंडरव‌र्ल्ड सरगना छोटा राजन को भी आरोपी बनाया है। पुलिस का कहना है कि जे.डे द्वारा लगातार छोटा राजन के विरुद्ध खबरें लिखे जाने के कारण उसने अपने शूटरों से उनकी हत्या करवा दी, और कभी जे.डे की सहयोगी रही जिग्ना वोरा ने इस मामले में व्यावसायिक जलनवश छोटा राजन को जे.डे से संबंधित सूचनाएं मुहैया कराईं। तावड़े ने आईपीएल संट्टेबाजी के दृष्टिकोण से भी इस मामले की जांच किए जाने की जरूरत पर जोर दिया।

मायावती की मूर्ति तोड़ी, अखिलेश ने की निंदा

लखनऊ में मायावती की मूर्ति तोड़े जाने के बाद तनाव का माहौल पैदा हो गया. इसके तुरंत बाद मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने मूर्ति को फिर से ठीक किए जाने के आदेश दे दिया.
मूर्ति तोड़े जाने की निंदा करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में माहौल बिगाड़ने के लिए यह उकसावे वाली हरकत की गई है.
अखिलेश यादवखुद को नवनिर्माण सेना का सदस्य बताने वाले कुछ युवकों ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अम्बेडकर पार्क परिसर में स्थापित बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष एवं राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मूर्ति तोड़ दी. मोटरसाइकिल सवार इन युवकों ने लखनऊ के गोमतीनगर इलाके स्थित अम्बेडकर पार्क में मायावती की संगमरमर की एक मूर्ति का सिर धड़ से अलग कर दिया. मूर्ति का हाथ भी तोड़ दिया गया है.
मूर्ति तोड़ने के बाद ये युवक कुछ पर्चे छोड़कर मौके से फरार हो गए. पर्चे में उन्होंने खुद को उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना का सदस्य बताया.
घटना की सूचना मिलने के बाद हालात का जायजा लेने के लिए प्रमुख सचिव (गृह) आर. एम. श्रीवास्तव और लखनऊ के पुलिस उपमहानिरीक्षक आशुतोष पांडे मौके पर पहुंच गए.
मूर्ति तोड़े जाने की सूचना मिलने पर विधानसभा में विपक्ष के नेता व बसपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने घटनास्थल का दौरा कर किया. घटना को घृणित मानसिकता का कार्य बताते हुए उन्होंने राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए और कहा कि मूर्तियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. बसपा नेताओं द्वारा समय-समय पर लगातार इनकी सुरक्षा की मांग की जाती रही है.
मौर्य ने कहा कि बसपा नेता इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राज्यपाल बी. एल. जोशी से मिलेंगे

टीम अन्‍ना के अनशन में NSUI का हंगामा

जंतर-मंतर पर टीम अन्‍ना के अनशन के दौरान कुछ छात्रों ने जमकर हंगामा किया. टीम अन्‍ना का आरोप है कि ये छात्र एनएसयूआई के थे जिन्‍होंने हंगामा किया. टीम अन्ना का ये भी कहना है कि एनएसयूआई के ये कार्यकर्ता केजरीवाल को नुकसान पहुंचाना चाहते थे.
अनशन स्थल पर अन्ना और उनके सहयोगियों के आने पर कुछ लोगों ने हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी जिनके बारे में दावा किया गया है कि वह कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के कार्यकार्ता है. हालांकि अन्ना और उनके सहयोगियों ने सभी लोगों से शांति बनाये रखने और संघर्ष नहीं करने की अपील की. इसके बाद हंगामा कर रहे लोगों को अनशन स्थल से बाहर कर दिया गया.
टीम अन्ना के सदस्य कुमार विश्वास का आरोप है कि अनशन स्थल पर हंगामा करने वाले कांग्रेस की छात्र ईकाई एनएसयूआई के सदस्य है जो अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. टीम अन्ना ने हंगामे की योजना से संबंधित एक कथित आडियो भी प्रसारित किया.
मंच पर गांधी जी की तस्वीर लगायी गयी है. इसके साथ ही टीम अन्ना ने जिन केन्द्रीय नेताओं के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है उनकी तस्वीरें भी टांग दी गई हैं जिसमें नवनिर्वाचित राष्ट्रपति एवं पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री पी चिदंबरम सहित कई अन्य लोग शामिल हैं.
हालांकि, कुछ देर बाद प्रणब के चित्र को कपड़े से ढक दिया गया. इस विषय पर टीम अन्ना के एक वरिष्ठ सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रणब मुखर्जी अब राष्ट्रपति पद की शपथ ले चुके है जो शीर्ष संवैधानिक पद है. हम संविधान का सम्मान करते हैं, इस नाते प्रणब के चित्र को कपड़े से ढक रहे हैं ताकि इस पद की गरिमा कम न हो.
केजरीवाल ने हालांकि कहा कि प्रणब के खिलाफ आरोप हालांकि बने हुए हैं और हम इसका उल्लेख करना जारी रखेंगे. उन्होंने कुछ टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित इस खबरों को गलत बताया कि अब भ्रष्टाचार का उल्लेख करते समय प्रणब का नाम नहीं लिया जायेगा. केजरीवाल ने कहा कि आज से प्रतिदिन तीन-चार मंत्रियों एवं केंद्रीय नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरापों का खुलासा किया जायेगा.
टीम अन्ना के एक अन्य सदस्य गोपाल राय ने कहा कि अन्ना के पास न कोई धन है और कोई तिजोरी है. लेकिन जब देश लूटा जा रहा था और शीर्ष पदों पर बैठे लोग लूट को बढावा देने में लगे हुए थे तब देश के इस सपूत ने इसका विरोध करने का निर्णय किया. उन्होंने कहा कि अन्ना और उनके सहयोगियों के पास कुछ भी नहीं है लेकिन देश के प्रति मोहब्बत है. इसी पूंजी की बदौलत हम संघर्ष कर रहे हैं. ‘हम जन लोकपाल की मांग कर रहे हैं ताकि सभी स्तरों से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जा सके. इसके साथ ही हम केंद्रीय नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की भी मांग कर रहे हैं.’
बहरहाल, जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर टीम अन्ना के सदस्यों की ओर से राष्ट्रीय राजधानी स्थित जंतर-मंतर पर आयोजित अनशन स्थल पर छोटे-छोटे समूहों में लोग जुटना लगातार जारी है. अनशन स्थल पर सुरक्षा समेत तमाम चाक चौबंद व्यवस्था की गयी है. आंदोलन से जुड़े लोग देश भक्ति से जुड़े गीत गा रहे हैं.
गर्मी और उमस के बावजूद महिलाओं और युवाओं की उपस्थिति देखी जा रही है. उनके अलावा वहां स्कूली छात्र छात्राएं और अन्य बच्चे भी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोगों का आना जारी है. मुख्य मंच के इर्द-गिर्द विभिन्न काउंटर बनाए गये हैं. अन्ना और जनलोकपाल से संबंधित किताबें और सीडी बिक्री के लिए लगायी गयी हैं. अनशन स्थल पर आने वाले लोगों की सुविधा के लिए एक बड़ा सा एलईडी स्क्रीन लगाया गया है जिस पर मुख्य मंच पर चल रहे कार्यक्रम का प्रसारण किया जा रहा है.
मुख्य मंच के ठीक सामने प्रसारण की व्यवस्था की गयी है. इस बार भी तिरंगा और ‘मैं अन्ना हूं’ टोपी का जलवा दिख रहा है. इससे पहले, अनिश्चितकालीन अनशन को लेकर अन्ना हजारे और उनके साथियों ने दो बातें कहीं हैं. जहां हजारे ने लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन की बात कही वहीं उनके सहयोगियों का जोर केवल तीन मांगों पर रहा जिनमें खासतौर पर 15 केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ आरोपों में स्वतंत्र जांच की मांग शामिल रहेगी.
हजारे ने यूपीए सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार चार दिन में कोई फैसला नहीं करती तो वह रविवार से भूख हड़ताल पर बैठेंगे. इससे पहले उन्होंने दिन में घोषणा की थी कि वह कल अनशन में अपने साथियों अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और गोपाल राय के साथ बैठेंगे. बाद में उन्होंने कहा कि वह कल भूख हड़ताल की जगह धरने पर बैठेंगे.

रायबरेली के लिए सोनिया ने खोला योजनाओं का पिटारा

सोनिया गांधी ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली दौरे के दौरान कई विकास योजनाओं का पिटारा खोल दिया.
कांग्रेस और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को कहा कि शिक्षा ही सुरक्षित भविष्य की पूंजी है और तालीम की रोशनी से ही मुल्क सही मायने में तरक्की करेगा.
सोनिया गांधीसोनिया ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली के दो दिवसीय दौरे के पहले दिन फिरोज गांधी डिग्री कालेज सभाकक्ष में राष्ट्रीय राजमार्ग 24 ब (लखनउ-रायबरेली-इलाहाबाद प्रखंड) के सुदृढ़ीकरण तथा उसे चौड़ा करने के कार्य का शिलान्यास करने के बाद कहा कि शिक्षा ही सुरक्षित भविष्य की पूंजी है. उन्होंने कहा, ‘हमने समाज के हर वर्ग का ध्यान रखते हुए बहुत सी योजनाएं बनायी हैं, लेकिन मैं समझती हूं कि समाज और देश सही मायने में तभी तरक्की करेगा जब ज्यादा से ज्यादा लोग शिक्षित होंगे, क्योंकि शिक्षा सुरक्षित भविष्य की पूंजी है.’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र की संप्रग सरकार ने शिक्षा के विस्तार तथा उन्नयन के लिये अनेक कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा, ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने रायबरेली में एक महिला महाविद्यालय बनाने का प्रस्ताव किया है. राज्य सरकार से इसके लिये जमीन मिलते ही इस दिशा में जरूरी कदम उठाए जाएंगे. उस महाविद्यालय को इंदिरा गांधी का नाम दिया जाएगा.’
प्रदेश में शिक्षा के लिये केन्द्र द्वारा किये जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए सोनिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 148 मॉडल स्कूलों को धन दिया जा चुका है. रायबरेली जिले में तीन स्कूलों का काम प्रगति पर है. इसके साथ ही रायबरेली के बछरावां में एक नये केन्द्रीय विद्यालय की मंजूरी दी गयी है. उन्होंने कहा कि अब रायबरेली के बच्चों को एक ही स्थान पर आसानी से शिक्षा मिल सकेगी. साथ ही यहां की बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल हो सकेगी. उन्होंने कहा कि लखनऊ से रायबरेली तक चार लेन की सड़क बनायी जाएगी जिस पर लगभग 600 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इस सड़क के बनने से रायबरेली के लोगों को लखनऊ से आने जाने में काफी सुविधा होगी. इस परियोजना के तहत बछरावां के निकट रेलवे लाइन के पुल को भी चौड़ा किया जाएगा.
क्षेत्रीय सांसद ने कहा कि रायबरेली शहर में भी रेलवे लाइन पर पुल बनेगा जिससे यातायात में सुविधा होगी. इसी तरह रायबरेली-इलाहाबाद मार्ग को चौड़ा करने का काम जल्दी ही शुरू होगा जिस पर लगभग 300 करोड़ की लागत आयेगी. उन्होंने कहा, ‘आज इस मौके पर मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 232 रायबरेली-बांदा और एनएच 231 रायबरेली-जौनपुर के लिये सरकार ने 1800 करोड़ की मंजूरी दी है.’
सोनिया ने कहा, ‘मैं सड़क परिवन मंत्री डाक्टर सीपी जोशी से अनुरोध करती हूं कि वह इन तमाम योजनाओं को एक निश्चित समय सीमा के साथ तत्परता से पूरा कराएं जिससे अगले साल इलाहाबाद में लगने वाले महाकुम्भ में इसका पूरा लाभ मिल सके.’ सोनिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में संप्रग सरकार ने आधारभूत ढांचा निर्माण सम्बन्धी अनेक निर्णय लिये हैं तथा योजनाएं शुरू की हैं. इससे यहां के युवकों के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और यहां के लोगों को बेहतर जिंदगी मिलेगी.
उन्होंने कहा, ‘रायबरेली और उसके आसपास के जिलों के लिये शारदा सहायक परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने में हमने सफलता प्राप्त की है. हमारा प्रयास यहां और परियोजना लाने का होगा.’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘मैं आपको भरोसा दिलाती हूं कि रायबरेली के विकास के लिये काम करती रहूंगी, संघर्ष करती रहूंगी.’

दो सौ रुपये से भी सस्ती नवजात की जिंदगी

जालंधर : पंजाब सरकार जहां एक ओर लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराने का दावा करती रही है वहीं दूसरी ओर जालंधर के सदर अस्पताल में कल देर रात सिर्फ दो सौ रुपये की खातिर चिकित्सा कर्मियों ने एक नवजात शिशु को कथित रुप से जीवन रक्षक प्रणाली से हटा दिया जिससे कुछ ही देर में उसकी मौत हो गयी.
इस बारे में अस्पताल के कार्यकारी सिविल सर्जन डा आर एल वस्सन का कहना है कि यह मामला उनके ‘अधिकार क्षेत्र’ में नहीं आता , दूसरी ओर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा इकबाल सिंह को भी इस मामले की जानकारी नहीं है क्योंकि कल वह किसी ‘सरकारी बैठक’ के सिलसिले में जालंधर से बाहर थे.
नवजात के पिता तथा शहर के संतोखपुरा इलाके के निवासी संजीव कुमार ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने महज दौ सौ रुपये की खातिर कथित रुप से उनकी बेटी की ‘‘हत्या’’ कर दी. पैसे जमा नहीं कराने के कारण उनकी पांच दिन की बेटी को जीवन रक्षक उपकरण से हटा दिया गया.
संजीव ने बताया, ‘‘मेरी पत्नी अनीता ने 21 जुलाई को सदर अस्पताल में ही एक बेटी को जन्म दिया. बाद में उसे पीलिया की शिकायत हो गई. इसके बाद उसे जीवन रक्षक उपकरण के सहारे रखा गया. इसके लिए मुझसे 200 रुपये की मांग की गयी. मेरे पास 200 रुपये नहीं थे. इसके बाद उन्होंने बच्ची को मशीन से हटा दिया जिससे उसकी मौत हो गयी.’’
इस बारे में पूछे जाने पर कार्यकारी सिविल सर्जन डा आर एल वस्सन ने कहा, ‘‘यह मामला मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इसलिए इस बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा.’’ वस्सन ने कहा, ‘‘इस बारे में जानकारी सदर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ही दे सकते हैं.’’
दूसरी ओर सदर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा इकबाल सिंह ने बताया, ‘‘मैं कल यहां नहीं था. एनएचआरएम की बैठक के सिलसिले में कल मैं जालंधर से बाहर गया था. मुङो अभी अभी आफिस आने पर इसकी जानकारी मिली है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मामले को देखने दीजिए. मैं पता करता हूं कि क्या केस है. इसकी जांच की जाएगी और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.’’ दूसरी ओर जिलाधिकारी प्रियांक भारती से बार बार कोशिशों के बावजूद संपर्क नहीं हो सका.

पाक में शुतुरमुर्ग को मिला जानवर का दर्जा

आप माने या नहीं माने, लेकिन सच यही है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की असेंबली शुतुरमुर्ग को पक्षी नहीं पशु मानती है। शुतुरमुर्ग के मांस की बढ़ती मांग के कारण यहां की सरकार ने इस पक्षी को पशु की प्रजाति में शामिल कर दिया।

यह चौंकाने वाली बात असेंबली के एक विधेयक में थी। दरअसल पंजाब के गवर्नर ने एक विधेयक पर यह कहते हुए हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था कि शुतुरमुर्ग एक पक्षी है, जो अनोखी प्रजातियों में शामिल है। अब गवर्नर के फैसले को दरकिनार करते हुए असेंबली ने एक नया विधेयक पारित कर दिया।

अखबार 'द नेशन' के मुताबिक पंजाब पशु वध नियंत्रण (संशोधन) विधेयक-2012 की धारा 2(ए) में कहा गया है, 'पशुओं का मतलब बैल, भैंस, ऊंट, गाय, बकरी, शुतुरमुर्ग, भेड़ और कुछ पालतू प्राणियों से है। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार 'डॉन' ने संपादकीय में इस विधेयक पर सवाल खडे़ करते हुए कब से शुतुरमुर्ग पक्षी नहीं रहा ? नाम से शीर्षक दिया है।

पंजाब के कानून मंत्री राणा सना ने कहा कि प्रांतीय सरकार ने यहां शुतुरमुर्ग के मांस की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे बकरी और भेड़ की श्रेणी में शामिल किया है।