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21 जुल॰ 2013

भाजपा का आखिरी दांव



 
राकेश माथुर



भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के आम चुनाव को जीतने के लिए अपने सारे पत्ते खोल दिए हैं। अब पहले जैसा कोई हिडन एजेंडा नहीं रहा। मोदी से लेकर कट्टर हिंदू राष्ट्रवाद और राजनीतिक दल भाजपा से लेकर उसके पीछे खड़े दुनिया के सबसे बड़े गैर राजनीतिक संगठन (एनजीओ) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सब मतदाताओं के सामने आ गए हैं। पूरी भाजपा को एकजुट बताने की कोशिश हो रही है। तीन बड़े नेताओं (दो तो संघ के प्रमुख से भी उम्र में बड़े) को छोड़ कर पूरी पार्टी एक राज्य के मुख्यमंत्री के अधीन कर दी गई है, इनमें तीन अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री तथा पार्टी के कई पूर्व अध्यक्ष भी शामिल हैं। 

कुत्ते के बच्चे से लेकर गुजरात माडल का सुशासन, जिससे जीत न सको उसे सामने से (या दुनिया से) हटा दो। दस साल तक जिसके साथ सरकार में थे बेहतरीन सरकार बता रहे थे उससे हटते ही वह दुनिया की सबसे खराब सरकार हो गई। यह सब कथनी और करनी के अंतर खुल कर सामने आ गए। हिंदू राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी हिंदू का अर्थ भी खुल कर मुंबई की सड़कों पर लगे बड़े होर्डिंगों से साफ हो गया है।

अब देश की जनता के सामने सब कुछ खुला हुआ है। सत्ता में कांग्रेस है उसके अपने कारनामे अपने सिद्धांत अपनी मजबूरियां हैं। वह पहले से राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में काम कर रही है। उसके निर्देश के बिना पत्ता तक नहीं हिलता, यही बात अब तक भाजपा में नहीं थी क्योंकि उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष की तो अब तक कोई सुनता ही नहीं था। इसलिए अध्यक्ष को एक किनारे कर किसी और को नेता बनाया गया और डंडे के जोर पर सबको शांत रहने को कहा गया।

यह पहला मौका है जब पूरी भाजपा को एकजुट दिखाने की कोशिश की गई है। उसके सभी प्रवक्ताओं से आक्रामक होने को कहा गया है। गलती केवल एक है, एक नारा इसके चुनाव प्रभारी ने पहले दिन दिया है..देश को कांग्रेसमुक्त करना है..इसका मतलब समझ में नहीं आया। 

कुछ सवाल मन में उठते हैं


-क्या भाजपा के लिए कांग्रेस इतना बड़ा खतरा है
-अगर हां तो उसने किया क्या है कि उसे चुनाव में हराना लक्ष्य नहीं खत्म करना जरूरी है (शक होता कहीं भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं पर हमला इसी नीति का अंग तो नहीं था, या बंगाल में चुन कर कांग्रेस नेता मारे गए, कहीं यह शुरुआत है या महज संयोग) 
-क्या भाजपा का मूल लक्ष्य देश को हिंदू राष्ट्र बनाना है (क्या इस्लामी देश पाकिस्तान से घबराकर) 
-अगर हां तो इस विशाल देश में निवास करने वाले अन्य धर्मों के लोगों का क्या होगा
-क्या उन्हें जबरन हिंदू बनाया जाएगा  (जिसका विधान सनातन धर्म के किसी पवित्र ग्रंथ में नहीं है)
-क्या उन्हें वैसे खत्म किया जाएगा जैसे गुजरात के दंगों के वक्त किया गया (तब तो पहले निरपराध हिंदुओं की भी बलि देनी होगी)
-क्या हिंदू राष्ट्र का विचार पूरा देश स्वीकार करेगा
-अगर संसद में भाजपा को 543 में से 400 सीटें मिल गई तो क्या वह निरंकुश होने की कोशिश नहीं करेगी

परेशानी यह है कि भाजपा के प्रवक्ताओं से अगर इन सवालों के जवाब मांगे जाते हैं तो वे सवाल पूछने वाले को कांग्रेस का दलाल कह कर गाली देने लगते हैं। यह लोकतंत्र का सबसे घातक कदम है।

भाजपा को चाहिए वह अपने विचारों को दबाने या सामने वाले पर दादागीरी करने के बजाय स्पष्टीकरण का रास्ता अपनाए। अगर वह देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करना चाहती है (जैसा लोगों को लगता है) तो उसे साफ हना चाहिए..हां हम सत्ता में आए तो भारत (जिसे वह हिंदुस्थान कहती है) को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। तब बाकी धर्म वालों का क्या होगा। उसे बताना चाहिए। भले ही वह कितना भी कटु क्यों न हो। जो मुसलमान हिंदू धर्म कबूल नहीं करेंगे या देश छोड़ कर नहीं जाएंगे उन्हें जबरन हिंदू बनाया जाएगा या कत्ल कर दिया जाएगा। क्योंकि कुछ मुसलमान शासकों ने भी इस देश में हिंदुओं को जबरन मुसलमान बनाया था। सिख गुरु को गरम तवे पर बैठाया गया था, कुछ को खौलते तेल की कड़ाही में जिंदा डल दिया गया था। हमें उसका बदला लेना है। लेकिन किससे। वे पीढ़ियां तो गुजर गईं। अंग्रेज भी भारत में आए तो अदालतों का कामकाज फारसी में ही जारी रखा। आज भी अदालतों के कई कानूनी शब्द लिखे जाते हैं जो न तो जजों के समझ में आते हैं न वकीलों के। 
भाजपा को चुनाव से पहले बताना चाहिए कि क्या वह सत्ता में आने के बाद भारतीय संविधान को बदलेगी। यह संविधान तो ऐसा है कि इसमें देश का नाम संप्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य भारत (सोवरिन सोशिलस्ट सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ इंडिया)  लिखा है। देश के 5 फीसदी लोग भी अगर इसे ठीक से बता सकें तो देश के संविधान निर्माताओं पर अहसान होगा। इसके कई अनुच्छेद देश की जनता को इतना ज्यादा अधिकार देते हैं कि इंदिरा गांधी को इसमें संवैधानिक कर्तव्य जुड़वाने पड़े थे। जिन्हें कोई नहीं मानता। ये अधिकार भाजपा की विचारशैली से मेल नहीं खाते। उसमें जो सत्ताध्यक्ष (फिलहाल आरएसएस) कहे उसके खिलाफ बोलना देशद्रोह माना जाता है।

सर्वधर्मसमभाव या एकोअहम दूसरो न कोय

सत्ता में आने पर वह अयोध्या, काशी, मथुरा में तो भव्य मंदिर बनवाएगी, समझ में आता है। लेकिन अन्य धर्मों के वर्तमान धर्मस्थलों का क्या होगा..यह स्पष्ट करना जरूरी है। इन धर्मस्थलों का अभिप्राय केवल मस्जिदों से नहीं है, इनमें गिरजाघर, गुरुद्वारे आदि भी शामिल हैं। ईसाई धर्मावलंबियों का क्या होगा। संघ से जुड़े कई दल पादरियों को खुले आम धमकियां देते हैं। उनका क्या होगा। धर्मपरिवर्तन की जो कहानियां (या हकीकत है) वे क्या ईसाई धर्म को भी खत्म करने के लिए हैं। तब विश्व के अन्य ईसाई बहुल देशों के सवालों के जवाब देने के लिए भाजपा की क्या तैयारी है।
क्या संकट खत्म हो जाएगा

मान लिया भाजपा को संसद की सारी सीटें मिल गई (जो संभव नहीं है), देश को हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया (जो हो नहीं सकता) क्या उससे सारे संकट खत्म हो जाएंगे। क्या तब हिंदू धर्म के भीतर के निचले और उपरि वर्ग नहीं उभरेंगे। भारत में मुसलमानों और उनसे भी पहले विदेशियों (आर्यों के बाद) के आने से पहले शैव, शाक्त, वैष्णव आदि के बीच संघर्ष की गाथा देखने को मिलती है। सुर असुर देव दानव क्या वही व्यवस्था फिर शुरू होगी। ब्राह्मण बड़ा या क्षत्रिय, वैश्य न हुआ तो बाजार कैसे चलेगा, क्या शीर्ष तक पहुंचे शूद्र फिर से जूते बनाने या लोगों का मैला उठाने गांव के बाहर रहने और सार्वजनिक कुएं या नल या बांध का पानी पीने से वंचित रहेंगे। तब विमान में यात्रा करने के लिए क्या केवल कुछ लोग ही रह जाएंगे (भगवान राम या श्रीकृष्ण जैसे। ट्रेनों के द्वितीय श्रेणी और वातानुकूलित श्रेणियां क्या वर्ग विशेष के लिए ही रह जाएंगी।

वैसे, इन सबका आक्रामक जवाब भाजपा की ओर से मैं ही दे दूं...वे कहेंगे, ये किसी कांग्रेसी की चाल है। पहले जीत कर सत्ता में आने दो फिर बताएंगे कांग्रेस को भी इस लेखक को भी। मैं यहां साफ कर दूं मेरा किसी राजनीतिक दल से दूर दूर तक का रिश्ता नहीं है। मेरी अपनी विचारधारा है। ये सभी सवाल आम जनता के मन में भी उठते हैं, लेकिन हिम्मत किसमें है ये पूछने की। खुद भाजपा के कार्यकर्ता अपने नेताओं से नहीं पूछ सकते, और नेताओं को तो पता ही नहीं जीतने के बाद वे करेंगे क्या। उन्होंने कांग्रेस को हटाने के अलावा कुछ सोचा ही नहीं (सोचा तो है कुबेर के बारे में)।

अगली बार कुछ ऐसे ही ज्वलंत सवाल

20 जुल॰ 2013

टीम मोदी के ऐलान के पीछे भाजपा की रणनीत‌ि

know the politics behind announce team modiटीम मोदी का ऐलान होने के साथ ही साफ हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव के महासमर में मोदी ही भाजपा का चेहरा होंगे। अब संपूर्ण भाजपा मोदी की छतरी के नीचे आ गई है।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली, पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी, वैंकेया नायडू व नितिन गडकरी से लेकर पार्टी शासित राज्यों के तीनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और मनोहर पारीकर को भी टीम मोदी में शामिल किया गया है।टीम मोदी के साथ ही भाजपा ने चुनावी जंग को फतह करने के लिए 20 समितियों का भी गठन किया है। ये सभी समितियां मोदी के मातहत होंगी।
टीम मोदी में महासचिव अनंत कुमार व थावर चंद गहलोत और संगठन मंत्री रामलाल को भी रखा गया है। यानी अस्वस्थ चल रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही लालकृष्ण आडवाणी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को छोड़ बाकी पूरा संसदीय बोर्ड टीम मोदी में शामिल है।गौरतलब है कि संसदीय बोर्ड भाजपा की सबसे ताकतवर संस्था है और प्रधानमंत्री तय करने से लेकर सभी बड़े फैसले यही बोर्ड करता है।
पार्टी महासचिव अनंत कुमार ने टीम मोदी का ऐलान करते हुए कहा कि चुनाव में भाजपा का नारा ‘एनडीए का सुशासन लाओ और यूपीए का कुशासन भगाओ’ होगा। उन्होंने साफ कर दिया कि यह टीम लोकसभा चुनाव के लिए है। टीम मोदी बनाते समय पार्टी नेताओं को ही नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं को भी सक्रिय रखने की खास व्यवस्था की गई है।
 एक ओर जहां नई टीम में लगभग सभी छोटे-बड़े नेताओं को शामिल किया गया है तो दूसरी ओर कार्यकर्ताओं को व्यस्त रखने के लिए बूथ स्तर पर कई कार्यक्रम की योजना बनाई गई है। इसी रणनीति के तहत टीम की घोषणा के साथ ही भाजपा ने यूपीए सरकार के खिलाफ हल्ला बोल अभियान शुरू करने की घोषणा की है।
इसके तहत पार्टी अगले महीने से देशभर में 100 रैलियों का आयोजन, बूथ स्तर के कार्यकर्ता सम्मेलन और इसी दौरान एक बूथ 10 यूथ की योजना को अमली जामा पहनाने की घोषणा की है।पार्टी महासचिव अनंत कुमार ने बताया कि नई टीम अलग-अलग मोर्चों से यूपीए सरकार पर एकजुट हमला बोलेगी। यूपीए सरकार का कच्चा-चिट्ठा खोलने के लिए वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे और रविशंकर प्रसाद की अगुवाई में एक टीम दस्तावेज तैयार करेगी।

ब्राह्मणों से मिलते हैं मुसलमानों के जीन्‍स, यूपी में रिसर्च से हुआ खुलासा!

ब्राह्मणों से मिलते हैं मुसलमानों के जीन्‍स, यूपी में रिसर्च से हुआ खुलासा!लखनऊ. कभी मंदिर कभी मस्जिद, कभी आरक्षण  कभी शिक्षा, तो कभी सरकार की सहूलियतों के नाम पर राजनीतिक पार्टियां हिन्‍दू और मुसलमानों को अलग-अलग करने की कोशिश करती रहती हैं। लेकिन सच यह है कि हिन्‍दू और मुसलमान आपस में भाई-भाई ही हैं। उनके खून का रंग ही नहीं बल्कि उनके जीन्‍स भी एक जैसे हैं।
 
लखनऊ के एसजीपीजीआई के वैज्ञानिकों ने फ्लोरिडा और स्‍पेन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किए गए अनुवांशिकी शोध के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। शोध लखनऊ, रामपुर, बरेली और कानपुर जैसे शहरों के करीब 2400 मुसलमानों और हिंदुओं पर किया गया था। वैज्ञानिक इस शोध को चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य की दिशा में बड़ी सफ़लता मान रहे हैं। 
 इस शोध के बाद चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी तमाम बीमारियों के इलाज को लेकर रिसर्च शुरू हो गई है। वहीं सामाजिक तौर पर बात करें तो इस शोध का व्‍यापक असर लगातार सांप्रदायिक दंगों से जूझ रहे यूपी पर भी पड़ने की उम्‍मीद की जा रही है।
 अमेरिका की फ्लोरिडा अंतरराष्‍ट्रीय यूनिवर्सिटी के डिर्पाटमेंट ऑफ बायोलॉजिकल साइंस के डॉ. मारिया सी टेरेरोस, डेयान रोवाल्ड, रेने जे हेरेरा, स्‍पेन की यूनिवर्सिटी डि विगो के डिपार्टमेंट ऑफ जेनटिक्स के डॉ.ज़ेवियर आर ल्यूस और लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई के अनुवांशिकी रोग विभाग की प्रोफ़ेसर सुरक्षा अग्रवाल और डॉ. फैज़ल खान ने शिया और सुन्नी मुसलमानों के जीन पर लंबे शोध के बाद यह निष्‍कर्ष निकाला है।
इनके शोध को अमेरिकन जर्नल ऑफ़ फिजिकल एंथ्रोपॉलॉजी ने भी स्वीकार किया है।
 प्रोफ़ेसर सुरक्षा अग्रवाल बताती हैं कि रिसर्च शुरू करने से पहलेउन्‍होंने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ ही एसजीपीजीआई से नीतिगत सहमति हासिल की। इसके बाद उन्होंने उत्‍तर प्रदेश के विभिन्‍न जिलों में रहने वाले मुस्लिम परिवारों का एक डेटा बेस तैयार किया। उसे एक्‍सेल शीट पर लिस्‍टेड किया गया। इसके बाद स्‍टेटिस्टिकल टेबल के माध्‍यम से रैडमली नामों और जानकारियों को सेलेक्‍ट किया गया।

बिहार में मिडडे मील की आई एफएसएल रिपोर्ट, खाने में तय सीमा से पांच गुना ज्यादा था कीटनाशक

छपरा/ मिड-डे मील हादसे की प्रारंभिक फोरेंसिक जांच रिपोर्ट में खाने में ऑरगेनो फॉस्फोरस होने की पुष्टि हो गई है. यह एक कीटनाशक है. हादसे का शिकार हुए बच्चों के शरीर में भी यही कीटनाशक पाया गया था.
मिड डे मीलबिहार के एडीजी (हेडक्वाटर्स) रवींद्र कुमार ने कहा, 'फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट से ये बात सामने आई है कि मोनोप्रोटोफॉस ऑर्गेनिक फास्फोरस पाया गया है. इसका प्रयोग खेती में किया जाता है और इंसानों के लिए यह जहरीला होता है. यह तेल में पाया गया है.'
उन्होंने कहा कि अभी हम सबूत जुटा रहे हैं फिर दोषी को पकड़ेंगे. यह कह पाना मुश्किल है कि तेल में यह गलती से मिला या इसके पीछे कोई साजिश है.
इससे पहले गुरुवार को बिहार के प्रधान सचिव ने खाने में तेल की जगह कीटनाशक डाल दिए जाने की आशंका जाहिर की थी. उन्‍होंने बताया था कि खाना बनाते वक्‍त कड़ाही में तेल डालते ही उसमें से काला धुआं निकला था. साथ ही उसका रंग भी काफी अजीब था.
प्रधान सचिव ने माना था कि स्कूल प्रशासन से कई स्तरों पर लापरवाही हुई. रसोइए ने तेल के रंग और रिएक्शन को लेकर शिकायत की थी, लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया. इतना ही नहीं, मिड-डे मील को बच्चों को परोसने से पहले नियम के मुताबिक चखकर भी नहीं देखा गया था. इस हादसे में 23 बच्चों की मौत हो गई थी.

समाज के सभी वर्गों की राय लेने के बाद ही पार्टी का घोषणा पत्र तैयार किया जाए=राहुल

बीजेपी और कांग्रेस पार्टी में चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं. जहां बीजेपी मोदी से मंत्र ले रही है. वहीं कांग्रेस अपने राहुल की रणनीति पर चलने को तैयार है. शुक्रवार को बीजेपी की चुनाव अभियान समिति का ऐलान हुआ. पार्टी ने 2014 लोकसभा चुनावों और 5 राज्‍यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए 20 समितियों और उप समितियों का ऐलान किया.
राहुल गांधी वहीं  जब कांग्रेस की चुनाव समिति की बैठक हुई तो राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि पार्टी आम आदमी को रिझाने का कोई मौका नहीं चूकेगी. सूत्रों के हवाले से खबर है कि राहुल गांधी ने चुनाव समिति से कहा है, 'समाज के सभी वर्गों की राय लेने के बाद ही पार्टी का घोषणा पत्र तैयार किया जाए. वहीं, इसमें महिला और युवाओं पर फोकस करने की जरूरत है.'
सू्त्रों की माने तो कांग्रेस के युवराज ने यह भी सुझाव दिया कि घोषणा पत्र तैयार करने की प्रक्रिया सिर्फ चुनिंदा नेताओं तक सीमित नहीं रहनी चाहिए. इस कदम के जरिए कांग्रेस अपनी हाइकमान संस्कृति वाली छवि को बदलना चाहती है. गौरतलब है कि कांग्रेस पर चंद नेताओं को फैसले लेने का अधिकार लेने का आरोप लगता रहा है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसा करके राहुल गांधी छत्रपों को व्यवस्था में शामिल करना चाहते हैं.

9 जुल॰ 2013

मोदी को खुली छूट नहीं मिलेगी


It-would-be-a-disaster-with-Narendra-Modi-at-helm-Buddhadeb-BhattacharjeeIt-would-be-a-disaster-with-Narendra-Modi-at-helm-Buddhadeb-Bhattacharjeeनई दिल्ली, नरेंद्र मोदी को केंद्रीय चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने के ठीक एक महीने बाद सोमवार को बीजेपी संसदीय बोर्ड ने तय किया कि पार्टी की चुनावी रणनीति को कामयाब बनाने के लिए मोदी और राजनाथ सिंह मिलकर कमिटियां बनाएंगे। यह भी तय हो चुका है कि मोदी को चुनाव अभियान से जुड़े नीतिगत फैसले संसदीय बोर्ड की सलाह से ही लेने होंगे। संकेत साफ हैं कि मोदी को फ्री हैंड नहीं मिलने जा रहा है। इसे लालकृष्ण आडवाणी के कथित मोदी विरोधी अभियान का नतीजा माना जा रहा है।
गोवा में कार्यकारिणी बैठक में जब मोदी को कैंपेन कमिटी का चीफ घोषित किया गया था तब यह माना जा रहा था कि अब चुनाव प्रचार की कमान सीधे मोदी के हाथ में आ गई है और वही अपनी टीम बनाकर अपने तरीके से चुनाव अभियान चलाएंगे। लेकिन एक महीना बीतने के बावजूद अब तक मोदी की अध्यक्षता वाली चुनाव अभियान समिति का गठन नहीं हो सका है। अब तक माना जा रहा था कि आडवाणी की नाराजगी को देखते हुए मोदी की टीम का ऐलान टाला जा रहा है लेकिन सोमवार को संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद बताया गया कि मोदी को राजनाथ के साथ मिलकर ही फैसले लेने होंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भले ही मोदी और राजनाथ में इस वक्त जबरदस्त पटरी बैठती है लेकिन ताजा फैसले का मेसेज यही है कि पार्टी मोदी को इतनी छूट नहीं देना चाहती कि वह मनमर्जी से फैसले ले सकें।
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रथयात्रा मामले में एक और मामला मदुरै : भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को कथित तौर पर निशाना बनाकर 2011 में तमिलनाडु में पाइपबम रखने के सिलसिले में गिरफ्तार मोहम्मद हनीफा पर मंगलवार को हत्या की कोशिश का ताजा मामला दर्ज किया गया।कथित तौर पर देशी पाइप बम बनाने में शामिल होने के सिलसिले में हनीफा को कल अपराध शाखा की सीआईडी पुलिस के दल ने गुप्त सूचना के आधार पर डिंडिगुल जिले में बटालागुंडू से एक ठिकाने से गिरफ्तार किया। हनीफा के साथ ठहरा एक व्यक्ति लेकिन बच निकला। पुलिस ने हनीफा के पास से एक किलोग्राम डेटोनेटर पाउडर समेत कुछ विस्फोटक सामग्री बरामद की जिसका इस्तेमाल पाइपबम बनाने में किया गया था।

पुलिस ने कहा कि हनीफा ने उस समय कथित तौर पर डीएसपी कार्तिकेयन पर घातक हथियार से हमला करने का प्रयास किया जब वे अन्य पुलिसकर्मियों के साथ उसके ठिकाने पर उसे गिरफ्तार करने पहुंचे थे। पुलिस ने बताया कि हालांकि कार्तिकेयन बच गए। इस बीच, पुलिसकर्मियों ने हनीफा को काबू कर लिया और उसे गिरफ्तार कर लिया।

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