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15 मई 2013

करोड़ों के जमीन घोटाले की जांच


जयपुर, 15 मई। राजस्थान विश्वविद्यालय की झालाना डूंगरी रोड स्थित बेशकीमती जमीन खुर्द-बुर्द हो गई है। बीस एकड़ से अधिक क्षेत्र वाली इस जमीन का वर्तमान बाजार मूल्य करोड़ों रुपए है। 
uni-rentमामले को गंभीरता से लेते हुए विवि के कार्यवाहक कुलपति का कार्यभार संभाल रहे संभागीय आयुक्त ने जमीन पर हुए कथित अतिक्रमण की जांच के लिए कमेटी बना दी है। शिक्षकों-कर्मचारियों की शिकायत और सूचना के अधिकार के तहत विवि के पक्ष में सामने आए सबूतों के बाद कुलपति ने इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट के आने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से भी इस सनसनीखेज मामलेे की जांच करवाए जाने की तैयारी की जा रही है। दरअसल, राजस्थान विवि को 1961 में तत्कालीन राज्यपाल डॉ. सम्पूर्णानंद ने 157 एकड़ जमीन दी थी। यह जमीन विवि को तीन अलग-अलग टुकड़ों में दी गई थी। जिस पर कैम्पस का विकास किया गया है। कई एकड़ जमीन अभी भी हरित क्षेत्र के रूप में विवि के अधिकार क्षेत्र में है। लेकिन विवि के शिक्षकों और कर्मचारियों का कहना है कि इस जमीन पर विवि के इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही से कुछ निजी संस्थाओं ने कब्जा कर लिया है।
यह कब्जा झालाना डूंगरी रोड स्थित कैम्पस क्षेत्र में किया गया है। करीब बीस एकड़ से अधिक क्षेत्र की बेशकीमती भूमि पर कथित अतिक्रमण की शिकायत की गई है। जिसके बाद संभागीय आयुक्त और विवि के कुलपति डॉ. मधुकर गुप्ता ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर तथ्यात्मक जानकारी मांगी है। फिलहाल इस कमेटी में विवि के सेवानिवृत्त और कार्यकारी शिक्षकोंं, कर्मचारी और अभियंता को शामिल किया गया है। कुलपति ने दो सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। जिसके बाद भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले की जांच सरकारी स्तर की स्वतंत्र एंजेसियों से करवाए जाने की बात भी कही जा रही है।

महिला पत्रकार की पहल से बची चार जिंदगियां


जयपुर, 15 मई। कड़े सरकारी इंतजाम, सरकारी दावों के बीच राज्य भर में इस बार भी व्यापक पैमाने पर बाल विवाह हुए और सरकारी अमला इन्हें टुकुर-टुकुर निहारने से ज्यादा कुछ नहीं कर सका। स्थानीय राजनीतिज्ञों की शह के चलते जिन कंधों पर इन बाल विवाहों को रोकने की जिम्मेदारी थी खामोश निगाहों से वे अपने सामने शारदा कानून की धज्जियां उड़ते देखते रहे ।़सरकारी मशीनरी के इस असहयोगात्मक रवैये के बावजूद इलेक्ट्रॉनिकचैनल कीएक अति सक्रिय पत्रकार की सजगता से चित्तौडग़ढ़ जिले के सांपलियां गांव में चार नाबालिग बच्चों की शादी करवाए जाने से पहले ही मामले का भांड़ाफोड़ हो गया। प्रकरण का सबसे शर्मनाक पहलू एक जनप्रतिनिधि का पर्दे के पीछे से इस सामूहिक बाल विवाह की सभी व्यवस्थाएं अपने हाथ में रखना है।
स्थानीय थाना पुलिस को पुलिस कंट्रोल से सूचना मिलने के डेढ़ घंटे बाद महज लकीर पीटने के लिए मौके पर पहुंचना सरकारी अमले का कानून विरोधी मानसिकता का स्पष्ट प्रमाण माना जा सकता है। बाल विवाह रोकने के सरकारी दावों की पोल खोलते इस प्रकरण से रूबरू होकर आईं इंडिय़ा टीवी की वरिष्ठ संवाददाता संगीता प्रणवेन्द्र सरकारी अमले की मानसिकता से बेहद आहत हैं। दलित परिवारों के अभावग्रस्त जीवन को और भी दारुणिक बना रहे हालातों से बेहद आहत संगीता प्रणवेन्द्र ने बताया कि 6 वर्ष, 9 वर्ष, 11 वर्ष और 14 वर्ष की चार बहनों की आखातीज पर शादी होने की इतला पर टीवी रिपोटर्र अपनी टीम के साथ चित्तौडग़ढ़ पहुंची। अपनी सजगता का परिचय देते हुए प्रणवेन्द्र ने सर्वप्रथम पुलिस को सूचना दी। लेकिन एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के प्रभाव के कारण पुलिस ने मौके पर पहुंचना उचित नहीं समझा। सारा काम निपट जाने के बाद थाना पुलिस ने मौके पर दस्तक दी।
पुलिस-प्रशासन के इस कारनामे के बारे में जब चैनल रिपोटर्र ने उच्च स्तर पर मय तथ्यों के जानकारी दी तब स्थानीय स्तर पर हड़कंप मच गया। आनन-फानन में संबंधित पटवारी को निलंबित किया गया लेकिन बड़े ओहदेदार फिर भी साफ बच निकले।
स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों की भूमिका भी इस प्रकरण बेहद दागदार नजर आई। कानून और समाज विरोधी इस कृत्य में कार्रवाई होने के बाद भी वहां की कथित महिला संगठनों की ओर से मामले को रफा-दफा करवाने के लिए आखिरी समय तक प्रयास किया गया।
खेलने-खाने की उम्र में जब छोटे बच्चे शादी के बंधन का ठीक से अर्थ भी नहीं जानते हो उम्र के ऐसे दौर में उनकी शादी करना कहां तक न्यायोचित है? इस सीधे सवाल पर सरकारी अमले का मौन जमीनी हकीकत को साफ बयां करता नजर आता है।
    

पूर्व बोर्ड चेयरमैन के कहने पर इधर-उधर होता था गबन का पैसा'


 जयपुर ।गबन मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की नई एफआईआर में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन सुभाष गर्ग का भी नाम है। एसीबी द्वारा आय से अधिक संपत्ति मामले में गिरफ्तार बोर्ड के वित्तीय सलाहकार नरेंद्र तंवर ने खुलासा किया है कि वे गर्ग के कहने पर ही बोर्ड का पैसा इधर-उधर करते थे। एसीबी ने तंवर और नोएडा के कारोबारी अजय जेडका के खिलाफ गबन, पद के दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को लेकर नया केस दर्ज किया है। इसी में गर्ग का नाम भी है। इससे पहले तंवर के खिलाफ 15 मार्च को एक एफआईआर दर्ज की गई थी। 

तंवर बोर्ड के खातों से लाखों रुपए कर्नाटक के मदिकेरी में अपने भाई मोहन तंवर की अदरक और कालीमिर्च की फर्म के नाम जमा करा रहा था। विभिन्न खातों में जमा कराई गई गबन की यह राशि फिलहाल 11 करोड़ रुपए आंकी गई है। छानबीन में इसके और ज्यादा होने की संभावना है।

तंवर ने पूछताछ में एसीबी को बताते था कि तत्कालीन चेयरमैन सुभाष गर्ग के जुबानी निर्देश पर उसने अजय जेडका की पिरामिड कंपनी और जेडका की बताई अन्य कंपनियों के नाम बोर्ड के खातों से चेक जारी किए थे। गर्ग की नियुक्ति मौजूदा कांग्रेस सरकार के समय हुई थी। प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन का नाम एफआईआर में आया है।
 
अनजान बने रहे बोर्ड के चेयरमैन और अधिकारी

एसीबी की जांच में सामने आया कि तंवर बोर्ड के 54 करोड़ रु. की एफडीआर से संबंधित सभी खाते अपने घर से चलाता रहा और बोर्ड के अधिकारी अनजान बने रहे। उसने बैंक ऑफ बड़ौदा की वैशालीनगर अजमेर शाखा में खाता नंबर 17370100014573 सचिव माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के जरिए खुलवाया था। इस खाते में पीएनबी की एक शाखा से 8 व 9 अक्टूबर 2012 को 5,46,83,763 रुपए और 5,46,96,539 रुपए की एफडीआर की राशि जमा कराई।
इस राशि को अगले ही दिन तंवर ने आठ खातों में चेक काटकर जमा करा दिया। एसीबी ने तंवर के घर की तलाशी ली तो स्वयं, पत्नी मंजू और पुत्र प्रियांशु के नाम विभिन्न बैंक खातों की चेक बुक, जमा रसीदें और अन्य दस्तावेज मिले। इसके बाद बैंकों से स्टेटमेंट लिया गया तो पूरा मामला खुल गया। एसीबी ने पांच खातों की डिटेल हासिल की।

बोर्ड का पैसा खुद लूटा, रिश्तेदारों में भी लुटाया

तंवर ने बोर्ड के खाते से चेक काटकर जयपुर के वर्धमान नगर में 25 लाख रु. का मकान खरीदा। हाउसिंग बोर्ड के मकान की किस्त के पैसे भी चुकाए। यह राशि 4.65 लाख रुपए थी। तंवर ने बोर्ड का पैसा साढ़ू अशोक कुमार, पत्नी मंजू, भाई राजकुमार, भाभी विमला, भतीजे दिलीप, भतीजी मिताली, साली अंजू और नीतू, दोस्त पुष्कर मिश्रा, हीरानंद मिश्रा, विमलेश मिश्रा, राजेश कौशिक आदि पर भी लुटाया। 
 
गर्ग ने रुकवाया था तंवर का तबादला

बोर्ड से नरेंद्र तंवर का तबादला हुआ तो चेयरमैन की हैसियत से गर्ग ने 31 मार्च 2011 को मुख्य सचिव सीके मैथ्यू को डीईओ लेटर लिखा था। इसमें तर्क दिया गया था कि तंवर के बिना बोर्ड का काम नहीं चलेगा।

सुभाष गर्ग, तत्कालीन चेयरमैन, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर
इन फर्मों को किया गया भुगतान

पिरामिड आईटी नोयडा         3.10 करोड़ रुपए

माइक्रो इन्फो सोल्यूशन दिल्ली        90 लाख

अशोक तंवर        1 लाख

जाजोट एंटरप्राइजेज अजमेर        1.80 लाख

शांति ट्रेडिंग कंपनी कर्नाटक        5 करोड़ 92 लाख 59 हजार (सगे भाई की कंपनी)

त्रिलोक बंसल        2 लाख 10 हजार

उमासिंह जयपुर को मकान की खरीद के लिए        46.25 लाख

संदीप सिंह जयपुर को मकान खरीद के लिए        5 लाख रुपए

आरएस डाटा सोल्यूशन        20 लाख

पैसिफिक ट्रेड लिंक        30 लाख

एयरोमरीन        15 लाख


तंवर झूठ बोल रहा है : सुभाष गर्ग 

बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन सुभाष गर्ग ने कहा कि नरेंद्र तंवर झूठ बोल रहा है। बोर्ड ने विवादित पेमेंट तत्काल बंद कर दिए थे। तंवर की जगह लगाया गया व्यक्ति उपयुक्त नहीं था, इसलिए तंवर का तबादला कुछ समय रोकने के लिए मैंने मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। मेरा मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

14 मई 2013

खुद आदिवासी कल्याण योजनाओं की मॉनिटरिंग करेंगी राज्यपाल


जयपुर । राजस्थान में आदिवासियों के कल्याण की योजनाओं के क्रियान्विति में ढि़लाई से राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। इसीलिए उन्होंने कड़ा कदम उठाते हुए अब खुद इन योजनाओं की मॉनिटरिंग करने का निर्णय किया है। इसके लिए राजभवन में अलग से प्रकोष्ठ बनाया गया है।
राज्यपालको इस प्रकोष्ठ का उद्घाटन किया। राज्य में आदिवासियों के कल्याण की योजनाओं की धीमी क्रियान्वित को लेकर शुरू से राज्यपाल काफी समय से असंतुष्ट रही है, वे खुद आदिवासी इलाकों का दौरा कर चुकी है। वह कई मंचों पर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुकी है। हालांकि आज उन्होंने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राजस्थान में आदिवासियों की हालात छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के आदिवासियों के मुकाबले ठीक है।
आदिवासी इलाकों में सरकारी कर्मचारियों का ठहराव नहीं होने के मामले में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आदिवासी इलाकों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी करे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी वे इस बात की शिकायत कर चुकी है। समय-समय पर इन योजनाओं से जुड़े अफसरों को आगाह भी कर चुकी है।
राजभवन में बनाए गए आदिवासी कल्याणकारी योजना प्रकोष्ठ में कर्मचारी और अधिकारी भी तैनात किए गए हैं। इनमें एक उप सचिव, एक संयुक्त सचिव सांख्यिकी और एक विधि सचिव के साथ कंप्यूटर ऑपरेटर, लिपिक और सहायक कर्मचारी शामिल है। इस प्रकोष्ठ में आदिवासियों से संबंधित सभी प्रकार की योजनाओं का लेखा-जोखा होगा। रोजाना उनकी प्रगति रिपोर्ट ली जाएगी।
सूत्रों के अनुसार राज्यपाल की मंशा है कि आदिवासियों के कल्याण की सभी योजनाओं की समय पर क्रियान्वित हो, ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।

अब समुद्र के रास्ते चीन बढ़ा रहा है भारत की चिंता


नई दिल्ली। भारतीय सीमा में घुसपैठ के बाद अब चीन हिंद महासागर में अपनी सक्रियता बढ़ा रहा है। भारत की जल सीमा के बाहरी क्षेत्र में चीन ने करीब दो दर्जन पनडुब्बियां तैनात कर रखी हैं। हिंद महासागर में बढ़ती चीन की मौजूदगी पर नौसेना ने चिंता जाहिर की है। मंगलवार से यहां शुरू हो रहे नौसेना अधिकारियों के सम्मलेन में भारत की समुद्री सीमा के करीब चीनी नौसैनिकों की मौजूदगी का मुद्दा उठ सकता है।
China increased activity in hind mahasagarसम्मेलन का उद्घाटन रक्षा मंत्री एके एंटनी करने वाले हैं। सम्मेलन में नौसेना में अनुशासन के मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है। समेकित रक्षा स्टाफ मुख्यालय ने हाल में रक्षा मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में हिंद महासागर में चीनी युद्ध पोतों और पनडुब्बियों की तैनाती की जानकारी दी है। स्टाफ मुख्यालय ने अमेरिकी एजेंसी से प्राप्त आंकड़ों के आधार कहा था कि 22 चीनी पनडुब्बियां देश की जल क्षेत्र के बाहर तैनात कर रखी हैं। हिंद महासागर के अलावा चीन ने बांग्लादेश के चटगांव और सिटवे, म्यांमार के कोको द्वीप, श्रीलंका के हमबनटोटा और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के आसपास भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसके जरिए चीन भारत को समुद्र की तीन दिशाओं से घेरने की कोशिश कर रहा है।

तोते को पिंजड़े से आजाद करने के लिए बनी मंत्रियों की टीम


PM constitutes GoM to review CBI's autonomyनई दिल्ली। सीबीआइ को स्वायत्तता बनाने के लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिसमूह का गठन किया गया है। प्रधानमंत्री ने मंत्रिसमूह का गठन किया है। इसमें गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, कानून मंत्री कपिल सिब्बल, विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद और पीएमओ में राज्यमंत्री नारायण सामी का नाम भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई की स्वायत्त बनाने और इस संबंध में एक कानून बनाने की हिदायत दी थी जिसके बाद यह जीओएम गठित किया गया है। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंत्रिसमूह से साफतौर पर कहा है कि इस काम के लिए सरकार के पास ज्यादा समय नहीं है लिहाजा जल्द से जल्द सलाह कर कानून बनाने की कवायद आरंभ कर दी जाए।
बता दें कि कोर्ट सीबीआई की जांच में केंद्र सरकार के दखल की बात कही थी। जिसे सीबीआई ने हलफनामा देकर स्वीकार भी किया था। कोयला घोटाला के संबंध में हो रही जांच में आंच खुद पीएम मनमोहन सिंह तक पहुंच रही है।

13 मई 2013

जिंदगी-मौत में सिर्फ 90 मिनट का फासला: फिल्म नहीं, ये है असल जीवन का संघर्ष!

जयपुर। दिल्ली बाईपास पर पुलिया नंबर दो के पास मिलन कॉलोनी में रविवार शाम को तीन मंजिला निर्माणाधीन बिल्डिंग भरभरा कर गिर गई। मलबे में एक ठेकेदार के दबे होने की सूचना मिली, लेकिन काफी देर तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई।
 
45 मिनट बाद इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम पहुंची, तो उसे लाइफ डिटेक्टर की सहायता से  मलबे में किसी के जीवित होने का पता चला।
 
इसके बाद करीब 45 मिनट में नागरिक सुरक्षा टीम ने शाम साढ़े सात बजे ठेकेदार को जिंदा बाहर निकाल लिया। ..लेकिन अफसोस! काफी समय तक दबे रहने और खून बह जाने से ठेकेदार की सवाई मानसिंह अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई।