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Founder Editor(Print): late Shyam Rai Bhatnagar (journalist & freedom fighter) International Editor : M. Victoria Editor : Ashok Bhatnagar *
A newspaper with bold, open and democratic ideas {Established : 2004}

25 अग॰ 2013

गिरा कौन रुपया या हम



राकेश माथुर
मीडिया बड़े जोर शोर से कह रहा है कि रुपया तो 70 छूकर भी 60 या 50 पर लौट आएगा लेकिन सरकार जिम्मेदारी समझे यह असंभव ही है। किंतु समझानी ही होगी। चाहे ऐसे गैर जिम्मेदार मंत्रियों को चुन चुन कर चुनाव में हराना पड़े। नए चुने कम धोखा देंगे-ऐसा जरूरी नहीं है। किंतु धोखा देने के लिए हम किसी को 10 साल क्यों देंगे तब तो न रुपया कमजोर होगा न सरकार बल्कि हम ही होंगे, कमजोर, पुरजोर कमजोर।
भारत में रुपया डालर के मुकाबले गिर रहा है। भारत में लोग सरकार को गालियां दे रहे हैं। खुद अमेरिका में क्या हालत है किसी ने तुलना की है नहीं क्यो क्योंकि हमारे यहां एक मानसिकता है..प्याज महंगी हो रही है मनमोहन सिंह इस्तीफा दें, कोयला मंत्रालय से फाइलें गायब हो रही हैं मनमोहन सिंह इस्तीफा दें। दिल्ली में किसी ने किसी से बलात्कार किया है प्रधानमंत्री या शीला दीक्षित इस्तीफा दें। गुजरात में कुछ होता है उसकी खबर या तो बाहर ही नहीं आती या आती भी है तो किसी की हिम्मत नहीं जो मोदी से उसी तर्ज में इस्फीफा मांग लें। कहीं ये पेड न्यज या पेड आर्टिकल का मामला तो नहीं हैं। लेकिन जनता समझदार है यह कर्नाटक के चुनाव से साबित कर दिया। लोकसभा उपचुनाव की दो सीटें कांग्रेस की झोली में डालकर।
डालर के मुकाबले रुपए के गिरने से अर्थशास्त्री क्या सोचते हैं यह अलग मुद्दा है। अमीरों के दिक्कत होती है क्योंक वे अपने बच्चों को विदेश पढ़ने भेजते हैं उनका खर्च बढ़ जाता है, जो लोग विदेश घूमने जाते हैं ऐश करने जाते हैं उनका खर्च बढ़ जाता है, लाखों करोड़ों की आलीशान गाड़ियों में घूमने वालों को ज्यादा पैसे पेट्रोल पर खर्च करने पड़ते हैं, सोचने की बात है एक करोड़ रुपए की हमर में या 80 लाख की कार में घूमने वाले या हेलिकाप्टरों में चलने वाले पेट्रोल या डीजल के बढ़े 80 पैसे या एक रुपए देने में ऐसे चिल्लाते हैं मानो सरकार ने उनसे उनकी जिंदगीभर की कमाई छीन ली हो। एसी कमरों में बैठने वाले और कभी बाजार से कुछ न खरीदने वाले बयान देते हैं शहरों में अमीर कौन गावों में गरीब कौन। 
प्याज महंगी क्यों हो रही है.टमाटर सस्ता होने पर कौन फेंक देता है या आलू सस्ते होंते हैं तो ट्रैक्टरों से कुचलता कौन है..आखिर कौन है जो हमारे देश में महंगाई को रुपने नहीं देता।
क्या आप जानते हैं कि डालर के गुण गाने वाले और डालर के बहाने अपने देश को गाली देने वाले नहीं जानते अमेरिका की हालत क्या है। वहां एक ट्रेन दुर्घटना होती है ट्रेन कंपनी दीवालिया होने की अर्जी दे देती है ताकि लोगों को मुआवजा न देना पड़े। कार बनाने वाला सबसे बड़ा शहर दीवालिया होने की अर्जी कोर्ट में लगाता है। क्या आप भारत की किसी कंपनी या शहर का नाम बता सकते हैं जिसने दीवाला निकलने की अर्जी दी हो। अमेरिका में किसी ने राष्ट्रपति ओबामा का इस्तीफा नहीं मांगा। वहां के आर्थिक संकट की जानकारी है.संसद को प्रस्ताव पारित कर दस साल के लिए कटौती करनी पड़ी। कितने हजार लोगों की नौकरियां गईं, मनमोहन सरकार से इस्तीफा मांगने वालों और अमेरिका के गुणगान करने वालों से पूछें। कितने लोगों को जबरन अवैतनिक अवकाश लेने पड़ रहे हैं जरा पूछिए भावी संभावित भावी प्रधानमंत्री से। वे अमेरिकी पद्धति भारत में लागू करना चाहते हैं।
भारत में अमेरिका की तरह प्रधानमंत्री पद के लिए खुली बहस के जरिए चुनाव करवाने की वकालत भाजपा के बड़े नेता ने की है। वे भूल गए कि अमेरिका में प्रधानमंत्री का पद नहीं है और सीधे चुने हुए राष्ट्रपति की हर नियुक्ति को सीनेट की मंजूरी लेनी होती है। भाजपा के वे नेता राज्यसभा में ही पार्टी के नेता हैं लेकिन क्या वे बता सकते हैं कि राज्यसभा ऐसी नियुक्तियों को मंजूरी देती है क्या। मनोमहन सिंह राज्यसभा के सदस्य हैं उन्हें कहते हैं कि वे निर्वाचित नहीं है।
अरे किसी एक पार्टी का समर्थन करो कोई नहीं रोकता लेकिन सफेद झूठ तो मत बोलो। ये जनता है सब जानती है। तथ्यों को न छुपाओ। यूरोप के कितने देशों को वित्तीय संकट से निकलने के लिए बेलआउट लेने पड़े। क्या क्या गिरवी रखना पड़ा ये भी तो बताओ। गरीब रिक्शावाले को डालर से क्या मिलेगा डालर एक रुपए का रहे या सौ का उसकी सेहत पर क्या फर्क पड़ता है। पटरियों के किनारे रहने वालों को डालर का तो नाम भी नहीं मालूम। भारत से समान निर्यात करने वालों को तो ज्यादा रुपए मिलेंगे। एक जमाना था एक डालर के बदले मुझे 16 रुपए मिले थे, आज मेरा बेटा खुश है उसे हर डालर के बदले 60 से 63 रुपए मिलते हैं। मंहगाई की बात करने वाले बताएं 1947 में वेतन कितना था, कार कितने लोगों के पास थी, उसकी तुलना में आज वेतन कितना है, कार किसके पास नहीं है। तब का एक रुपया आज सुनार की दुकान पर मिलता है।
भारत को हिंदुस्तान बताने वालों यह भी बताओ हमारे संविधान में खुद हमने देश का नाम क्या रखा है। मेरा दावा है देश के 98 प्रतिशत लोगों को अपने देश का नाम नहीं मालूम कुछ मेरे जैसे हो सकते हैं लेकिन दो प्रतिशत से ज्यादा नहीं है।

24 अग॰ 2013

84 कोसी यात्रा के मद्देनजर 70 VHP कार्यकर्ता गिरफ्तार


अयोध्या में रविवार से प्रस्तावित 84 कोसी परिक्रमा यात्रा के मद्देनजर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के 70 नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. वीएचपी अपनी 84 कोसी परिक्रमा शुरू करने पर अड़ी हुई है, जबकि प्रदेश सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी है.
File photoफैजाबाद जिला प्रशासन ने इन नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुका था. इस बीच, अयोध्या और फैजाबाद में पुलिस बल की भारी संख्या में तैनाती कर दी गई है. फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट विपिन कुमार द्विवेदी ने फैजाबाद में बताया कि अशोक सिंघल, प्रवीण तोगड़िया और राम विलास वेदांती सहित अन्य नेताओं के खिलाफ वारंट जारी किये गये हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका से इस यात्रा पर पाबंदी लगा दी है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, वीएचपी के 20 कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया है जबकि वेदांती सहित कुछ वरिष्ठ नेता भूमिगत हो गये हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने वीएचपी कार्यकर्ताओं के आवागमन के बारे में खुफिया जानकारी साझा करने के लिए पडोसी राज्यों से मदद मांगी है.
'40 से 50 हजार कार्यकर्ताओं के भाग लेने की उम्मीद'
पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) राजकुमार विश्वकर्मा ने लखनऊ में से कहा, ‘वीएचपी की 25 अगस्त से प्रस्तावित 84 कोसी परिक्रमा के सिलसिले में पड़ोसी राज्यों से खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान का आग्रह किया गया है.’ जिला प्रशासन ने इस यात्रा में वीएचपी के 40 से 50 हजार कार्यकर्ताओं के भाग लेने की उम्मीद जताई है.
द्विवेदी ने कहा कि फैजाबाद में करीब एक दर्जन पुलिस दल विहिप नेताओं के विभिन्न ठिकानों पर नियमित छापे मार रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने सिंघल को इलाहाबाद से आते वक्त अयोध्या जाने की अनुमति नहीं दी. उन्होंने कहा कि अयोध्या और फैजाबाद में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात किये गये हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या फैजाबाद जिले की सीमा सील की जाने वाली है, विश्वकर्मा ने कहा कि इस संबंध में परिस्थितियों को देखते हुए निर्णय किया जायेगा. मगर फिलहाल ऐसी कोई रोक नहीं है और कोई भी शहर की यात्रा कर सकता है. विश्वकर्मा ने कहा कि केवल उन्हें ही अयोध्या जाने से रोका जायेगा जो यात्रा में भाग लेने की नीयत से जा रहे होंगे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इस बात की शिनाख्त कैसे होगी कि कौन परिक्रमा में भाग लेने जा रहा है.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
विश्वकर्मा ने बताया कि फैजाबाद में शांति और व्यवस्था बनाये रखने के लिये पीएसी की 13 और आरएएफ की तीन कंपनियों के अलावा दो पुलिस अधीक्षकों, 19 अपर पुलिस अधीक्षकों, 42 पुलिस उपाधीक्षकों, 135 निरीक्षकों, 430 उपनिरीक्षकों और 1300 सिपाहियों की तैनाती की गयी है.
प्रस्तावित 84 कोसी अयोध्या परिक्रमा पथ फैजाबाद के अलावा बस्ती, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच और अंबेडकर नगर जिलों से होकर गुजरता है.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फैजाबाद और उसके आसपास के जिलों के पार्टी विधायकों के साथ बैठक करके वीएचपी की प्रस्तावित परिक्रमा के मद्देनजर उनके क्षेत्रों में उपजी परिस्थितियों की जानकारी ली.
मुख्यमंत्री ने पार्टी विधायकों से हालात पर करीबी नजर रखने और जो भी स्थिति हो उससे उन्हें और पार्टी को अवगत कराते रहने के निर्देश दिये.


कर्नाटक उप चुनाव में दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत

बेंगलुरु।। कर्नाटक में लोकसभा की दो सीटों के लिए हुए उप चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली है। कांग्रेस ने बेंगलुरु रूरल और मंड्या सीट पर बड़े अंतर जीत हासिल की है। इन दोनों सीटों पर 21 अगस्त को वोटिंग हुई थी। 

उप चुनाव में जेडीएस को दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। जेडीएस कैंडिडेट्स को बीजेपी का भी समर्थन मिला हुआ था। बेंगलुरु रूरल सीट पर कांग्रेस कैंडिडेट डीके सुरेश ने पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी की पत्नी अनीता कुमारास्वामी को हराया है। मंड्या सीट पर कांग्रेस ने कन्नड़ फिल्मों की ऐक्ट्रेस राम्या को उतारा था। उन्होंने अपने राइवल जेडीएस के सीएस पुट्टाराजू को धूल चटाई। 

इस जीत पर कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक प्रभारी दिग्विजय सिंह लोगों का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह जीत दिखाती है कि जनता क्या चाहती है। गौरतलब है कि ये दोनों ही सीटें पहले जेडीएस के पास थी। यह जीत कांग्रेस के लिए इसलिए भी अहम है, क्योंकि जीत का अंतर काफी ज्यादा रहा है।

18 अग॰ 2013

क्या हम वोट बैंक हैं ?



राकेश माथुर

आजकल एक राजनीतिक दल सभी हिंदुओं को एकजुट होने और दूसरे धर्म के सभी लोगों को देशद्रोही बताने में जी-जान से जुटा है। एक राजनीतिक दल के चुनावी खिवैया दंगों के समय एक राज्य के लोगों के पिता समान नेता थे। दंगे हर समय काल में होते रहे हैं। जिनके काल में दंगे होते हैं वे कभी मान लेते हैं कि वे दंगे रोकने में नाकाम रहे इसलिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए या तो इस्तीफा दे देते हैं या माफी मांग लेते हैं। लेकिन ये पिता समान व्यक्ति इस्तीफा देना तो दूर माफी तक मांगने को तैयार नहीं। उनसे चर्चा भी करते हैं तो सवाल पूछने वाले को वे दूसरे राजनीतिक दल का एजेंट बता देते हैं। वहां एक समुदाय के 69 लोगों की हत्या हो जाती है, लोग मरते हैं लेकिन वे मानने को तैयार नहीं कि उन्हें किसी ने मारा था। एक वृद्धा जिसके पति के हाथ पैर काट कर जिंदा जला दिया गया था वह 12 साल से अपने पति के हत्यारे को सजा दिलवाने की कोशिश कर रही है, किसी राज्य की सरकार या सरकार के मुखिया का इस न्याय पाने की मुहिम में अड़ंगा लगाकर रहा है। असल में उन्हें खुद आगे आकर हत्यारे को पकड़वाने कर सजा दिलवाने की कोशिश करनी चाहिए थी। अब वह प्रांतीय मुखिया देश का मुखिया बनने की कोशश में है। उन्होंने नारा दिया है कि देश को एक राजनीतिक दलमुक्त बनाना है। पता नहीं क्यों।

आखिर जिस राजनीतिक दल को ये खत्म करना चाहते हैं उसके नेतृत्व में देश ने आजादी की लड़ाई लड़ी। देश आजाद हुआ। उसके कई नेता आतंकियों के हाथों मारे गए। उस राजनीतिक दल ने विश्व में किसी भी स्वतंत्र देश की पहली महिला प्रधानमंत्री दी, पड़ोसी देश के आक्रामक हमलों को चकनाचूर किया। विश्व महाशक्ति की धमकियों के बावजूद पड़ोसी दुष्ट राष्ट्र के दो टुकड़े करवाए। विश्व में 100 से ज्यादा देशों का नेतृत्व संभाल कर दो महाशक्तियों पर काबू रखा। अंत में उन्होंने उनपर भरोसा कर लिया जिन पर भरोसा न करने को कहा गया था। फलस्वरूप वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री हुई जिन पर उन्हीं के घर में दो सुरक्षा प्रहरियों ने 19 गोलियां शरीर में उतार दीं। उसी राजनीतिक दल के एक और प्रधानमंत्री हुए, जो कभी पायलट थे। उन्होंने देश को आधुनिक बनाने की कोशिश की, कम्प्यूटर लाए तो इस पार्टी के नेताओं ने खुलकर विरोध किया जो आज उसी कम्प्यूटर और नेटवर्क का इस्तमाल कर उनकी पार्टी का समूल नाश करने का ऐलान कर रखा है। उन्होंने देश को कम्प्यूटर, मोबाइल फोन दिया जो देश के लगभग हर शिक्षत के हाथ में हैं, कई लोग तो 24 घंटे इनसे चिपके रहते हैं। अयोध्या के राममंदिर का ताला भी उन्होंने खुलवाया जिसके दम पर दूसरी पार्टी के नेता रथ पर सवार होकर देशभर में घूमे, एक धक्का और दिया जिससे देश के कई हिस्सों में हिंसा फैली। वह नेता एक फर्जी मामले में चले आंदोलन के कारण सत्ता से देश की भोली जनता द्वारा बाहर कर दिया गया। विपक्ष के नेता के तौर पर दक्षिण भारत में चुनावी दौरे पर था जब आतंकी विस्फोट में उसे मार दिया गया। देश का यह एकमात्र राजनीतिक दल है जिसके नेता आतंकी हमलों में मारे जा रहे हैं। एक राज्य में कुछ समय पहले ही उस राजनीतिक दल के नेताओं को घेर कर मार दिया गया। अब पूरे राजनीतिक दल की हत्या की साजिश है। मैं किसी राजनीतिक दल के पक्ष में नहीं हूं लेकिन लोकतंत्र में सत्ता में आने के लिए यह कहना कि देश को फलाना राजनीतिक दल से मुक्त करवाना है, मेरे हिसाब से अलोकतांत्रिक है। तानाशाही है। चुनाव में हराना अलग बात है.यह जनता पर निर्भर है कि वह किसी राजनीतिक दल को एक भी संसदीय सीट न दे या किसी को सारी सीटें दे दे। जनता को यह हक है। लेकिन कभी 2 सीटों से सत्ता तक पहुंची पार्टी जनता से अपील करे कि फलां पार्टी से देश को मुक्त करना है तो कई सवाल और संदेह मन में उठते हैं।

मंगल से आया है दोस्त का संदेश



                                          मार्स वन की मंगल पर बस्ती बसाने की परिकल्पना..

राकेश माथुर

1998-99 के बाद मंगल से मेरे दोस्त का एक और संदेश आया है।  पिछला संदेश तब छपा था मैंने उसने बताया था कि पृथ्वी से आया यान, उस तब उसने छकड़ा कहा था, सुनसान रेगिस्तानी इलाके में उतरा था ठीक वैसे ही जैसे करीब 10000 साल पहले उनके यहां से आया पहला यान पृथ्वी पर तो उतरा था लेकिन अंटार्कटिका में उतरा था। तब वहां आदमजात पहुंची नहीं थी। मंगल के वैज्ञानिकों ने तब मान लिया था कि पृथ्वी पर पानी और बर्फ तो है, लेकिन मनुष्य जैसे किसी प्राणी के रहने लायक नहीं है। उसे पेंग्विन मिले, कुछ बर्फानी भालू। बाद में एक-दो यान कालाहारी और नवादा के रेगिस्तानों में उतर गए। वहां उन्हें कुछ भी नहीं मिला।
लगभग ऐसे ही हमारे यान भी लालग्रह पर उतरे। लगा वहां दूर दूर तक कोई आबादी नहीं है। लेकिन वह असलियत से दूर है। वहां बाकायदा आबादी है। मेरे दोस्त ने संदेश में बताया है कि उनका ग्रह भी पृथ्वी की तरह कई देशों में बंटा है। ज्यादातर देश शांतिप्रिय हैं, लेकिन दुष्ट देश भी हैं। धर्म जैसी चीज वहां भी है लेकिन प्राकृतिक तत्वों की पूजा होती है। सूर्य के साथ नीले गृह (पृथ्वी) की भी पूजा होती है। उनके यहां ऐसा कोई पंडित नहीं जो बताए कि किसी को नीलदोष (पृथ्वी पर मंगलदोष की तरह) लगा है।
अब वे कुछ परेशान से हैं। घबराए नहीं हैं क्योंकि उन्हें पता है कि पृथ्वीवासियों को शारीरिक रूप से उन तक पहुंचने में दशकों लगेगे, सदी भी लग सकती है। मानसिक रूप से कुछ पृथ्वीवासी मुझे गर्व है वे भारतीय भूमि के ही थे। कुछ पुराने साधु संतों ने सदियो पहले ब्रह्मांड भ्रमण की चर्चा की है। मंगलवासियों से मानसिक संपर्क भी किया जिसे टेलिपैथी कहते हैं।
अब पृथ्वी पर एक निजी कंपनी मार्स वन के नाम से लोगों को लालग्रह तक ले जाने का इंतजाम कर रहा है जो यह भी कह रही है कि लोगों को वहीं छोड़ कर आ जाएंगे क्योंकि लाने का इंतजाम नहीं है।
दोस्त ने मुझे भेजे संदेश में कहा है कि पृथ्वीवासियों को पृथ्वी पर लौटाने का इंतजाम वे कर सकते हैं लेकिन सदियों पहले किसी पृथ्वीवासी ने लालग्रह वासियों से किसी लालच के कारण धोखा दिया था इसलिए अब वे भरोसा करने की मानसिक स्थिति में नहीं हैं। हिमालय की कंदराओं से उन तक फिर संदेश पहुंचा है कि गोरे पृथ्वीवासियों पर भरोसा न किया जाए। गोरे ध्रुवीय भालुओं के अलावा केवल दोपाए ही गोरे हैं। ये गोरे दोपाए अमेरिका, रूस, ब्रिटेन या यूरोप के हो सकते हैं। नीदरलैंड्स के वैज्ञानिक भी गोरे हैं।
मैंने अपने दोस्त को भरोसा दिलाया है कि पृथ्वी के वैज्ञानिक मुद्रा की कमी के कारण मेरे जीवनकाल में तो लालग्रह तक यान से पहुंच पाने में सफल नहीं हो सकेंगे। अभी हमारे वैज्ञानिकों ने किसी दूसरे ग्रह को इतनी बारीकी से तलाशने की काबिलियत भी हासिल नहीं की। इसलिए वह दूसरे ग्रह पर रहने वाले प्राणियों को तलाश कर उनसे बात कर सके।

16 अग॰ 2013

दिग्विजय बोले, मोदी की सत्ता की भूख की कोई सीमा नहीं

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिए गए भाषण के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कांग्रेसी नेताओं ने हमले तेज कर दिए हैं। केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा खलनायक कहें जाने के अगले ही दिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उन्हें सत्ता का भूखा व्यक्ति करार दिया।

न्होंने एक ट्वीट में कहा है कि वह इस संबंध में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से पूरी तरह से सहमत हैं कि नरेंद्र मोदी सत्ता के भूखे व्यक्ति हैं। उनके लिए इस भूख की कोई सीमा नहीं है।

गौरतलब है कि भुज में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिए मोदी के भाषण के बाद उनके ऊपर न सिर्फ कांग्रेस बल्कि खुद उनके अपने ही लोगों ने तीर चलाने में कोई देरी नहीं दिखाई है।

मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जिस तरह से प्रधानमंत्री के ऊपर निशाना साधा उसको लेकर वह खुद अपनी ही पार्टी के निशाने पर आ गए। पहले आडवाणी ने कहा कि यह दिन किसी पर भी आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है। इसके लिए पूरा साल पड़ा है। वहीं एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी मोदी के भाषण पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी।

आईएनएस सिंधुरक्षक से मिले तीन शव

मुंबई/ नौसेना के गोताखोरों को दुर्घटनाग्रस्त हुई पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक से तीन शव मिले हैं। यह पनडुब्बी बुधवार को विस्फोट होने के बाद मुंबई गोदी में डूब गई थी।

नौसेना सूत्रों ने बताया कि हमारे गोताखोरों को पनडुब्बी से तीन शव मिले हैं, लेकिन अब तक उनकी पहचान नहीं हो पाई है। रूस में निर्मित 2,300 टन वजन की इस पनडुब्बी में तीन अधिकारियों सहित 18 लोग थे और आशंका है कि इनमें से कोई भी अब जीवित नहीं बचा है।
नौसना ने गुरुवार को उन 18 कर्मियों (अधिकारियों और नाविकों) के नाम जारी किए, जो इस 16 साल पुरानी पनडुब्बी में थे। इन 18 लोगों में से तीन अधिकारी हैं- लेफ्टिनेंट कमांडर निखिलेश पाल, लेफ्टिनेंट कमांडर आलोक कुमार और लेफ्टिनेंट कमांडर आर. वेंकटराज।
आईएनएस सिंधुरक्षक में मौजूद नाविकों की पहचान संजीव कुमार, केसी उपाध्याय, तिमोथी सिन्हा, केवल सिंह, सुनील कुमार देसारी प्रसाद, लिजु लॉरेंस, राजेश तूतीका, अमित सिंह, अतुल शर्मा, विकास, नरोत्ता देउरी, मलय हल्दर, विष्णु वी., सीताराम बदापल्ले के रूप में हुई है।

पनडुब्बी में पानी भर जाने से, उसके अंदर जाने में अत्यंत कठिनाई होने से और उसके अधिकतर उपकरणों के मूल स्थान से हट जाने के कारण तथा दृश्यता कम होने से गोताखोरों के प्रयासों में बाधा आई। विस्फोट के कारण पनडुब्बी के कई उपकरण अपनी मूल जगह से हट गए हैं।

डूबी हुई पनडुब्बी को निकालने के लिए नौसेना डच कंपनी की मदद लेने की योजना भी बना रही है। नौसेना की गोदी पर खड़ी पनडुब्बी में मंगलवार देर रात श्रृंखलाबद्ध विस्फोट हुए जिसके बाद सिंधुरक्षक उथले समुद्र में आंशिक रूप से डूब गई।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को 67वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में कहा कि हमें गहरी पीड़ा है कि हमने मंगलवार देर रात एक दुर्घटना में पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक को खो दिया। इस हादसे में 18 बहादुर नौसैनिकों के मारे जाने की आशंका है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्घटना अधिक दु:खद इसलिए भी है, क्योंकि नौसेना ने हाल ही में परमाणु संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत और विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के रूप में दो बड़ी सफलताएं हासिल कीं।

नौसेना के अनुसार विस्फोट की गर्मी से पनडुब्बी के आंतरिक खोल के हिस्सों के पिघल जाने से उसके अंदर के कंपार्टमेंट में जाना दूभर हो गया। पनडुब्बी से पानी निकालने के लिए भारी पंपों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विस्फोट के चलते पनडुब्बी में बड़े स्तर पर समुद्र का पानी चला गया।
नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी बुधवार को मुंबई पहुंच गए थे। उन्होंने किसी तोड़फोड़ की कार्रवाई की आशंका से इंकार नहीं किया लेकिन कहा कि अब तक इस तरह के संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पनडुब्बी में मौजूद 18 लोगों के जीवित बचने की संभावना बहुत ही कम है। बुधवार को ही रक्षामंत्री एके एंटनी भी मुंबई पहुंचे।
 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी को नौसेना में 1997 में शामिल किया गया था और इसकी लागत लगभग 400 करोड़ रुपए थी। हाल ही में 450 करोड़ रुपए की लागत से रूस में इसका नवीनीकरण किया गया था।
डीजल जनरेटरों और इलेक्ट्रिक बैटरियों से चलने वाली इस पनडुब्बी में पोतरोधी 'क्लब’ प्रक्षेपास्त्रों सहित कई हथियार लगे थे।