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23 अप्रैल 2012

फ्रांस : राष्ट्रपति चुनावों से जुड़े अहम सवाल


ओलांड और सार्कोजी
ओलांद                                    सारकोजी
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फ्रांस में चुनावों के पहले चरण में ओलांद सारकोजी से आगे रहे
फ्रांस में राष्ट्रपति चुनावों में राष्ट्रपति निकोला सारकोजी जहाँ दूसरी बार मैदान में उतरे हैं वहीं उन्हें पहले चरण में ही सोशलिस्ट पार्टी के फ्रांस्वा ओलांद ने पछाड़ दिया है. फ्रांस में हो रहे चुनावों से संबंधित कुछ

अहम तथ्य:

भारत-फ्रांस के राष्ट्रपति चुनावों में समानता:

फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया कुछ हद तक भारत के राष्ट्रपति की चयन प्रक्रिया से मेल खाती है.

फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार

जनता के चुने हुए प्रतिनिधि पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं. इसके बाद मतदान होता है. पहले चरण में यदि किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी या उससे ज्यादा मत नहीं मिलते तो दूसरे चरण का मतदान होता है.

दूसरे चरण में पहले चरण के दो अव्वल रहने वाले उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता है. जीतने वाला उम्मीदवार एलसी पैलेस यानी फ्रांस के राष्ट्रपति भवन में शपथ लेता है.

भारत में राष्ट्रपति नीतिगत निर्णय केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह पर लेता है जबकि फ्रांस में राष्ट्रपति सबसे ज्यादा अधिकार संपन्न होता है. वह संवैधानिक, वित्तीय और सैन्य निर्णय ले सकता है.

इस बार फ्रांस का चुनाव क्यों सुर्खियों में है?

फ्रांस में पहले चरण के चुनाव हो चुके है. सोशलिस्ट पार्टी के फ्रांस्वा ओलांद ने राष्ट्रपति सारकोजी पछाड़ दिया है.

अब दूसरे चरण में इन दोनों का मुकाबला छह मई को होगा. दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी बजट घाटा कम करने की बात कर रहे हैं और उन्होंने अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर अपने प्रतिद्वंद्वी के साथ सार्वजनिक बहस की चुनौती रखी है.

यूरोप की बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति के चलते फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार बेरोजगारी, कर्ज व्यवस्था और पेंशन प्रमुख मुद्दे बनकर उभरे हैं.

चुनाव का फ्रांस के बाहर क्या महत्व?

यूरोपीय कर्ज संकट से निबटने के लिए बनी आर्थिक योजना में फ्रांस का अहम योगदान है.

संकट के हल पर जर्मनी सहित कई यूरोपीय देशों से मतभेद के बावजूद फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति निकोला सारकोजी की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता.

फ्रांस का अगला राष्ट्रपति यूरोपीय संकट पर कैसा रुख अपनाएगा, इस पर सभी की नजर है. फ्रांस का रुख न केवल यूरोप की आर्थिक नीतियों बल्कि भारत और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए अहम है.

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