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10 जुल॰ 2012

आम आदमी के सशक्‍तीकरण में डाक घरों की भूमिका


पिछले एक दशक में सूचना संचार प्रौ‍द्योगिकी (सीआईटी) भारत में टिकाऊ मानव विकास का एक सशक्‍त माध्‍यम बनकर उभरी है। जनता के सशक्‍तीकरण के जरिये समावेशी विकास करने की आईसीटी की स्‍वाभाविक क्षमताओं ने उसे आज देश की सबसे अहम जरूरत बना दिया है। यह प्रौद्योगिकी समाप्ति नहीं, बल्कि सुशासन और उत्‍कृष्‍ट गुणवत्‍तापूर्ण सेवाओं को बेहतर बनाने से सम्‍बद्ध है। विकास सम्‍बंधी भेदों में कमी और शासन में पारदर्शिता लाने में आईसीटी की भूमिका की पहचान करते हुए भारतीय डाक केंद्र सरकार का अनूठा और बिल्‍कुल उपयुक्‍त संस्‍थान है, जो आईसीटी का लाभ उठाते हुए आम आदमी का सशक्‍तीकरण करता है।
       डाक घरों में कम्‍यूटरों का क्रमिक इस्‍तेमाल और एकल एकीकृत मंच पर उनका सम्‍बद्ध नेटवर्क भारतीय डाक के लिए सरकारी सेवाओं को, ग्राम स्‍तर और खुदरा उत्‍पाद और सेवाएं प्रदान करने वाले सेवा प्रदाताओं तक ले जाने का अवसर प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से रूपांतरित होने वाली ज्‍यादातर येाजनाएं इसलिए नाकाम हो जाती हैं, क्‍योंकि उनमें प्रक्रियाओं, लोगों और संसाधनों का अभाव होता है। भारतीय डाक ने पुनर्निर्माण की प्रक्रिया, कौशल विकास और संवर्द्धन एवं संसाधन नियोजन की अहमियत को समझते हुए प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से होने वाले रूपांतरण में समग्र दृष्टिकोण अपनाया है।
डाकघरों का कम्‍यू‍टरीकरण और नेटवर्किंग
      सरकार ने सभी डाकघरों, डाक कार्यालयों, प्रशासनिक एवं अन्‍य कार्यालयों, आईटी अवसंरचना और सॉफ्टवेयर एप्‍लीकेशंस के कम्‍यूटरीकरण के लिए डाक विभाग की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) आधुनिकीकरण परियोजना को मंजूरी दी है। आईटी आधुनिककीकरण परियोजना एक अखिल भारतीय परियोजना है, जिसके दायरे में देशभर के सभी डाकघर आते हैं। इसमें पूर्वोत्‍तर और असम परिक्षेत्र के सभी डाकघर शामिल हैं। इस परियोजना में ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण आईसीटी हार्डवेयर उपकरणों और कम्‍प्‍यूटर से जुड़े उपकरणों की आपूर्ति, डाक विभाग के सभी क्रियाकलापों और डाटा सेंटर, वाइड एरिया नेटवर्क (डब्‍ल्‍यू ए एन) आधारित विभागीय डाकघरों और ग्रामीण क्षेत्रों के डाकघरों के लिए ग्रामीण सूचना संचार प्रौद्योगिकी (ग्रामीण आईसीटी) अवसंरचना सहित आईटी अवसंरचना की स्‍थापना को शामिल करते हुए मापनीय, एकीकृत और प्रमापीय सॉफ्टवेयर का विकास किया जाना शामिल है। इस परियोजना के कार्यक्षेत्र की संरचना आठ व्‍यापक क्षेत्रों में बनाई गई है। सभी डाकघरों के कम्‍प्‍यूटरीकरण और नेटवर्किंग से आम आदमी को निम्‍नलिखित लाभ होंगे :
·         उपभोक्‍ताओं के लिए सेवा के स्‍तर में सुधार लाना, कर्मचारियों की उत्‍पादकता बढ़ाना और अन्‍य बातों के साथ-साथ विभाग का राजस्‍व बढ़ाना
·         डाकघर सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं प्रदान करने का केंद्र बिंदु बन जाएगा
·         करीब 1,30,000 ग्रामीण डाकघर इलेक्‍ट्रॉनिक नेटवर्किंग में समर्थ होंगे
·         डाक, डाक बैंकिंग और बीमा सेवाओं का लेन-देन कागज के इस्‍तेमाल के बिना करने में सक्षम बनाना
·         भेजे गए सामान की जगह और स्थिति पर नजर रखना 
स्‍वचालित डाक संसाधन केंद्रों (आटोमेटिड मेल प्रॉसेसिंग सेंटर्स) की स्‍थापना
डाक संसाधन के काम में स्‍वचालन (ऑटोमेशन) से विभाग को डाक के नेटवर्क के आधुनिकीकरण, छंटाई सेवाओं के समेकन, और डाक की छंटाई और उसे पहुंचाने में काम में तेजी लाने में मदद मिलेगी। डाक की छंटाई का स्‍वचालन करने के लिए डाक विभाग महानगरों में स्‍वचालित डाक संसाधन केंद्रों (आटोमेटिड मेल प्रॉसेसिंग सेंटर्स) की स्‍थापना कर रहा है। दिल्‍ली और कोलकाता में छंटाई मशीने लगाने और उन्‍हें चालू करने का काम किया जा रहा है। छंटाई मशीने प्रतिघंटा 35,000 सामान की छंटाई कर सकेंगी, जबकि मिक्‍स्‍ड मेल सॉर्टर्स प्रतिघंटा 18,000 सामानों की छंटाई कर सकेंगे। मिक्‍स्‍ड मेल सॉर्टिंग मशीनों से ऑप्टिकल केरेक्‍टर रिकोग्‍नीशन (ओसीआर) प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से बड़े आकार के पत्रों, फलकों और पैकेट्स/पार्सल्‍स का तेजी से संसाधन करने में मदद मिलेगी। डाक, पार्सल्‍स और पैकेट्स का तेजी से संसाधन करने से इस सामान को जल्‍द से जल्‍द पहुंचाया जा सकेगा और सेवा की गुणवत्‍ता में भी सुधार होगा।
प्रॉजेक्‍ट ऐरो
डाकघरों के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया अप्रैल, 2008 में 'प्रॉजेक्‍ट ऐरो' की शुरूआत के साथ प्रारंभ हुई थी। इस परियोजना में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में डाकघरों की सेवाओं में सुधार की परिकल्‍पना की गई थी, जिसमें 'महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में' सेवा में सुधार और उसका दायरा बढ़ाने तथा उसके 'लुक एंड फील' सहित दोनों को ही बेहतर बनाने पर जोर दिया गया। इस परियोजना का लक्ष्‍य डाकघरों के कर्मचारियों और वहां आने वाले ग्राहकों, दोनों के लिए विश्‍वस्‍त कनेक्टिीविटी के माध्‍यम से सभी आईटी समर्थ सेवाएं मुहैया कराते हुए डाक पहुंचाने, इले‍क्‍ट्रॉनिक और मैनुअल ढंग से रकम भेजने तथा डाक सेवाओं जैसे कारोबार के महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में सेवा की गुणवत्‍ता के स्‍तर में सुधार लाकर अनुकूल और मैत्रीपूर्ण माहौल तैयार करना है। 'लुक एंड फील'  गतिविधि ब्रांडिंग, सूचना प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन एवं अवसंरचना को बेहतर बनाने पर ध्‍यान केंद्रित करती है।
       अब तक यह परियोजना महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों की निगरानी के मद्देनजर 15,500 से ज्‍यादा डाकघरों में लागू की गई है, जबकि 1,530 डाकघरों में 'लुक एंड फील'  को बेहतर बनाया गया है। डाक विभाग को वर्ष 2008-09 के वास्‍ते ''प्रॉजेक्‍ट ऐरो- भारतीय डाक का रुपांतरण'' के लिए 21 अप्रैल 2010 को सार्वजनिक प्रशासन में उत्‍कृष्‍टता के लिए प्रधानमंत्री के पुरस्‍कार से नवाजा गया। प्रॉजेक्‍ट ऐरो का 'लुक एंड फील'  संघटक 229 और डाकघरों में लागू किया जा रहा है।
सशक्‍त आईटी-आधार, जहां ईसीटी से युक्‍त इलेक्‍ट्रॉनिकली सक्षम सेवाओं वाले डाकघरों की रेंज पेशकश करता है जो देश भर में ग्रामीण जनता के सामाजिक एवं वित्‍तीय समावेशन में ही नहीं निभाएगा बल्कि राष्‍ट्रीय एकता और आम आदमी के सशक्‍तीकरण में भी अहम भूमिका निभाएगा।                                   अल्‍केश त्‍यागी
  (उपनिदेशक (मीडिया एवं संचार)

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