जयपुर। खराब मानसून की आशंका के मद्देनजर राजस्थान के 2.60 करोड़
किसानों को अप्रत्याशित मदद मिल रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की है, जिसके तहत
राज्य के सभी किसान एक लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त ऋण पाने के हकदार होंगे।
इस योजना के लिए लगभग 1,800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन पहले ही किया जा चुका है।
अधिकारियों का कहना है कि यह योजना खराब मानसून के मद्देनजर राज्य के किसानों के हितों की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री द्वारा घोषित व्यापक आपात योजना का एक हिस्सा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना से खासतौर पर छोटे किसान लाभांवित होंगे और उन्हें साहूकारों के चंगुल से छुटकारा मिलेगा, जो ऊंची ब्याज दर पर ऋण देते हैं। इस धनराशि का उपयोग फसल उगाने के लिए जरूरी खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल खरीदने में किया जा सकेगा।
अधिकारी ने कहा कि इस योजना का सबसे आकर्षक व अनोखा पहलू यह है कि नियत समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को ब्याज नहीं देना होगा। इस तरह की योजना शायद देश में पहली बार लागू की जा रही है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 63 प्रतिशत कम और पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 35 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इसके परिणामस्वरूप राजस्थान में खरीफ की बुआई आधी ही हो पाई है।
योजना की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह ऋण खरीफ और रबी दोनों फसल मौसमों के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध होगा। राजस्थान में ऐसी 5,000 से अधिक सहकारी समितियां हैं और सभी को ऋण योजना से जोड़ा गया है।
वर्ष के प्रारम्भ में मुख्यमंत्री ने 8,000 करोड़ रुपये के सहकारी ऋणों को मंजूरी दी थी। इसे बढ़ाकर 9,431 करोड़ रुपये कर दिया, ताकि और ज्यादा किसानों को ब्याजमुक्त ऋण योजना का लाभ मिल सके।
एक अन्य फैसले में, मुख्यमंत्री ने प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों से भी 300 करोड़ रुपये के सहकारी फसल ऋण वितरित करने का निर्णय लिया है, ताकि धन की कोई कमी न रहे।
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यह अनुरोध भी किया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम योजना के तहत अनिवार्य कार्य दिवसों को कम बारिश होने सहित संकट काल में 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन कर दिया जाए।
गहलोत सरकार ने प्राकृतिक आपदा के समय फसल नष्ट होने पर किसानों को मुआवजा देने की नीति में भी बदलाव किया है।
एक अधिकारी ने कहा कि अब मुआवजे के लिए किसानों को बेवजह परेशान नहीं होना पड़ेगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा कर उसकी प्रक्रियाओं का सरलीकरण बनाया गया है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि किसानों की समस्याओं का समाधान बिना किसी विलम्ब के हो।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जब कांग्रेस ने साढ़े तीन साल पहले शासन की बागडोर संभाली थी तो मुख्यमंत्री गहलोत ने उसी समय एक ऐतिहासिक फैसला लिया था कि खेती के लिए बिजली की दरों में पांच साल तक कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
अधिकारी ने कहा कि सिंचाई के लिए बिजली का इस्तेमाल करने वाले किसानों को कम से कम आठ घंटे तक रोजाना बिजली दी जा रही है। इस पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही है और इसे सुनिश्चित किया जा रहा है। किसानों की शिकायते दूर करने के लिए मुख्यमंत्री के स्तर पर विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत अपने स्तर पर भी बिजली और किसानों से जुड़ी समस्याओं की समीक्षा करते हैं।
इस योजना के लिए लगभग 1,800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन पहले ही किया जा चुका है।
अधिकारियों का कहना है कि यह योजना खराब मानसून के मद्देनजर राज्य के किसानों के हितों की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री द्वारा घोषित व्यापक आपात योजना का एक हिस्सा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना से खासतौर पर छोटे किसान लाभांवित होंगे और उन्हें साहूकारों के चंगुल से छुटकारा मिलेगा, जो ऊंची ब्याज दर पर ऋण देते हैं। इस धनराशि का उपयोग फसल उगाने के लिए जरूरी खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल खरीदने में किया जा सकेगा।
अधिकारी ने कहा कि इस योजना का सबसे आकर्षक व अनोखा पहलू यह है कि नियत समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को ब्याज नहीं देना होगा। इस तरह की योजना शायद देश में पहली बार लागू की जा रही है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 63 प्रतिशत कम और पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 35 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इसके परिणामस्वरूप राजस्थान में खरीफ की बुआई आधी ही हो पाई है।
योजना की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह ऋण खरीफ और रबी दोनों फसल मौसमों के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध होगा। राजस्थान में ऐसी 5,000 से अधिक सहकारी समितियां हैं और सभी को ऋण योजना से जोड़ा गया है।
वर्ष के प्रारम्भ में मुख्यमंत्री ने 8,000 करोड़ रुपये के सहकारी ऋणों को मंजूरी दी थी। इसे बढ़ाकर 9,431 करोड़ रुपये कर दिया, ताकि और ज्यादा किसानों को ब्याजमुक्त ऋण योजना का लाभ मिल सके।
एक अन्य फैसले में, मुख्यमंत्री ने प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों से भी 300 करोड़ रुपये के सहकारी फसल ऋण वितरित करने का निर्णय लिया है, ताकि धन की कोई कमी न रहे।
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यह अनुरोध भी किया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम योजना के तहत अनिवार्य कार्य दिवसों को कम बारिश होने सहित संकट काल में 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन कर दिया जाए।
गहलोत सरकार ने प्राकृतिक आपदा के समय फसल नष्ट होने पर किसानों को मुआवजा देने की नीति में भी बदलाव किया है।
एक अधिकारी ने कहा कि अब मुआवजे के लिए किसानों को बेवजह परेशान नहीं होना पड़ेगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा कर उसकी प्रक्रियाओं का सरलीकरण बनाया गया है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि किसानों की समस्याओं का समाधान बिना किसी विलम्ब के हो।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जब कांग्रेस ने साढ़े तीन साल पहले शासन की बागडोर संभाली थी तो मुख्यमंत्री गहलोत ने उसी समय एक ऐतिहासिक फैसला लिया था कि खेती के लिए बिजली की दरों में पांच साल तक कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
अधिकारी ने कहा कि सिंचाई के लिए बिजली का इस्तेमाल करने वाले किसानों को कम से कम आठ घंटे तक रोजाना बिजली दी जा रही है। इस पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही है और इसे सुनिश्चित किया जा रहा है। किसानों की शिकायते दूर करने के लिए मुख्यमंत्री के स्तर पर विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत अपने स्तर पर भी बिजली और किसानों से जुड़ी समस्याओं की समीक्षा करते हैं।
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