जयपुर, 4 फरवरी। एससी-एसटी व महिला उद्यमियों के लिए अब राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रीज डवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के औद्योगिक क्षेत्रों जमीन लेना आसान हो गया है। ऐसे उद्यमियों को औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन आवंटन के लिए रीको की हाल ही में आयोजित आईसीडी की मीटिंग में संशोधन प्रस्ताव को अनुमति दे दी गई है। जिसके चलते एससी व एसटी उद्यमियों को आवेदन करने पर जमीन का आवंटन जरूरी होगा। इसके लिए रीको ने भू-निष्पादन नियम-1979 के नियम 3-अ के उपनियमों के तहत अनुसुचित जाति, अनुसुचित जनजाति व महिला उद्यमियों को किसी भी श्रेणी के औद्योगिक क्षेत्र में 3000 वर्ग गज के आकार के भूखंडों का पांच फीसदी आरक्षित रखने का प्रावधान किया है। निर्णय के अनुसार अब औद्योगिक क्षेत्रों में पूर्ण तथा अलॉट घोषित होने के बाद भी भूखंड उपलब्ध होने की स्थिति में इन उद्यमियों के लिए जमीन आरक्षित होगी। पहले यह नियम अलॉट घोषित होने के बाद शून्य हो जाता था। गौरतलब है कि यह आदेश भविष्य लक्षिय आधार पर होगा। साथ ही पांच फीसदी आरक्षण का प्रावधान उन्हीं औद्योगिक क्षेत्रों के लिए जारी रहेगा जिनको मार्च 2012 में पूर्णतया अलॉट घोषित किया गया है। नए आदेशों के तहत जिन औद्योगिक क्षेत्रों में एसटी-एससी व महिला उद्यमियों के लिए भूखंड आवंटन नियमों का पालन नहीं हुआ है। वहां शेष भूखंडों को इनके लिए आवंटित किया जाएगा। इसके लिए शीघ्र ही संभागीय व क्षेत्रीय कार्यालय के स्तर पर आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। तय समयावधि में आवेदन पत्रों पर विचार किया जाकर लाटरी के माध्यम से इनका आवंटन होगा। यदि सीमित संंख्या में आवेदन प्राप्त होते हैं तो पहले आओ पहले पाओ के आधार पर भूखण्ड आवंटन होगा। दूसरी तरफ उद्यमियों का कहना है कि रीको का यह निर्णय काफी देर से आने के साथ आवंटन नियमों की अनुपालना भी शिथिलता का शिकार रही है। हैन्डीक्रॉफ्ट उद्यमी विनोद मीणा का कहना है कि नियमों में सरलीकरण के साथ आवंटन बाध्यता होने से इन जातियों को निश्चित ही लाभ मिलेगा। उनका यह भी कहना है कि वर्तमान हालात औद्योगिक मांग को देखते हुए इनके आकार में भी बढ़ोत्तरी करनी चाहिए थी। वर्तमान नियमों का लाभ एमएसएमई सेक्टर के उद्यमी प्रमुखता से उठा सकेंगे।
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