जयपुर । राजस्थान में आदिवासियों के कल्याण की योजनाओं के क्रियान्विति में ढि़लाई से राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। इसीलिए उन्होंने कड़ा कदम उठाते हुए अब खुद इन योजनाओं की मॉनिटरिंग करने का निर्णय किया है। इसके लिए राजभवन में अलग से प्रकोष्ठ बनाया गया है।
राज्यपालको इस प्रकोष्ठ का उद्घाटन किया। राज्य में आदिवासियों के कल्याण की योजनाओं की धीमी क्रियान्वित को लेकर शुरू से राज्यपाल काफी समय से असंतुष्ट रही है, वे खुद आदिवासी इलाकों का दौरा कर चुकी है। वह कई मंचों पर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुकी है। हालांकि आज उन्होंने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राजस्थान में आदिवासियों की हालात छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के आदिवासियों के मुकाबले ठीक है।
आदिवासी इलाकों में सरकारी कर्मचारियों का ठहराव नहीं होने के मामले में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आदिवासी इलाकों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी करे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी वे इस बात की शिकायत कर चुकी है। समय-समय पर इन योजनाओं से जुड़े अफसरों को आगाह भी कर चुकी है।
राजभवन में बनाए गए आदिवासी कल्याणकारी योजना प्रकोष्ठ में कर्मचारी और अधिकारी भी तैनात किए गए हैं। इनमें एक उप सचिव, एक संयुक्त सचिव सांख्यिकी और एक विधि सचिव के साथ कंप्यूटर ऑपरेटर, लिपिक और सहायक कर्मचारी शामिल है। इस प्रकोष्ठ में आदिवासियों से संबंधित सभी प्रकार की योजनाओं का लेखा-जोखा होगा। रोजाना उनकी प्रगति रिपोर्ट ली जाएगी।
सूत्रों के अनुसार राज्यपाल की मंशा है कि आदिवासियों के कल्याण की सभी योजनाओं की समय पर क्रियान्वित हो, ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
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