चीन के एक थिंक-टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक़ 2011 में चीन में माइक्रो ब्लॉगिंग करने वालों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी देखी गई.
चीन में वेब का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 51.3 करोड़ है, जिसमें से आधे लोगों ने 2011 में ट्विटर जैसी ‘वीबो’ साइटों का इस्तेमाल किया.
चीन के इंटरनेट नेटवर्क इन्फ़ॉर्मेशन सेंटर का कहना है कि 2010 में ये संख्या 6.3 करोड़ ही थी.
चीन में माइक्रो ब्लॉगिंग करने वाले लोगों ने ट्विटर जैसी वीबो साइटों के ज़रिए विभिन्न विषयों पर अपना विरोध और विचार व्यक्त किए.
कभी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ माइक्रो ब्लॉग पर आवाज़ उठाई गई, तो कभी दूसरे अपवादों और बड़ी राष्ट्रीय घटनाओं पर.
चीन की 1.3 अरब जनसंख्या में से 38.3 प्रतिशत जनसंख्या इंटरनेट का इस्तेमाल करती है.
सरकारी नियंत्रण
माइक्रो ब्लॉग का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में आई बढ़ोतरी ने चीन प्रशासन के लिए वेब पर नियंत्रण करना मुश्किल कर दिया है.
पिछले साल वीबो साइटों का इस्तेमाल करने वालों के लिए एक ऐतिहासिक साल था. कई बड़ी घटनाओं ने लोगों को इंटरनेट पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया.
जून 2010 में वेंज़ु ट्रेन दुर्घटना, लापरवाही से सड़क पर छोड़े गए बच्चे की घटना, डालियां और वुकान में हुए विरोध प्रदर्शनों जैसी घटनाओं ने चीन में इंटरनेट पर एक बहस छेड़ दी.
पिछले साल बीजिंग और शांघाई जैसे शहरों में वीबो साइटों पर अपने ही नाम से लॉग इन करना अनिवार्य कर दिया गया था.
माइक्रो ब्लॉगिंग सेवाओं को भी आदेश दिया गया था कि वो अपनी साइटों पर लिखे जाने वाली चीज़ों पर नज़र रखे और आपत्तिजनक सामग्री को तुरंत हटा दें.
आलोचकों का कहना था कि सरकार के ख़िलाफ़ लिखने वाले लोगों पर नकेल कसने के मक़सद से ये क़दम उठाया गया था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 2010 में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में 12.2 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक़ ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में 8.9 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई. बीजिंग की 70 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी ने पिछले साल इंटरनेट का इस्तेमाल किया.
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