अल्पसंख्यक आरक्षण संबंधी टिप्पणी पर निंदा किए जाने के बाद भी कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के इस विषय पर बयान देने पर सख्त आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग ने शनिवार रात अवज्ञाकारी और आक्रामक कानून मंत्री के खिलाफ राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पत्र लिखा और तत्काल उनके निर्णायक हस्तक्षेप की मांग की। राष्ट्रपति कार्यालय ने पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया है।
चुनाव आयोग ने कहा है कि संवैधानिक इकाई की एक केंद्रीय मंत्री द्वारा अवज्ञा अप्रत्याशित है तथा उनके अनुचित और गैर-कानूनी कृत्य से संवैधानिक प्राधिकारों के कामकाज के बीच नाजुक संतुलन पर दबाव बन गया है। खुर्शीद ने आज दिन में बयान दिया था कि यदि वे (चुनाव आयोग) मुझे फांसी पर भी दे देते हैं फिर भी वह अल्पसंख्यकों के लिए नौ फीसदी के उप आरक्षण के रुख पर बढ़ते रहेंगे। उसके बाद रात में पूर्ण (चुनाव) आयोग की आपात बैठक हुई और आयोग ने कड़े शब्दों में दो पृष्ठ का एक पत्र राष्ट्रपति को भेजा।
चुनाव आयोग ने इससे पहले खुर्शीद की ऐसे ही बयान के लिए निंदा की थी और उसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करार दिया था। खुर्शीद ने आठ जनवरी को अल्पसंख्यक उप आरक्षण का बयान दिया था। चुनाव आयोग ने अपने पत्र में लिखा है, आयोग इस बात से स्तब्ध है कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में अफसोस होने के बजाय मंत्री ने अवज्ञाकारी और आक्रामक रुख अपनाया। यह अप्रत्याशित है। आदर्श आचार संहिता पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति है और उच्चतम न्यायालय की भी मुहर लगी हुई है।
सलमान ने अपने ताजा बयान में कहा है कि वो मुसलमानों को आरक्षण दिलवाने के लिए फांसी पर चढ़ने को भी तैयार हैं। सलमान ने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए यह भी कहा है कि चुनाव आयोग रहे न रहे लेकिन मुसलमानों को आरक्षण मिलकर रहेगा।
सलमान के इस बयान के बाद ही चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की शिकायत की है। पत्र में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने के लिए कहा है।
सलमान खुर्शीद के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता ने मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कानून मंत्री डंके की चोट पर गैर कानूनी काम कर रहे हैं। अब प्रधानमंत्री को सीधे तौर पर इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
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चुनाव आयोग का राष्ट्रपति को पत्र http://eci।nic।in/eci_main1/current/PresidentSK_11022012.pdf
कांग्रेस का घोषणा पत्र http://www।aicc।net।in/site/up_manifesto_2012_eng।pdf
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