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21 फ़र॰ 2012

चार्टर्ड अकाउंटेंट: करियर का लेखा-जोखा

तेजी से विकास करती भारतीय अर्थव्यवस्था में फाइनेंस और अकाउंट्स से जुड़े करियर लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से मल्टीनेशनल कंपनियों के देश में आगमन से जॉब के क्षेत्र की रौनक भी बढ़ी है। इनके अलावा स्थानीय कंपनियां भी रोजगार के एक बड़े हब के रूप में स्थापित हो चुकी हैं। आर्थिक उदारीकरण के बाद इसमें तेजी से बदलाव देखने को मिले हैं। करीब तीन वर्ष पूर्व उपजी आर्थिक मंदी ने कई सेक्टरों को प्रभावित किया था, लेकिन

अब सभी प्रमुख सेक्टर मंदी की काली छाया से बाहर निकल चुके हैं। लोगों को सभी बड़ी कंपनियों में आसानी से जॉब मिल रही है। इसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट यानी कि सीए की भूमिका प्रमुख है। किसी भी संस्थान में चार्टर्ड अकाउंटेंट अथवा सीए का काम बेहद सम्मानजनक एवं चुनौतीपूर्ण होता है। वे उस संस्थान अथवा कंपनी से जुड़े सभी अकाउंट एवं फाइनेंस संबंधी कार्यों के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इसके अलावा इनका कार्य मनी मैनेजमेंट, ऑडिट अकाउंट का एनालिसिस, टैक्सेशन तथा फाइनेंशियल एडवाइज उपलब्ध कराने से भी संबंधित है।

व्यापक कार्यक्षेत्र है सीए का
एक समय ऐसा था, जब सीए के कार्यक्षेत्र को अकाउंट तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं और इनका कार्यक्षेत्र भी बढ़ता जा रहा है और वे मैनेजमेंट एवं कॉरपोरेट केयर टेकर को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनका कार्य मुख्यत: अकाउंटिंग, टैक्सेशन और ऑडिटिंग से संबंधित है। ज्यादातर कंपनियां कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हैं और उन्हें ऑडिटिंग के लिए सीए की जरूरत पड़ती है। अब तो छोटे से छोटा संस्थान भी अपने यहां सीए प्रोफेशनल्स को रखता है।

कंपनी एक्ट के अनुसार केवल सीए ही भारतीय कंपनियों में बतौर ऑडिटर नियुक्त किए जा सकते हैं। इसका फायदा देख कर ही कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां चार्टर्ड अकाउंटेंसी के क्षेत्र में कदम रख रही हैं। देश की इकोनॉमी को नियंत्रित करने, इससे जुड़े सिस्टम का ऑडिट और उसे सर्टिफाई करने का काम सीए के जिम्मे होता है। बैंक भी अपना सालाना ऑडिट सीए से कराते हैं। यदि किसी संस्था या व्यक्ति को लोन दिया जाता है तो बैलेंस सीट सीए ही देखता है। शेयरों की खरीद-फरोख्त में भी बैलेंस शीट देखी जाती है। विभिन्न टैक्सों के भुगतान का हिसाब-किताब भी सीए के जिम्मे होता है।

फीस की रूपरेखा
सीए की तीनों ही परीक्षाओं में फीस की रूपरेखा अलग-अलग है। सीपीटी में जहां छात्रों को प्रॉस्पेक्टस, रजिस्ट्रेशन, जर्नल आदि के रूप में 6700 रुपए देने होते हैं, वहीं आईपीसीसी 10600 रुपए तथा फाइनल कोर्स की फीस 12,250 रुपए तय की गई है। इसके अलावा आर्टिकलशिप ट्रेनिंग फीस 2000 रुपए, 100 घंटे के इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी टेस्ट (आईटीटी) की फीस 4000 रुपए, 35 घंटे के ओरिएंटेशन प्रोग्राम की फीस 3000 रुपए तथा जीएमसीएस की फीस 4000 रुपए तय की गई है। सभी कोर्स व प्रोग्राम को मिला कर यह 42,450 रुपए के करीब बैठती है।

संभावनाओं का खुला आकाश

सीए का काम अत्यंत चुनौतीपूर्ण व सम्मानजनक है। इसके प्रोफेशनल्स के रूप में देश-विदेश की कंपनियों में फाइनेंस, अकाउंट्स एवं टैक्स डिपार्टमेंट में फाइनेंस मैनेजर, अकाउंट्स मैनेजर, फाइनेंशियल बिजनेस एनालिस्ट, ऑडिटिंग/इंटरनल ऑडिटिंग, स्पेशल ऑडिट्स सहित चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर, सीईओ, फाइनेंस डायरेक्टर, फाइनेंशियल कंट्रोलर, चीफ अकाउंटेंट, चीफ इंटरनल ऑडिटर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर सकते हैं। इसके साथ ही उनके लिए प्राइवेट प्रैक्टिस व कंसलटेंसी में रोजगार के अवसर मिलते हैं।

अधिकांश सीए कॉरपोरेट घरानों को बिजनेस एडवाइज देने तथा प्रोजेक्ट प्लानिंग का काम भी करते हैं। विदेशों में भी भारतीय प्रोफेशनल्स को अवसर मिल रहे हैं। सभी सरकारी व प्राइवेट बैंक, पब्लिक लिमिटेड कंपनियां, ऑडिटिंग फर्म्स, फाइनेंशियल कंपनियां, म्यूचुअल फंड, पोर्ट फोलियो मैनेजमेंट कंपनी, इनवेस्टमेंट हाउस, स्टॉक ब्रोकिंग फर्म्स, लीगल फर्म्स व हाउस आदि में नौकरियां सृजित हो रही हैं।

तीन लेवल का कोर्स

दि इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ही एकमात्र संस्था है, जो सीए का कोर्स कराती है और उसके बाद लाइसेंस प्रदान करती है। सीए का कोर्स तीन लेवल में पूरा होता है, जो निम्न है-

1. कॉमन प्रोफिशिएंसी कोर्स (सीपीटी)
सीपीटी सीए के एंट्री लेवल का कोर्स है। इसमें चार विषयों जैसे अकाउंटिंग, मर्केटाइल लॉ, जनरल इकोनॉमिक्स एवं क्वांटिटेटिव एप्टीटय़ूड को शामिल किया जाता है। यह 200 अंकों का होता है तथा इसके लिए दो घंटे निर्धारित होते हैं। यह परीक्षा ऑब्जेक्टिव टाइप होती है तथा गलत उत्तर दिए जाने पर निगेटिव मार्किंग का प्रावधान है।

2. इंटीग्रेटेड प्रोफेशनल कंपीटेंस कोर्स (आईपीसीसी)
यह नौ महीने का थ्योरिटिकल बेस्ड कोर्स है। इसमें अकाउंटिंग, बिजनेस और कंपनी लॉ, एथिक्स एंड कम्युनिकेशन, कास्ट अकाउंटिंग एवं फाइनेंशियल मैनेजमेंट, टैक्सेशन, एडवांस अकाउंटिंग, आईटी एंड स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट आदि विषयों को शामिल किया गया है। यह परीक्षा दो ग्रुपों व सात पेपरों में संपन्न होती है। इसके बाद सीए के फाइनल कोर्स में दाखिला मिलता है।

3. फाइनल कोर्स (एफसी)
यह सीए कोर्स की सबसे अंतिम अवस्था है। इसे छात्रों को फाइनेंशियल रिपोर्टिंग, ऑडिटिंग, प्रोफेशनल एथिक्स, टैक्सेशन, कॉरपोरेट लॉ, सिस्टम कंट्रोल, स्ट्रेटेजिक फाइनेंस व एडवांस मैनेजमेंट अकाउंटेंसी के बारे में जानकारी दी जाती है। फाइनल कोर्स पूरा करने के साथ ही छात्रों को जनरल मैनेजमेंट एंड कम्युनिकेशन स्किल्स (जीएमसीएस) कोर्स भी कंपलीट करना होता है। यह परीक्षा दो ग्रुपों तथा आठ पेपरों में होती है। सभी परीक्षाएं पास करने के बाद उन्हें आईसीएआई में मेंबरशिप के लिए अप्लाई करना
होता है।

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