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28 फ़र॰ 2012

क्या हम ज्यादा दकियानूसी हो गए?

रेडियो, टीवी और समाचार पत्रों तथा पत्र-पत्रिकाओं में भविष्यफल, राशिफल, ग्रहदशा, राशिचाल, ग्रहों की दशा जैसे स्तंभों पर लगभग हर व्यक्ति की नजर रहती है। कुछ दिन पहले एक सर्वे आया था जिसमें अमेरिका के लोगों को इसी नजरिये पर दकियानूसी या 21वीं सदी का पिछड़ा कहा गया था। क्या हम भी इस वैज्ञानिक युग में इसी मार्ग पर नहीं जा रहे? क्या प्रतिदिन घर से निकलने के पहले राशिफल पर नजर डालकर निकलने वाले दुर्घटना का शिकार नहीं हो रहे? आखिर कितना सही है राशिफल?
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राशिफल या ग्रह गोचर देखे जाने की शुरुआत भले ही हम भारत से मानें, इसे प्राचीन विद्या का नाम दें जो सही भी है लेकिन क्या आज हम इसपर ज्यादा से ज्यादा निर्भर होकर अपना ही नुकसान नहीं कर रहे हैं। रेडियो, टीवी और समाचार पत्रों तथा पत्र-पत्रिकाओं में भविष्यफल, राशि फल, ग्रहदशा, राशिचाल, ग्रहों की दशा जैसे स्तंभों पर लगभग हर व्यक्ति की नजर रहती है। कुछ दिन पहले एक सर्वे आया था जिसमें अमेरिका के लोगों को इसी नजरिये पर दकियानूसी या 21वीं सदी का पिछड़ा कहा गया था। क्या हम भी इस वैज्ञानिक युग में इसी मार्ग पर नहीं जा रहे? क्या प्रतिदिन घर से निकलने के पहले राशिफल पर नजर डालकर निकलने वाले दुर्घटना का शिकार नहीं हो रहे?
आखिर कितना सही है राशिफल? समाचार पत्रोँ या टीवी के लगभग सभी चैनलों पर सुबह बताए जाने वाले राशिफल पर हर किसी की नजर रहती है। कोई चैनल नंबरों के हिसाब से न्यूमरोलॉजी या अंक ज्योतिष बताता है तो कोई कार्ड्स देखकर टैरो के नाम पर यह भविष्यवाणी करते हैं। यह सब नया नहीं है लेकिन पिछले वर्षों में यह बहुत तेजी से फैला। मेरे पिताजी ने बताया था कि 1960 में एक दिन उनके राशिफल में स्त्रीसुख लिखा था, उसी दिन उनकी स्त्री यानी मेरी माताजी का देहावसान हो गया। उसके बाद से उनकी रुचि ज्योतिष में महज इसलिए बढ़ गई क्योंकि उस दिन के राशिफल में स्त्री का जिक्र था। उनका मानना था कि शायद राशिफल पढऩे वाले ने गलत पढ़ लिया होगा। वे अपने जमाने के प्रसिद्ध चिकित्सक थे। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से लेकर भारतीय सेना तक में चिकित्सक रहे। यूनिसेफ में उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। जब उनके जैसा व्यक्ति इस ओर जा सकता है तो कोई भी जा सकता है।

ज्योतिष की गणना से भारत के पुराने राजे-महाराजे अपना राजकाज चलाते थे। लेकिन तब भी वे रण में जीतते या हारते थे। कहानियां हैं कि राजज्योतिषी की बात माने बिना दूसरे राज्य पर हमला किया तो हार गए।

तब व्यक्ति विशेष के जन्मलग्न आदि के हिसाब से ग्रहों की चाल की गणना की जाती थी जो सही हो भी सकती थी। आज जन्मनाम या जन्मांक के हिसाब से राशिफल पढ़े जाते हैं। आज के जमाने में यदि राम और रावण के भविष्य के बारे में बताया जाए तो शायद दोनों ही या तो विजयी रहते या हारते क्योंकि दोनों के नाम का पहला अक्षर र या रा है। कृष्ण और कंस के नाम भी अंग्रेजी अक्षर ..K.. या हिंदी अक्षर ..क.. से शुरू होते हैं। हरिश्चंद्र, हिरणाकश्यप व हिरोशिमा, हरिद्वार की राशि एक ही है। इसका सीधा सा अर्थ है कि अगर नामाक्षर के हिसाब से राशिफल बताया जा रहा है तो कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है।

टीवी पर आने वाले और अखबारों में छपने वाले राशिफल में अगर आप रोज गौर करें तो एक बात नजर आएगी। जो राशिफल आज मेष में लिखा है वही दो दिन बाद मकर या तीसरे दिन कुंभ या किसी अन्य राशि में नजर आएगा। शब्द वही हैं वाक्य तथा राशि बदल बदल कर घूम रहे हैं। हां, अगर सबको पता है कि आज सूर्यग्रहण है या चंद्रग्रहण है तब तो टीवी चैनलों वालों की चांदी है। सारे दिन दर्शकों को बिठाए रखने के लिए यह दान करें, सफेद या पीला कपड़ा पहने, यह न खाएं वह पीएं फलाना वस्तु का दान करेंगे तो लाभ होगा। यही बताते रहेंगे।
मैंने दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त एक ज्योतिषी को अपनी बेटी की जन्मपत्री दिखाई तो उन्होंने केवल जन्मतिथि, जन्मस्थान व जन्मसमय पूछा। अस्पताल से मिला सही जन्मसमय, जन्मतिथि व जन्मस्थान उन्हें बताया गया। उन्होंने बताया कि बेटी बहुत प्रतिभाशाली होगी, 25 साल की उम्र में उसकी शादी होगी, डॉक्टर बनेगी। जब सब हो गया। उनकी फीस उन्हें दे दी तब मैंने उन्हें सच बताया कि जिस बेटी के बारे में आपने इतनी बातें बताईं उसकी दो माह पहले सडक़ दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है। वह भी महज 14 साल की उम्र में। हां, प्रतिभाशाली वह थी क्योंकि उसका नाम देश के कई अखबारों में छप चुका था। वह एक अच्छी नर्तकी और लेखिका थी। वे ज्योतिषी महोदय लगे मेरा मुंह ताकने लगे और दुबारा देखा, लेकिन ऐसा हो नहीं सकता कहने के अलावा कुछ नहीं कर सके।
मैं महज ज्योतिष और भविष्यवक्ता की सच्चाई जानने गया था। मैं करीब आधा दर्जन तथाकथित प्रसिद्ध ज्योतिषियों के पास गया, लेकिन किसी ने भी बेटी की मौत के बारे में नहीं बताया। यह भी नहीं बताया कि परिवार के साथ वह कितने समय तक रहेगी। अलबत्ता सबने प्रतिभाशाली और देश विदेश में नाम करने वाली अवश्य बताया।

आज भी मैं ज्योतिष को गलत नहीं मानता, लेकिन उसके नाम पर दुकान चलाने वाले आपको कितना बहका रहे हैं, इससे सावधान करना जरूरी समझता हूं। यह जरूरी नहीं कि सभी ज्योतिषी या भविष्यवक्ता एक जैसे हों। ज्योतिष की डिग्री लेकर निकलने वाले का ज्ञान भी उतना ही होगा जितना उसने अपने शिक्षण संस्थान में पढ़ा होगा। सही पढ़ा या गलत, पढ़ाने वाले ने किस नजरिये से कितनी लगन के साथ पढ़ाया इस पर उसकी भविष्यवाणी निर्भर करेगी।

-राकेश माथुर

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