लंदन ।
ज़रा सोचिए कि आप अपने केमिस्ट से जो दवाइयां ख़रीद कर खाते हैं, उसमें जानवरों से बने हुए तत्व हों। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सामान्य दवाइयों में भी आमतौर पर जानवरों से बने हुए तत्व होते हैं।
एक शोध के मुताबिक कई टैबलेट और तरल दवाइयों में एक पदार्थ जेलेटिन का इस्तेमाल होता है, जो कि जानवरों की हड्डियों और खाल से बनता है।
पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल जरनल के एक शोध के दौरान पता चला कि एक-चौथाई मरीज़ों को तो पता ही नहीं होता कि उन्हें दी जाने वाली दवाइयों में जेलेटिन होता है। रिपोर्ट के अनुसार, दवाइयों के लेबल पर यह लिखा होना चाहिए कि उसमें जानवरों से बने तत्व हैं या नहीं।
ब्रिटेन के औषधि उद्योग की शाखा एबीपीआई के प्रवक्ता का कहना है कि यूरोपीय संघ के कानूनों के मुताबिक दवाइयों के पैकेट पर उसमें इस्तेमाल किए गए तत्वों की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
जानकारी का अभाव
उन्होंने कहा, “मरीज़ों को पता होना चाहिए कि जो दवा वे खा रहे हैं, उसमें कौन-कौन से तत्व है। अगर मरीज़ों को पता न हो कि उनकी दवाई में जानवरों से बने तत्व हैं या नहीं, तो वे अपने डॉक्टर या केमिस्ट से इस बारे में सलाह ले सकते हैं।”
टैबलेट, कैप्सूल और अन्य दवाइयों में कई तत्व ऐसे होते हैं जो इलाज के लिए ज़रूरी तो नहीं होते लेकिन दवाई के तत्वों को आपस में मिलाने के लिए इस्तेमाल होते हैं। इसके लिए आमतौर पर जेलेटिन का इस्तेमाल किया जाता है।
करीब 500 मरीजों के सर्वेक्षण में से करीब 40 प्रतिशत का कहना था कि वे शाकाहारी होने की वजह से ऐसी दवाइयों का सेवन करना पसंद नहीं करेंगें। हालांकि कई मरीज़ों ने कहा कि उन्हें ऐसी दवाइयां इसलिए लेनी पड़ती हैं, क्योंकि उनके पास कोई और चारा नहीं है।
उनका सुझाव था कि दवाइयां बनाने वाली कंपनियों को एक ‘सामग्री लिस्ट’ यानि सूची बनानी चाहिए जैसे कि खाद्य पदार्थों के लिए बनाई जाती है। उनका कहना था कि अगर जेलेटिन का कोई विकल्प मौजूद हो, तो उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
वेजिटेरियन सोसाइटी की प्रवक्ता लिज़ ओनील ने कहा कि उनके पास कई ऐसे मरीज़ों के फोन आते हैं जो इससे चिंतित हैं कि उनकी दवाइयों में जानवरों के अंगों से बनाए गए तत्व इस्तेमाल होते हैं। उनका ये भी कहना है कि दवाओं के पैकेट पर फिलहाल सामग्री की जानकारी नहीं दी जा रही है, जो कि चिंता का विषय है।
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