ब्रसेल्स ।
यूरोपीय अदालत एक ऐसे कानून को लेकर विचार कर रही है जिसमें "भूला देने के अधिकार" को शामिल किया जा सके. गूगल के खिलाफ स्पेन की एक कंपनी ने की शिकायत दर्ज.
यूरोपीय आयोग ने पिछले साल डाटा सुरक्षा के लिए कुछ कानूनों का प्रस्ताव रखा था जिसमें नागरिकों को भूलने का अधिकार देने की बात भी कही गई. विवाद तब शुरू हुआ जब स्पेन की कंपनी आल्फाक्स वाकान्सेस ने गूगल के खिलाफ शिकायत दर्ज की और कहा कि गूगल पर अब भी 1970 में एक गैस विस्फोट में मारे गए लोगों की तस्वीरें मौजूद हैं.
हालांकि कंपनी का हादसे से कोई लेना देना नहीं है, कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि जब उनकी कंपनी के बारे में कोई गूगल में जानकारी ढूंढता है, तो गूगल हादसे की तस्वीरें भी दिखाता है. इससे उसकी कंपनी की साख खराब हो रही है. गूगल के खिलाफ मामले को स्पेन की अदालत ने खारिज कर दिया है क्योंकि गूगल की स्पेन शाखा को देश में कानूनी संगठन होने का दर्जा नहीं मिला है जिसकी वजह से उसके खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं हो सकती.
भूलना याद रहे
ऑक्सफर्ड के इंटरनेट इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर विक्टर मायर शोएनेबर्गर कहते हैं कि इंटरनेट में कई बार आपको ऐसी जानकारी मिल जाती है जिसकी आपको कोई जरूरत नहीं. लेकिन कहते हैं कि भूलने का अधिकार इस सिलसिले में बहुत जरूरी है. गूगल और आलफाक्स मामले में आल्फाक्स की बार्सेलोना शहर में अपने कैंपिंग साइट का प्रचार इसलिए खराब हुआ क्योंकि कई सालों पहले वहां विस्फोट हुई और वही तस्वीरें आज दिख रही हैं. यूरोपीय आयोग अब एक ऐसे कानून पर काम कर रहा है जिससे आम लोग इंटरनेट पर लगाई गई चीजों को स्थाई तौर पर हटा सकें. यूरोपीय न्याय आयुक्त विवियाने रेडिंग कहती हैं कि भूलने का मतलब इतिहास को पूरी तरह मिटाना नहीं है. लेकिन स्वतंत्र रूप से बातचीत और निजी जानकारी को सम्मान के बीच एक संतुलन बनाया जाना चाहिए.
प्राइवसी बड़ी कि जानकारी
गूगल के लिए प्राइवसी कानून पर सलाहकार वकील पीटर फ्लाइशर कहते हैं कि लोगों को अपनी जानकारी डिलीट करने का अधिकार दिया जाना चाहिए, लेकिन यह वेबसाइटों पर भी निर्भर है. लेकिन गूगल अगर लगातार ऐसे मामलों में फंसता रहे, तो वह हर साल अपने मुनाफे का एक प्रतिशत अदालत के चक्करों पर खर्च करेगा. लेकिन मायर शोएनेबर्गर को एक और चिंता सता रही है. कहते हैं कि आजकल कंपनियां प्रचार के लिए ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहती हैं. फेसबुक ऐसा करती आ रही है. आपकी पसंदीदा वेबसाइटों को ट्रैक कर के आपको उसके मुताबिक फेसबुक पर फोटोज दिखती हैं.
मायर शोएनेबर्गर कहते हैं कि इस मसले को हल करने के लिए सर्च के नतीजों को समय के मुताबिक दिखाया जा सकता है. मिसाल के तौर पर, अगर आप भोपाल पर सर्च कर रहे हों, तो भापाल गैस कांड की तस्वीरें 20वें पेज पर आएं और न कि पहले पन्ने पर. इससे हादसे से ग्रस्त लोगों को भी परेशानी नहीं होगी और जानकारी को और अच्छी तरह से नियोजित किया जा सकेगा.
पुराने नतीजों को आप स्लेटी रंग में भी दिखा सकते हैं, ताकि लोगों को पता चले कि यह पुरानी है. और दवाइयों की तरह अगर जानकारी "एक्सपायर" हो कर इंटरनेट से गायब हो जाए, तो फिर क्या बात है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें