newspaper

Founder Editor(Print): late Shyam Rai Bhatnagar (journalist & freedom fighter) International Editor : M. Victoria Editor : Ashok Bhatnagar *
A newspaper with bold, open and democratic ideas {Established : 2004}

14 मई 2012

फेसबुक के शेयर खरीदें या न खरीदें

इस हफ्ते संभवतः शेयर बाजार में आने वाले सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के शुरुआती शेयरों (आईपीओ) की बड़ी धूम है लेकिन इनके इर्द गिर्द कुछ आशंकाएं और सवाल भी तैर रहे हैं.
ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो मान कर चल रहे हैं कि इन शेयरों की कीमतों में आते ही उछाल दर्ज किया जाएगा और निवेशक उनकी तरफ लपकेंगे. लेकिन कुछ आशंकाओं इन उम्मीदों पर भारी पड़ सकती हैं.

दस्तावेज के मुताबिक, “मोबाइल उत्पादों के जरिए हमने फेसबुक के साथ भागीदारी और इस तक यूजर्स की पहुंच को बढ़ाया है, जहां हम फिलहाल प्रत्यक्ष तौर पर सार्थक राजस्व नहीं पैदा कर रहे हैं. इस कोशिश का मकसद कंप्टूयर पर फेसबुक देखने की बजाय मोबाइल फोन पर फेसबुक देखने को चलन को लाना है.”सबसे पहले तो फेसबुक ने ही पिछले हफ्ते अपने आधिकारिक दस्तावेज में निवेशकों को सलाह दी है कि वे अतिरिक्त जोखिम का ख्याल रखें.

कैसे होगी कमाई

इससे साफ है कि फेसबुक का भविष्य मोबाइल फोन से जुड़ा है और अभी तक इस बारे में बहुत ही कम जानकारी है कि इससे पैसे कैसे बनाए जाते हैं.
इस हफ्ते संभवतः शेयर बाजार में आने वाले सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के शुरुआती शेयरों (आईपीओ) की बड़ी धूम है लेकिन इनके इर्द गिर्द कुछ आशंकाएं और सवाल भी तैर रहे हैं.
ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो मान कर चल रहे हैं कि इन शेयरों की कीमतों में आते ही उछाल दर्ज किया जाएगा और निवेशक उनकी तरफ लपकेंगे. लेकिन कुछ आशंकाओं इन उम्मीदों पर भारी पड़ सकती हैं.

दस्तावेज के मुताबिक, “मोबाइल उत्पादों के जरिए हमने फेसबुक के साथ भागीदारी और इस तक यूजर्स की पहुंच को बढ़ाया है, जहां हम फिलहाल प्रत्यक्ष तौर पर सार्थक राजस्व नहीं पैदा कर रहे हैं. इस कोशिश का मकसद कंप्टूयर पर फेसबुक देखने की बजाय मोबाइल फोन पर फेसबुक देखने को चलन को लाना है.”सबसे पहले तो फेसबुक ने ही पिछले हफ्ते अपने आधिकारिक दस्तावेज में निवेशकों को सलाह दी है कि वे अतिरिक्त जोखिम का ख्याल रखें.

कैसे होगी कमाई

इससे साफ है कि फेसबुक का भविष्य मोबाइल फोन से जुड़ा है और अभी तक इस बारे में बहुत ही कम जानकारी है कि इससे पैसे कैसे बनाए जाते हैं.
फेसबुक
फेसबुक मोबाइल फोन क्षेत्र में विस्तार की संभावनाएं तलाश रहा है
बहुत से लोगों की तरह अगर आपका सोशल नेटवर्किंग समय स्मार्टफोन को देखते हुए बीतता है तो उस पर रिफ्रेशिंग तो बराबर होती है लेकिन विज्ञापनों का आभाव साफ दिखता है.
मोबाइल विज्ञापन उद्योग के बढ़ने के भले कितने दावे किए जाएं, फिर राजस्व के लिए विज्ञापनों पर निर्भर फेसबुक और दूसरी कंपनियों के लिए हालात आसान नहीं कहे जा सकते.
आईपीओ उतारने की तैयारी के दौरान फेसबुक ने इस एलान के साथ बड़ा धमाका किया कि कंपनी एक अरब डॉलर की कीमत देकर मोबाइल फोटो शेयरिंग एप इंस्टाग्राम खरीद रही है. इसमें यूजर एक छोटी सी रकम देकर अपने पोस्ट को अपने फेसबुक दोस्तों तक और प्रभावी तरीके से पहुंचा पाएंगे.
लेकिन ये अभी साफ नहीं है कि इनमें से कोई तरीका बड़ा राजस्व जुटाने का जरिया साबित होगा.
वैसे भी इंस्टग्राम की तस्वीरों के आसपास विज्ञापन यानी आपकी तस्वीरों में से जगह लेकर वहां विज्ञापन देना कोई आकर्षक विचार नहीं है. फेसबुक अगर इस एप को स्टोर को एपल या एंड्रॉइड से जोड़ेगा तो फिर कैसे कमाई करेगा, ये भी साफ नहीं है.

कायम हैं उम्मीदें

वैसे कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने जब 2004 में अपना आईपीओ उतारा तो उसे लेकर भी तमाम तरह की आशंकाएं जताई गईं, लेकिन 85 डॉलर की कीमत से साथ उतारा गया गूगल का आईपीओ तीन साल के भीतर 600 डॉलर के मूल्य से भी ऊपर तक जा पहुंचा.
गूगल
इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने 2004 में अपना आईपीओ पेश किया.
अपने आईपीओ के वक्त गूगल की जो स्थिति थी, फेसबुक कारोबारी नजरिए से उससे कहीं बेहतर स्थिति में है. गूगल 2004 में 23 अरब डॉलर की कंपनी थी जबकि फेसबुक की कीमत इसकी लगभग चार गुनी है
जो लोग फेसबुक के आईपीओ को लेकर उत्साहित हैं, उन्हें उम्मीद है कि ये भी गूगल के शेयरों की तरह कामयाबी की सीढियां चढ़ेगा और खूब मुनाफा दिलाएगा.
लेकिन खुद फेसबुक के आंकड़े चिंतित करते हैं. हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीनों में कंपनी के राजस्व में गिरावट आई है.
फिर भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो मानते हैं कि जैसे फेसबुक ने सोशल नेटवर्किंग के तौर तरीके बदल दिए, वैसे ही उसका आईपीओ कामयाबी हासिल करेगा. वहीं कुछ लोग सावधानी के साथ मार्क जकरबर्ग की कंपनी में निवेश की सलाह दे रहे हैं.
बहुत से लोगों की तरह अगर आपका सोशल नेटवर्किंग समय स्मार्टफोन को देखते हुए बीतता है तो उस पर रिफ्रेशिंग तो बराबर होती है लेकिन विज्ञापनों का आभाव साफ दिखता है.
मोबाइल विज्ञापन उद्योग के बढ़ने के भले कितने दावे किए जाएं, फिर राजस्व के लिए विज्ञापनों पर निर्भर फेसबुक और दूसरी कंपनियों के लिए हालात आसान नहीं कहे जा सकते.
आईपीओ उतारने की तैयारी के दौरान फेसबुक ने इस एलान के साथ बड़ा धमाका किया कि कंपनी एक अरब डॉलर की कीमत देकर मोबाइल फोटो शेयरिंग एप इंस्टाग्राम खरीद रही है. इसमें यूजर एक छोटी सी रकम देकर अपने पोस्ट को अपने फेसबुक दोस्तों तक और प्रभावी तरीके से पहुंचा पाएंगे.
लेकिन ये अभी साफ नहीं है कि इनमें से कोई तरीका बड़ा राजस्व जुटाने का जरिया साबित होगा.
वैसे भी इंस्टग्राम की तस्वीरों के आसपास विज्ञापन यानी आपकी तस्वीरों में से जगह लेकर वहां विज्ञापन देना कोई आकर्षक विचार नहीं है. फेसबुक अगर इस एप को स्टोर को एपल या एंड्रॉइड से जोड़ेगा तो फिर कैसे कमाई करेगा, ये भी साफ नहीं है.

कायम हैं उम्मीदें

वैसे कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने जब 2004 में अपना आईपीओ उतारा तो उसे लेकर भी तमाम तरह की आशंकाएं जताई गईं, लेकिन 85 डॉलर की कीमत से साथ उतारा गया गूगल का आईपीओ तीन साल के भीतर 600 डॉलर के मूल्य से भी ऊपर तक जा पहुंचा.
गूगल
इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने 2004 में अपना आईपीओ पेश किया.
अपने आईपीओ के वक्त गूगल की जो स्थिति थी, फेसबुक कारोबारी नजरिए से उससे कहीं बेहतर स्थिति में है. गूगल 2004 में 23 अरब डॉलर की कंपनी थी जबकि फेसबुक की कीमत इसकी लगभग चार गुनी है
जो लोग फेसबुक के आईपीओ को लेकर उत्साहित हैं, उन्हें उम्मीद है कि ये भी गूगल के शेयरों की तरह कामयाबी की सीढियां चढ़ेगा और खूब मुनाफा दिलाएगा.
लेकिन खुद फेसबुक के आंकड़े चिंतित करते हैं. हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीनों में कंपनी के राजस्व में गिरावट आई है.
फिर भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो मानते हैं कि जैसे फेसबुक ने सोशल नेटवर्किंग के तौर तरीके बदल दिए, वैसे ही उसका आईपीओ कामयाबी हासिल करेगा. वहीं कुछ लोग सावधानी के साथ मार्क जकरबर्ग की कंपनी में निवेश की सलाह दे रहे हैं.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें