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10 मई 2012

चिश्ती को पाकिस्तान जाने की इजाजत मिली



  • नई दिल्ली: हत्या के एक मामले में उम्र कैद भुगत रहे 82 वर्षीय पाकिस्तानी वैज्ञानिक मोहम्मद खलील चिश्ती को भारत में 20 साल बिताने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तो के साथ थोड़े समय के लिए पाकिस्तान जाने की अनुमति दे दी।

    न्यायाधीश पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर ने चिश्ती को पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट जमा करने और दो सप्ताह के अंदर सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में पांच लाख रूपये जमा करने का आदेश भी दिए।

    सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि चिश्ती एक नवंबर तक भारत लौट आएं क्योंकि हत्या के मामले में उनको दोषी ठहराए जाने के निर्णय के खिलाफ दायर उनकी याचिका पर सुनवाई में तेजी लाई जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि उनकी अपील पर सुनवाई 20 नवंबर से शुरू की जाएगी।

    इससे पहले अतिरिक्त सालिसिटर जनरल मोहन पाराशरन ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत में चिश्ती के परिचित लोग उनकी तरफ से मुचलका भरें ताकि अपील पर सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी वैज्ञानिक की उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके। पीठ ने हालांकि ऐसी कोई शर्त लगाने से इंकार कर दिया।

    पीठ ने कहा कि चिश्ती को छोड़ा जाना उन पर लगाई गई दो शर्तो को पूरा करने पर निर्भर करता है। इससे पहले गत चार मई को सुप्रीम कोर्ट पाकिस्तान जाने की अनुमति देने के चिश्ती के आग्रह पर सुनवाई के लिए राजी हो गया था और इस बारे में केन्द्र से उसका पक्ष पेश करने को कहा था।

    बीस साल पुराने हत्या के एक मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद राजस्थान की अजमेर जेल में उम्रकैद भुगत रहे चिश्ती को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले नौ अप्रैल को जमानत दे दी थी। शीर्ष अदालत ने उन्हें मानवीय आधार पर जमानत दी थी लेकिन अगले आदेश तक अजमेर नहीं छोड़ने को कहा था।

    चिश्ती को 20 साल पुराने हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा मिली हुई है। चिश्ती बीमार मां को देखने 1992 में पाकिस्तान से अजमेर आए थे। यहां उन पर पड़ोसी की हत्या का आरोप है।

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