
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि ममता किसी सूरत में एनडीए के साथ जाने का फैसला नहीं करेंगी। ऐसा करने से प्रदेश में मुस्लिमों की नाराजगी उन्हें भारी पड़ सकती है। प्रणब को साथ देने का ऐलान करते हुए चुनाव में मतदान से अनुपस्थिति रहने को ममता अलोकतांत्रिक बता चुकी हैं। वे सेकुलर खेमे और यूपीए से पूरी तरह अलग-थलग न हों, इसलिए ही उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अनुरोध स्वीकार करते हुए अंसारी के नाम पर फैसला करने के लिए बुलाई गई यूपीए की बैठक में मुकुल राय को भेजा था।
मुकुल राय ने अपनी ओर से गोपालकृष्ण गांधी और कृष्णा बोस का नाम आगे किया लेकिन इन नामों पर भी ममता ने पहले जैसा जोर नहीं दिया। गृह मंत्री पी चिदंबरम ने यूपीए बैठक से बाहर निकलकर कहा था कि, अंसारी के नाम की घोषणा पर मुकुल राय ने ताली बजाकर स्वागत किया था। कांग्रेस को लगता है कि प्रणब को राष्ट्रपति चुनाव में सात लाख से ज्यादा मत मिलेंगे। और अंसारी भी आसानी से जीत हासिल करेंगे।
कांग्रेस ने राष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल का रुख बदलने के बाद ममता से औपचारिक रूप से समर्थन भी मांगा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने फोन करके ममता को लंच पर भी बुलाया है। इसमें उन्होंने अपना प्रतिनिधि भेजने पर सहमति भी दे दी है।
कांग्रेस मान रही है कि ममता अब शायद ही अंसारी के नाम पर कोई ना-नुकर करें। उनके पास सीमित विकल्प हैं। इसमें सबसे बेहतर विकल्प अंसारी का साथ देना ही होगा।
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