भाई-बहन के पवित्र प्रेम का पर्व रक्षाबंधन इस बार दो तिथियों में मनाया जाएगा। पर्व
की शुरूआत में श्रावण की पूर्णिमा होगी और समापन पर भाद्रपद की एकम। इस
बार भद्रा नहीं होने से राहुकाल को छोड़कर रात दस बजे तक राखी बांधी जा
सकेगी। ज्योतिषाचार्य पं. पुरूषोत्तम गौड़ ने बताया कि श्रावण शुक्ल
पूर्णिमा को रक्षा बंधन मनाया जाता है। दो अगस्त को सवेरे 8.58 बजे तक ही
पूर्णिमा है।
इसके बाद भाद्रपद की एकम तिथि आ जाएगाी। लेकिन उदियात में पूर्णिमा तिथि होने से दिनभर पूर्णिमा तिथि ही मानी जाएगाी। इसलिए रक्षाबंधन का मुहूर्त दिनभर रहेगा। लेकिन जो श्रावणी पूर्णिमा को ही रक्षाबंधन मनाना चाहतेे हैं उन्हें सवेरे 9.00 बजे तक राखी बांधनी-बंधवानी होगी। पं. पुरूषोत्तम गौड़ के अनुसार सूर्योदय से लेकर सवेरे सात बजकर पैंतीस मिनट तक शुभ का चौघडिय़ा है।
10.35 से 1.30 बजे तक चर लाभ का चौघडिय़ा है। दोनों ही शुभ मुहूर्त हैं। राहुकाल का समय दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक हैं। इसमें रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए। शाम को 5.31 से रात 10 बजे तक भी शुभ मुहूर्त है। वेद वेदांग अनुशीलन संस्थान के अधिष्ठाता आचार्य दुर्गादत्त शिवदत्त शास्त्री के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाने वाले सवेरे नौ बजे तक रक्षाबंधन बनाए। हालांकि इसके बाद भी शुभ मुहूर्त है। शाम 5.31 से 7.10 तक शुभवेला है।
इससे पूर्व दोपहर 12 बजे से राहुकाल शुरु होने तक भी राखी बंधवाई जा सकेगी। रक्षाबंधन के दिन ही श्रावणी उपाकर्म मनाया जाएगा। यज्ञोपवीत धारी लोग भस्म, मिट्टी, दूध, दही, घी, शहद, गौमूत्र, गोबर, हल्दी, डाब से स्नान करेंर्गे। इसे दसविध स्नान कहा जाता है। ज्योतिर्विद पुष्पा तिवाड़ी के अनुसार दसविध स्नान करने से सभी पाप कर्मो का नाश हो जाता है।
इसके बाद भाद्रपद की एकम तिथि आ जाएगाी। लेकिन उदियात में पूर्णिमा तिथि होने से दिनभर पूर्णिमा तिथि ही मानी जाएगाी। इसलिए रक्षाबंधन का मुहूर्त दिनभर रहेगा। लेकिन जो श्रावणी पूर्णिमा को ही रक्षाबंधन मनाना चाहतेे हैं उन्हें सवेरे 9.00 बजे तक राखी बांधनी-बंधवानी होगी। पं. पुरूषोत्तम गौड़ के अनुसार सूर्योदय से लेकर सवेरे सात बजकर पैंतीस मिनट तक शुभ का चौघडिय़ा है।
10.35 से 1.30 बजे तक चर लाभ का चौघडिय़ा है। दोनों ही शुभ मुहूर्त हैं। राहुकाल का समय दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक हैं। इसमें रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए। शाम को 5.31 से रात 10 बजे तक भी शुभ मुहूर्त है। वेद वेदांग अनुशीलन संस्थान के अधिष्ठाता आचार्य दुर्गादत्त शिवदत्त शास्त्री के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाने वाले सवेरे नौ बजे तक रक्षाबंधन बनाए। हालांकि इसके बाद भी शुभ मुहूर्त है। शाम 5.31 से 7.10 तक शुभवेला है।
इससे पूर्व दोपहर 12 बजे से राहुकाल शुरु होने तक भी राखी बंधवाई जा सकेगी। रक्षाबंधन के दिन ही श्रावणी उपाकर्म मनाया जाएगा। यज्ञोपवीत धारी लोग भस्म, मिट्टी, दूध, दही, घी, शहद, गौमूत्र, गोबर, हल्दी, डाब से स्नान करेंर्गे। इसे दसविध स्नान कहा जाता है। ज्योतिर्विद पुष्पा तिवाड़ी के अनुसार दसविध स्नान करने से सभी पाप कर्मो का नाश हो जाता है।
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