कल से राजस्थान में लागू होगा सुनवाई का अधिकार अधिनियम
राज्य में कल से लागू हो रहे राजस्थान राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम से पूर्व ही राज्य में लोगों की पीड़ाओं की पोल खुल गई है। राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम के लागू होने के कुछ माह बाद ही राज्य में 57 लाख से अधिक प्रकरण सरकारी कार्यालयों में दर्ज हो चुके हैं। इसी अधिनियम की पूरकता के रूप में सरकार कल से प्रदेश में राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम लागू कर रही है।
राज्य सरकार ने पहले राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम-2011 लागू कर 18 विभागों की 153 सेवाओं को सम्मिलित किया था ताकि आम आदमी को अपने कार्यों के लिए भटकना नहीं पड़े। एक निश्चित समय सीमा में कार्य हो। काम नहीं होने की स्थिति में उसे यह हक मिले कि वह दोषी के विरूद्घ अपनी परिवेदना दे सके। इसके लिए कानून में निश्चित समय सीमा में काम न करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर दण्ड का प्रावधान किया गया था। कानून के लागू होने के बाद 31 मई तक प्रदेश में 57 लाख से अधिक प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं। प्रकरणों की संख्या से स्पष्ट है कि राज्य में आम व्यक्ति अपने काम करवाने के लिए किस कदर सरकारी कार्यालयों में चक्कर लगा रहा है।
लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम के तहत पहले 18 विभागों की 153 सेवाएं शामिल की गई थी। नियम, कानून एवं प्रक्रिया की वजह से सभी विभागों की सेवाएं सम्मिलित नहीं की गई थी। अब राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम में सभी विभागों की सेवाओं को इसमें शामिल किया गया है। इस अधिनियम से पूरे राज्य में अब आम आदमी को उसके निवास के पास ही राहत सुनिश्चित की जा सकेगी।
इस व्यवस्था से श्रम, समय एवं धन की बचत होगी। तहसील, जिला एवं राज्य स्तर पर आने वाली परिवेदनाओं की संख्या में भी कमी आएगी। राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम में लोक सेवा गारन्टी कानून में सम्मिलित सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार की शासकीय सेवाएं, कार्य तथा राज्य की कल्याणकारी योजनाएं एवं कार्यक्रमों को शामिल कर इनसे होने वाले असंतोष एवं शिकायत पर निर्धारित समय सीमा में सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
कानून में ऐसी व्यवस्था की गई है कि शिकायतकर्ता को उसके निवास के निकटतम स्थान यथा ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला स्तर पर सुनवाई का अवसर उपलब्ध हो । इसके लिए ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला एवं संभाग स्तर पर सुनवाई अधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी नियुक्त किए गए हैं। शिकायतों पर निर्धारित समय अवधि में सुनवाई कर परिवाद पर लिए गए निर्णय की जानकारी परिवादी को देने की कानूनी बाध्यता इस अधिनियम में लागू की गई है। इससे आम जनता को उसके अभाव अभियोगों में राहत प्राप्त करने के लिए एक निश्चित प्लेट फार्म उपलब्ध करवाया जाएगा। उसकी समस्याओं, शिकायतों पर एक निश्चित समय सीमा में न केवल सुनवाई का अवसर दिया जाएगा बल्कि शिकायत पर की गई कार्यवाही के बारे में जानकारी प्राप्त करने का भी कानूनी अधिकार दिया जाएगा। अधिनियम के तहत शिकायत कर्ता को उसके निवास स्थान के निकटतम स्थान ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला एवं संभाग स्तर पर सुनवाई का अवसर प्रदान करने के लिए सुनवाई अधिकारी एवं अपीलीय प्राधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इससे 15 दिन की समय सीमा में परिवाद पर सुनवाई हो सकेगी।
नियमों में शिकायत के लिए आवेदन प्रपत्र का निर्धारण तथा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन प्राप्ति की रसीद देने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही परिवाद पर लिए गए निर्णय की सूचना परिवादी को देने के लिए 7 दिन की समय सीमा निर्धारित करने के साथ ही निर्णय सूचना निर्धारित प्रपत्र में देने की बाध्यता लागू की गई है। निर्धारित समय सीमा में सुनवाई नहीं होने या सुनवाई अधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट होने पर अपील का प्रावधान है तथा 21 दिवस में प्रथम अपील का निस्तारण आवश्यक होगा। इसके साथ ही उपखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित लोक शिकायत एवं सतर्कता समिति की उप समिति को द्वितीय अपील प्राधिकारी की शक्तियां दी गई हैं।
अधिनियम में नोटिस बोर्ड पर सूचनाओं के लिए प्रपत्र का निर्धारण करने के साथ ही दोषी अधिकारी एवं कर्मचारी पर शास्ति का प्रावधान किया गया है। अधिकारी एवं कर्मचारी शास्ति के विरूद्घ पुनरीक्षण याचिका दायर कर सकेंगे। अधिनियम के तहत आवेदन देने, सूचना लेने के लिए सूचना तकनीकी उपयोग के मार्ग दर्शन के लिए सूचना एवं सहायता केन्द्रों की स्थापना भी की जाएगी।
राज्य में कल से लागू हो रहे राजस्थान राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम से पूर्व ही राज्य में लोगों की पीड़ाओं की पोल खुल गई है। राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम के लागू होने के कुछ माह बाद ही राज्य में 57 लाख से अधिक प्रकरण सरकारी कार्यालयों में दर्ज हो चुके हैं। इसी अधिनियम की पूरकता के रूप में सरकार कल से प्रदेश में राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम लागू कर रही है।
राज्य सरकार ने पहले राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम-2011 लागू कर 18 विभागों की 153 सेवाओं को सम्मिलित किया था ताकि आम आदमी को अपने कार्यों के लिए भटकना नहीं पड़े। एक निश्चित समय सीमा में कार्य हो। काम नहीं होने की स्थिति में उसे यह हक मिले कि वह दोषी के विरूद्घ अपनी परिवेदना दे सके। इसके लिए कानून में निश्चित समय सीमा में काम न करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर दण्ड का प्रावधान किया गया था। कानून के लागू होने के बाद 31 मई तक प्रदेश में 57 लाख से अधिक प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं। प्रकरणों की संख्या से स्पष्ट है कि राज्य में आम व्यक्ति अपने काम करवाने के लिए किस कदर सरकारी कार्यालयों में चक्कर लगा रहा है।
लोक सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम के तहत पहले 18 विभागों की 153 सेवाएं शामिल की गई थी। नियम, कानून एवं प्रक्रिया की वजह से सभी विभागों की सेवाएं सम्मिलित नहीं की गई थी। अब राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम में सभी विभागों की सेवाओं को इसमें शामिल किया गया है। इस अधिनियम से पूरे राज्य में अब आम आदमी को उसके निवास के पास ही राहत सुनिश्चित की जा सकेगी।
इस व्यवस्था से श्रम, समय एवं धन की बचत होगी। तहसील, जिला एवं राज्य स्तर पर आने वाली परिवेदनाओं की संख्या में भी कमी आएगी। राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम में लोक सेवा गारन्टी कानून में सम्मिलित सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार की शासकीय सेवाएं, कार्य तथा राज्य की कल्याणकारी योजनाएं एवं कार्यक्रमों को शामिल कर इनसे होने वाले असंतोष एवं शिकायत पर निर्धारित समय सीमा में सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
कानून में ऐसी व्यवस्था की गई है कि शिकायतकर्ता को उसके निवास के निकटतम स्थान यथा ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला स्तर पर सुनवाई का अवसर उपलब्ध हो । इसके लिए ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला एवं संभाग स्तर पर सुनवाई अधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी नियुक्त किए गए हैं। शिकायतों पर निर्धारित समय अवधि में सुनवाई कर परिवाद पर लिए गए निर्णय की जानकारी परिवादी को देने की कानूनी बाध्यता इस अधिनियम में लागू की गई है। इससे आम जनता को उसके अभाव अभियोगों में राहत प्राप्त करने के लिए एक निश्चित प्लेट फार्म उपलब्ध करवाया जाएगा। उसकी समस्याओं, शिकायतों पर एक निश्चित समय सीमा में न केवल सुनवाई का अवसर दिया जाएगा बल्कि शिकायत पर की गई कार्यवाही के बारे में जानकारी प्राप्त करने का भी कानूनी अधिकार दिया जाएगा। अधिनियम के तहत शिकायत कर्ता को उसके निवास स्थान के निकटतम स्थान ग्राम पंचायत, तहसील, उपखण्ड, जिला एवं संभाग स्तर पर सुनवाई का अवसर प्रदान करने के लिए सुनवाई अधिकारी एवं अपीलीय प्राधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इससे 15 दिन की समय सीमा में परिवाद पर सुनवाई हो सकेगी।
नियमों में शिकायत के लिए आवेदन प्रपत्र का निर्धारण तथा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन प्राप्ति की रसीद देने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही परिवाद पर लिए गए निर्णय की सूचना परिवादी को देने के लिए 7 दिन की समय सीमा निर्धारित करने के साथ ही निर्णय सूचना निर्धारित प्रपत्र में देने की बाध्यता लागू की गई है। निर्धारित समय सीमा में सुनवाई नहीं होने या सुनवाई अधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट होने पर अपील का प्रावधान है तथा 21 दिवस में प्रथम अपील का निस्तारण आवश्यक होगा। इसके साथ ही उपखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित लोक शिकायत एवं सतर्कता समिति की उप समिति को द्वितीय अपील प्राधिकारी की शक्तियां दी गई हैं।
अधिनियम में नोटिस बोर्ड पर सूचनाओं के लिए प्रपत्र का निर्धारण करने के साथ ही दोषी अधिकारी एवं कर्मचारी पर शास्ति का प्रावधान किया गया है। अधिकारी एवं कर्मचारी शास्ति के विरूद्घ पुनरीक्षण याचिका दायर कर सकेंगे। अधिनियम के तहत आवेदन देने, सूचना लेने के लिए सूचना तकनीकी उपयोग के मार्ग दर्शन के लिए सूचना एवं सहायता केन्द्रों की स्थापना भी की जाएगी।
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