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4 जुल॰ 2012

आम मशीन नहीं


ब्रह्मांड के सभी अनुसलझे रहस्यों की एक ही कुंजी है। इसी कुंजी पर टिकी है दुनिया भर के लाखों वैज्ञानिकों की नजर। इस कुंजी का नाम है लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर यानी एलएचसी।
यह कोई आम मशीन नहीं है। इसे बनाने में 14 साल लगे हैं। इसमें उपकरणों, सुपर कंप्यूटरों और तारों का जाल बिछा हुआ है। इस मशीन के अंदर ही वैज्ञानिक कणों की टक्कर कराते हैं। मशीन के अंदर ये कण तकरीबन 60 करोड़ बार एक दूसरे से टकराएंगे।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी ही टक्कर ब्रह्मांड के निर्माण के वक्त हुई थी। ये टक्कर प्रकाश की रफ्तार से होती है। लगातार टक्करों से छोटे-छोटे विस्फोट होंते हैं और फिर ये विस्फोट महा विस्फोट में बदल जाते हैं। ये सबकुछ होता है सेकेंड के सौवें हिस्से में।
ये मशीन काम करती है 27 किलोमीटर लंबी गोलाकार सुरंग में काम करती है। जो कि दुनिया के बेहतरीन 15 हजार वैज्ञानिकों की अत्याधुनिक प्रयोगशाला है।
दुनिया के 13 देशों के वैज्ञानिक इस रिसर्च में जुड़े हैं। 10 सितंबर 2008 को इस प्रयोग की शुरुआत हुई थी। तब से लेकर अब तक कई मुश्किलें आई, कई तकनीकी रुकावटें आईं लेकिन वैज्ञानिकों का हौसला नहीं टूटा वो प्रयोग में जुटे रहे।
उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य जो खोलना है। आज वो उस मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां से वो दुनिया के सबसे बड़े रहस्य से पर्दा हटा सकते हैं।

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