जीवन के करोड़ों स्वरूपों से दमकती इस सृष्टि को रचने वाला कौन है? कोई दैवीय शक्ति या फिर विज्ञान की वो ताकत, जो गॉड पार्टिकल में छिपी है? गॉड पार्टिकिल की कहानी करीब 14 अरब साल पहले शुरू होती है, जब इस ब्रह्मांड का जन्म हो रहा था।
14 अरब साल पहले जब ऊर्जा के महाविस्फोट के बाद पदार्थ के शुरुआती कणों ने जन्म लिया तो उन कणों का गुण-धर्म तय करने वाले कई दूसरे अनजाने कण भी अस्तित्व में आ गए मिसाल के तौर पर सिंगल टॉप क्वार्क और हिग्स बोसॉन।
फिजिक्स के सिद्धांत बताते हैं कि हिग्स-बोसॉन की मौजूदगी ने ही पदार्थ के कणों में वजन पैदा किया, लेकिन हिग्स-बोसॉन इस कदर रहस्यमय हैं कि वैज्ञानिकों ने उन्हें गॉड पार्टिकल यानी ईश्वरीय कणों का नाम दिया है।
इस ब्रह्मांड की रचना गॉड पार्टिकल के बगैर मुमकिन नहीं थी। क्योंकि गॉड पार्टिकल ने ही अलग-अलग परमाणुओं को आपस में जोड़कर नए पदार्थों के अनगिनत अणुओं को जन्म दिया और इन नए अणुओं ने आपस में जुड़कर एक से बढ़कर एक पदार्थ रच डाले।
ये ब्रह्मांड और इस संपूर्ण सृष्टि का स्वरूप जैसा हमें नजर आता है, ये केवल गॉड पार्टिकल की ही देन है। गॉड पार्टिकल जितना महत्वपूर्ण है उतना ही रहस्यमय भी क्योंकि इसके निशान तो कई बार मिले, लेकिन ये अब तक हमारी निगाहों के सामने नहीं आया है।
दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न में गॉड पार्टिकल यानी हिग्स बोसॉन की खोज जारी है और अब इस खोज के नतीजे को जानने का वक्त आ पहुंचा है।
जाहिर है इस समय सबसे ज्यादा चर्चा गॉड पार्टिकल की हो रही है। आसान शब्दों में समझते हैं आखिर गॉड पार्टिकल क्या है? गॉड पार्टिकल का वैज्ञानिक नाम 'हिग्स-बोसॉन' है। सृष्टि की रचना इसी कण की बदौलत हुई इसलिए इसे गॉड पार्टिकल कहते हैं।
गॉड पार्टिकल की खोज से हम जान सकेंगे कि ब्रह्मांड और इस सृष्टि की रचना कैसे हुई। गॉड पार्टिकल की खोज से ज्ञान-विज्ञान के नए दरवाजे खुलेगें और ब्रह्मांड से हमारे रिश्ते के बारे में समझ बढ़ेगी।
गॉड पार्टिकल की तलाश फर्मी लैब, टेवेट्रॉन और सर्न जैसी पार्टिकल कोलाइडर मशीनों में परमाणुओं को तोड़कर की जा रही है। गॉड पार्टिकल की खोज से दुनिया को कोई खतरा नहीं है। 10 साल से जारी ये खोज पूरी तरह से सुरक्षित है।
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