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5 जुल॰ 2012


जयपुर। राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी ने भारतीय सांख्यिकी संगठन के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के मामले में उनके खिलाफ याचिका के सवाल पर कहा है कि उन्हें जो ठीक लगे वह करे, मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता।

चुनाव प्रचार के लिए गुरुवार को जयपुर आए प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को यहां जेएलएन मार्ग स्थित एक होटल में मीडिया से बातचीत में कहा कि एक दौर था जब कांग्रेस केंद्र और राज्यों में बहुमत में हुआ करती थी, तब कांग्रेस राष्ट्रपति का उम्मीदवार तय करती थी।अब गठबंधन सरकारों के दौर में कई पार्टियां है, वे तय करती हैं कि राष्ट्रपति का उम्मीदवार कौन होगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने यूपीए की सहयोग पार्टियों से विमर्श कर मुझे उम्मीदवार तय किया। यूपीए के घटक दलों के अलावा जेडीयू, शिवसेना, सीपीआई, सीपीएम और फॉरवर्ड ब्लॉक जैसी पार्टियों ने भी मुझे समर्थन दिया है।


उन्होंने कहा कि हमारे यहां राष्ट्रपति चुनाव अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों से अलग हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति नीतियां क्रियान्वित करता है और सरकार चलाता है, हमारे यहां प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री यह काम करते हैं। भारत के संविधान में राष्ट्रपति का पद एक प्रतीकात्मक पद है और यह देश की भावना और गौरव का प्रतीक होता है। यहां राष्ट्रपति नीतियां क्रियान्वित नहीं करता है। राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी प्राथमिकताओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत में राष्ट्रपति नीतियां तय और क्रियान्वित नहीं करता, यह प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का काम है। राष्ट्रपति केवल संविधान के रक्षक की भूमिका निभाता है।

मैं कांग्रेस मैन हूं तो कांग्रेस का नेतृत्व मेरा मेंटर (गुरू ) :


एक सवाल के जवाब में मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रपति का कोई राजनीतिक गुरू नहीं होता है। मैं कांग्रेस मैन हूं तो कांग्रेस का नेतृत्व राजनीतिक गुरू है।

राष्ट्रपति बनने के बाद दादा कहेंगे या नहीं यह आप तय करें :


राष्ट्रपति बनने के बाद दादा के नाम से पुकारने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह आपको तय करना है। कई बार में मेरे साथी जब चीजों को ठीक नहीं कर रहे होते थे तब मेरा व्यवहार कुछ अलग तरह का होता, इसलिए मेरे साथी मुझे दादा के नाम से पुकारते हैं।


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