सरकारी नौकरी के लिए पुरानी कहावत है कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला पैसा ही उस बुजुर्ग के बचे हुए जीवन का आर ।धार होता है। उसी पैसे से बच्चियों की शादी तक का जुगाड़ किया जाता है। लेकिन सरकारी महकमा खुद को कंगाल बताते हुए रिटायरमेंट का पैसा रोक ले और यह तक नहीं बताए कि आखिर मिलेगा कब, तो उस स्थिति में कर्मचारी असहाय हो जाता है। यही सब हो रहा है रोडवेज में। जहां प्रशासन ने वित्तीय संकट बताते हुए 11 माह से रिटायर्ड कर्मचारियों का पैसा रोक रखा है।
रोडवेज ने जुलाई, 2011 से रिटायर्ड किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को ग्रेच्युटी, ओवर टाइम, ड्यूरेस्ट या छुटि्टयों के पैसे का भुगतान नहीं किया है। ऎसे सेवानिवृत्तों की संख्या 850 तक पहुंच गई जिनमें 780 कर्मचारी और 70 अधिकारी हैं। सूत्रों के अनुसार उन्हीं कर्मचारियों के मामले में रिटायरमेंट का पैसा मिल रहा है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है।
कर्मचारी और अधिकारियों के कुल पैसे का हिसाब लगाया जाए, तो यह राशि एक अरब रूपए हो गई, जिसका भुगतान कब होगा किसी को नहीं पता। आला अधिकारी कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के पैसे का बैकलॉग चल रहा है।
कर्मचारियों को यह भी सूचना मिल रही है कि जब कभी भी रिटायरमेंट का पैसा दिया जाएगा, तो ब्याज की राशि जुड़कर नहीं मिलेगी जबकि एक अरब पर प्रतिमाह एक करोड़ रूपए ब्याज के मिल सकते हैं। उधर कई कर्मचारियों ने पैसा नहीं मिलने के बाद रोडवेज पर मुकादमा कर रखा है।
&अभी हमारी हालत सेवानिवृत्ति का पैसे देने लायक नहीं है, लेकिन जल्द ही रिटायर्ड कर्मचारियों को उनका पैसा दे दिया जाएगा। मंजीत सिंह,सीएमडी रोडवेज
सिंधी कैंप स्थित केंद्रीय बस अड्डे में यूडीसी पद से अक्टूबर, 2011 में सेवानिवृत्त हुए धर्मवीर चौधरी को साढ़े 10 लाख रूपए अभी तक नहीं मिले हैं। चौधरी का कहना है कि पैसे की आवश्यकता थी, तब ब्याज पर लिया और अब रोडवेज पैसा देने में देरी कर रहा है। चौधरी ने ग्रेच्युटी के साढ़े सात लाख रूपए के लिए रोडवेज पर केस कर रखा है।
चूरू डिपो में कनिष्ठ पद से सेवानिवृत्त हुए महेश शर्मा को जुलाई, 2011 से पैसा नहीं मिला है। उनका कहना है कि चूरू डिपो से सेवानिवृत्त किसी भी कर्मचारी को अब तक पैसा नहीं मिल सका है और सभी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।
रोडवेज ने जुलाई, 2011 से रिटायर्ड किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को ग्रेच्युटी, ओवर टाइम, ड्यूरेस्ट या छुटि्टयों के पैसे का भुगतान नहीं किया है। ऎसे सेवानिवृत्तों की संख्या 850 तक पहुंच गई जिनमें 780 कर्मचारी और 70 अधिकारी हैं। सूत्रों के अनुसार उन्हीं कर्मचारियों के मामले में रिटायरमेंट का पैसा मिल रहा है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है।
कर्मचारी और अधिकारियों के कुल पैसे का हिसाब लगाया जाए, तो यह राशि एक अरब रूपए हो गई, जिसका भुगतान कब होगा किसी को नहीं पता। आला अधिकारी कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के पैसे का बैकलॉग चल रहा है।
कर्मचारियों को यह भी सूचना मिल रही है कि जब कभी भी रिटायरमेंट का पैसा दिया जाएगा, तो ब्याज की राशि जुड़कर नहीं मिलेगी जबकि एक अरब पर प्रतिमाह एक करोड़ रूपए ब्याज के मिल सकते हैं। उधर कई कर्मचारियों ने पैसा नहीं मिलने के बाद रोडवेज पर मुकादमा कर रखा है।
&अभी हमारी हालत सेवानिवृत्ति का पैसे देने लायक नहीं है, लेकिन जल्द ही रिटायर्ड कर्मचारियों को उनका पैसा दे दिया जाएगा। मंजीत सिंह,सीएमडी रोडवेज
सिंधी कैंप स्थित केंद्रीय बस अड्डे में यूडीसी पद से अक्टूबर, 2011 में सेवानिवृत्त हुए धर्मवीर चौधरी को साढ़े 10 लाख रूपए अभी तक नहीं मिले हैं। चौधरी का कहना है कि पैसे की आवश्यकता थी, तब ब्याज पर लिया और अब रोडवेज पैसा देने में देरी कर रहा है। चौधरी ने ग्रेच्युटी के साढ़े सात लाख रूपए के लिए रोडवेज पर केस कर रखा है।
चूरू डिपो में कनिष्ठ पद से सेवानिवृत्त हुए महेश शर्मा को जुलाई, 2011 से पैसा नहीं मिला है। उनका कहना है कि चूरू डिपो से सेवानिवृत्त किसी भी कर्मचारी को अब तक पैसा नहीं मिल सका है और सभी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।
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