इंजीनियरिंग में प्रवेश दिलवाने के लिए बहुत तेजी से एजुकेशन हब के रूप में उभरे कोटा के सामने अब नया संकट आ गया है। राजस्थान में इंजीनियरिंग का क्रेज जितनी तेजी से शुरू हुआ था अब उतनी ही तेजी से घटने लगा है।
इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या तो साल-दर-साल बढ़ती जा रही है, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या घटती जा रही है। आरपीईटी की पहली काउंसलिंग और अपवर्ड मूवमेंट के बाद राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों की आधी से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं। हालांकि अभी काउंसलिंग के अगले दौर और सीधे प्रवेश की छूट शेष है, लेकिन एआई-ईईई व अन्य कॉलेजों में सीधे प्रवेश के विकल्प होने के कारण सीटें भरती नजर नहीं आ रही हैं।
पिछले साल भी इंजीनियरिंग कॉलेजों में करीब पन्द्रह हजार सीटें खाली रह गई थीं। आरपीईटी प्रवेश प्रक्रिया में अभी एक माह शेष होने से पहले ही कॉलेजों ने हार मानना शुरू कर दिया है।
जयपुर के एक कॉलेज ने पहली काउंसलिंग में गिनती के विद्यार्थी आने पर आरटीयू में जीरो सेशन के लिए आवेदन करते हुए विद्यार्थियों को दूसरे कॉलेज में स्थानान्तरित करने की अपील की है।
यह है राजस्थान के कालेजों की स्थिति
139 - इंजीनियरिंग कॉलेज
61571 सीटें
65 हजार ने दी आरपीईटी
24040 सीटों के अलॉटमेंट के बाद विद्यार्थियों ने उपस्थिति दी (प्रथम काउंसलिंग में)
39531 सीटें अपवर्ड मूवमेंट के लिए रहीं।
4969 विद्यार्थियों को सीटें अलॉट की गई अपवर्ड मूवमेंट में
34562 सीटें प्रदेश के कॉलेजों में रिक्त बचीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें