जयपुर।
राजस्थान सरकार ने मानसून की बेरुखी के बाद अभावग्रस्त घोषित बीकानेर जैसे जिले से मनरेगा के लिए जारी राशि वापस मंगवा ली है। सूखे और बारिश की कमी के बाद जिले में लोगों में काम की मांग बढ़ रही है। इस जिले में 3.43 लाख परिवारों के जॉब कार्ड बने हैं, जिसमें सिर्फ 63,460 लोगों को काम दिया गया है। ऐसे में काम के लिए लोग इधर-उधर फिर रहे हैं। बीकानेर सहित 10 जिलों से 115 करोड़ की राशि वापस मंगवाई गई है।
मनरेगा में राशि का आवंटन जिलों की ओर से भेजी गई योजना और संभावित काम की मांग को देखते हुए किया जाता है। यह राशि उन जिलों से मांगी है, जिनमें श्रमिकों की ओर से काम की कम मांग दर्शाई गई है। दौसा जिले से 15 करोड़, बीकानेर 30 करोड़, भरतपुर 15 करोड़, हनुमानगढ़ 10 करोड़, राजसमंद 5 करोड़, बांसवाड़ा 25 करोड़, सीकर 5 करोड़, श्रीगंगानगर 3 करोड़, धौलपुर 3 करोड़ और झुंझुनूं से 4 करोड़ रु. की राशि मंगवाई है। राज्य सरकार ने केंद्र से राशि मिलते ही फिर से देने का भरोसा भी दिलाया है।
मानसून की बेरुखी के बाद अन्य जिलों में जरूरत को देखते हुए मंगवाई राशि
फार्म भरने पर नहीं दी जाती रसीद
रोजगार मांगने वालों को फॉर्म छह भरकर देना होता है, उसकी रसीद मिलने पर काम देने की गारंटी हो जाती है। अधिकतर मामलों में देखा गया है कि काम मांगने का फॉर्म देने पर रसीद नहीं दी जाती है। इससे काम की गांरटी नहीं रह जाती। अभियान से जुड़े निखिल डे का कहना है कि लोग काम मांगने जाते है, फॉर्म भी जमा कराते हैं, पर रसीद नहीं दी जाती। इसके चलते काम नहीं मिलता। हालांकि ग्रामीण विकास विभाग के एसीएस सी.एस. राजन इससे सहमत नहीं है।
क्यों मंगवाई राशि
जिन जिलों से राशि मंगवाई गई है, उनमें जॉब कार्ड के मुकाबले काम मांगने और करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। कुछ अन्य में अपेक्षाकृत रोजगार अधिक लोगों को दिया जा रहा है, इस राशि को वहीं उपयोग में लिए जाने की संभावना है। इनमें खासतौर से अभावग्रस्त घोषित और कम बारिश वाले जिले शामिल बताए जाते हैं।
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