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24 दिस॰ 2012

राजपथ पर आक्रोश और उत्पात

नई दिल्ली । जो राजपथ प्रति वर्ष 26 जनवरी को देश की आन-बान-शान की झांकी पेश करता है वह रविवार को भीड़ और साथ ही पुलिस के आपा खोने से रणक्षेत्र जैसा नजर आया। दिल्ली में गैंगरेप के खिलाफ शुरू हुआ स्वत: स्फूर्त आंदोलन दिशाहीनता के कारण तीसरे दिन हिंसक हो गया। दिशाहीन तो केंद्र सरकार से लेकर दिल्ली की राजनीति ही नहीं पुलिस भी दिखी।

इंडिया गेट, राजपथ, विजय चौक और आसपास के इलाकों के मेट्रो स्टेशन बंद करने के अलावा धारा 144 लगाने की तरकीब भी काम नहीं आई। देर शाम पुलिसिया निर्ममता के बाद आक्रोशित भीड़ उत्पात पर उतर आई। पानी की बौछार और लाठियों के जोर पर लोग इंडिया गेट से खदेड़े गए और उग्र भीड़ के चपेट में आने से एक अधिकारी को गंभीर चोटें आई। पुलिस की पिटाई से घायल होने वाले आंदोलनकारियों की संख्या भी कम नहीं थी।
राजधानी दिल्ली पूरे दिन अराजकता में घिरी रही। युवाओं के आक्रोश को शांत करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वादे के मुताबिक सुबह प्रदर्शनकारियों के एक दल से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद जैसे-जैसे आंदोलन में लोग बढे़ तो बिखराव भी। प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय घटना पर सिर्फ नजर रखने तक सीमित था जबकि पुलिस विजय चौक से लेकर जंतर-मंतर तक कड़ाके की ठंड में लाठियों, पानी की बौछार और आंसू गैस के गोलों के जरिए आंदोलनकारियों से निपट रही थी। आंदोलनकारियों के साथ झड़पों के शिकार हुए पुलिस इंस्पेक्टर सुभाष की हालत गंभीर बताई जा रही है।
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उनकी कैबिनेट देर शाम को जब जागी तब तक आंदोलन हिंसक होकर शहर के दूसरे हिस्सों में फैल चुका था। शीला गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से मिलीं और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को हटाने मांग कर डाली। मुख्यमंत्री से पहले सांसद संदीप दीक्षित भी पुलिस कमिश्नर को हटाने की मांग कर चुके थे।
पुलिस सुबह से बदहवास थी जबकि रविवार होने के कारण आंदोलनकारी लगातार बढ़ रहे थे। शनिवार को लोगों का गुस्सा देखकर पुलिस ने इंडिया गेट पर सुबह धारा 144 लगा दी थी, लेकिन दोपहर में ही इसे वापस भी ले लिया गया। दिल्ली का तापमान पांच-छह डिग्री के आसपास होने के बावजूद पूरे दिन में पुलिस ने एक दर्जन से ज्यादा बार लाठियां भांजी और करीब 250 आंसू गैस गोले छोड़े। विजय चौक, इंडिया गेट, रेल भवन और जंतर-मंतर के आसपास आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों के बाद पुलिस क्रूरता पर उतर आई। पुलिस ने खूब लाठी भांजी, पत्थर चले और लोगों के चोटें आई। देर शाम पुलिस ने लाठियों की पूरी ताकत झोंक कर इंडिया गेट को खाली करा लिया।
सियासत के नए सूरमा बाबा रामदेव, अरविंद केजरीवाल ने आंदोलन के मंच का इस्तेमाल करने की कोशिश की जिससे लोगों की भागीदारी और बढ़ गई। दूसरी तरफ कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व यही तय नहीं कर पा रहा था कि वह आंदोलन की तारीफ करें या इसकी निंदा।

राष्ट्रपति की बेटी भी डरी रहती हैं दिल्ली में

जब राजा से फकीर तक की आवाज आने लगे कि इस शहर में हमें डर लगता है तब लोग सवाल पूछते हैं कि कानून-व्यवस्था किसके हाथ में है। कुछ ऐसी ही हालत दिल्ली की है। देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि दिल्ली में मुझे भी डर लगता है। शर्मिष्ठा ने कहा, ‘मैं कोशिश करती हूं कि देर रात से पहले घर पहुंच जाऊं। रात 9 बजे के बाद धीर-धीरे डर सताने लगता है। मैं जिस इलाके में रहती हूं वहीं से मेरी दोस्त के पर्स छीन लिए गए। जब एक महिला से बेखौफ अपराधी अकेले पाकर पर्स छीन सकते हैं तो कुछ भी करने की हिम्मत रखते होंगे।’
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा, मुझे अच्छा लग रहा है कि दिल्ली के नौजवान महिलाओं की सुरक्षा के लिए सड़क पर निकलकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। इस आवाज को बनाए रखने की जरूरत है ताकि आने वाले समय में कोई महिला को बुरी नजर से देखने की हिम्मत न करे। गौरतलब है कि शर्मिष्ठा केवल इसलिए नहीं जानी जाती हैं कि वह राष्ट्रपति की बेटी हैं बल्कि मशहूर कथक डांसर भी हैं।
शर्मिष्ठा ने इस गैंगरेप केस में दोषियों को फांसी पर लटकाने की मांग का जोरदार तरीके समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इन दरिंदो की तुलना हम जानवरों से भी नहीं कर सकते क्योंकि जानवरों में संवेदनशीलता होती है। यदि जानवरों से तुलना करती हूं तो उनकी तौहीन ही होगी। शर्मिष्ठा ने कहा कि जिस तरीके से लड़की के साथ किया गया है वह कत्ल से भी जघन्य अपराध है। यह वाकई ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला है। इसमें फांसी की सजा ही इन दरिंदों को मिलनी चाहिए।
दूसरी तरफ देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बेटी नूरिया अंसारी भी बेहद गुस्से में हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं इस शहर में सुरक्षित नहीं हैं। इनकी सुरक्षा हर हाल में होनी चाहिए। नूरिया ने कहा कि इस लड़की साथ जैसा किया गया है उसमें केवल फांसी की सजा ही मिलनी चाहिए। नूरिया ने कहा कि मैं उन नौजवानों के साथ हूं जो इन दरिंदों को फांसी पर लटकाने की मांग कर रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिदे की बेटी परिणिता शिंदे ने कहा कि यदि इन दरिंदों को फांसी देने के लिए कानून इजाजत नहीं देता है तो कानून बदलने की जरूरत है। परिणिता ने कहा कि हमें कानून को वक्त के साथ अपडेट करना चाहिए। परिणिता ने भी फांसी की सजा की मांग का खुले दिल से समर्थन किया है। शर्मिष्ठा, नूरिया और परिणिती ने ये बातें आज तक से कहीं हैं।

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