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29 जन॰ 2013

गोपालगढ़ मामले को लेकर कांग्रेस की चिंता बढ़ी


जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव निकट आते देख गोपालगढ़ मामला एक बार फिर गरमाने लगा है। कांग्रेस के वोट बैंक माने जाने वाले मुस्लिम समाज में गोपालगढ़ मामले के माध्यम से सेंध लगाने की तैयारी हो रही है।
एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश से सटे गोपालगढ़ फायरिंग मामले को लेकर राजस्थान में सक्रिय हो गए,वहीं दूसरी तरफ दौसा के निर्दलीय सांसद डॉ.किरोड़ी लाल मीणा और पूर्व सांसद विश्वेन्द्र सिंह मिलकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर रहे है। मीणा ने आज जयपुर में मुस्लिम समाज के लोगों के साथ शासन सचिवालय के पास धरना दिया और मौजूदा कांग्रेस सरकार को मुस्लिम विरोधी बताया।
उन्होंने गोपालगढ़ फायरिंग मामले में तत्कालीन जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक की गिरफ्तारी एवं मृतकों के परिजनों को आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की। धरने में भरतपुर और अलवर जिलों के (मेव) मुस्लिम बड़ी तादाद में शामिल हुए। मीणा का प्रयास है कि मेव, मीणा और जाट वोट बैंक का समीकरण बनाकर गैर भाजपा एवं गैर कांग्रेसी सरकार बनाई जाए।
मीणा बाहुल्य माने जाने वाले करौली,सवाई माधोपुर, दौसा, अलवर जिलों की दो दर्जन विधानसभा सीटों पर किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले तीन साल से ध्यान केन्द्रीत कर रखा है। उनका साथ दे रहे है पूर्व सांसद विश्वेन्द्र सिंह उनका भरतपुर एवं अलवर जिलों के जाटों पर प्रभाव है। अब मीणा ने गोपालगढ़ मामला उठाकर भरतपुर एवं अलवर की मुस्लिम (मेव)बाहुल्य आधा दर्जन विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश शुरू की है। इधर कांग्रेस भी अपने मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के हो रहे प्रयासों से सचेत हो गई।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को दिनभर पार्टी नेताओं के साथ इस मामले को लेकर बैठक की। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी गोपालगढ़ मामले को खुद काफी सक्रिय रहे है। पिछले साल दस सितम्बर को एक तालाब को लेकर हुए विवाद और पुलिस फायरिंग में मुस्लिम समाज के दस लोगों की मौत के बाद राहुल गांधी ने खुद गोपालगढ़ का दौरा किया और मृतकों के परिजनों से मिले थे। उत्तर प्रदेश और हरियाणा से सटे भरतपुर के गोपालगढ़ में हुए इस घटनाक्रम को लेकर सोनिया और राहुल काफी चिंतित है।
पार्टी आलाकमान तक यह जानकारी पहुंची है कि गोपालगढ़ में दस लोगों की मौत से राजस्थान ही नहीं बल्कि यूपी और हरियाणा के मुस्लिम (मेव) समाज में काफी नाराजगी है।
गौरतलब है कि कांग्रेस के लिए गोपालगढ़ प्रकरण कांग्रेस सरकार के लिए कमजोर कड़ी है। पार्टी और सरकार नहीं चाहते कि इन दोनों विवादास्पद मुद्दों को इस समय तूल मिले। चुनावी साल में ये मुद्दे कांग्रेस के वोट बैंक को भी प्रभावित कर सकते है।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने पार्टी के अल्पसंख्यक नेताओं से आग्रह किया है कि वे पार्टी से जुड़े नेताओं को सम्मेलन से दूर रखने में सहयोग करें। इधर अल्पसंख्यक संगठन जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव अब्दुल वाहिद खतरी की अगुवाई में पिछले दिनों बड़ी तादाद में मेव मुस्लिम समाज के लोग एकत्रित होकर दोषियों को सजा की मांग कर चुके है।

अल्पसंख्यकों ने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता


जयपुर। कांग्रेस चिंतन शिविर से ठीक एक दिन पहले आज जयपुर में हुए अल्पसंख्यकों के सम्मेलन में कांग्रेस और राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को साफ चेतावनी दी गई कि या तो वे संभल जाए नहीं तो आने वाले समय में मुश्किल हो सकती है। अल्पसंख्यक नेताओं ने यूपी और हरियाणा से सटे भरतपुर के गोपालगढ़ में पुलिस फायरिंग से हुई दस मुस्लिमों की मौत का जिम्मेदार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बताते हुए कांग्रेस आलाकमान से उन्हे तुरंत पद से हटाने की मांग की। मुस्लिम समाज ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सोच समझकर वोट देने पर मंथन किया।

चिंतन शिविर से एक दिन पूर्व हुए अल्पसंख्यक सम्मेलन में हुई राजनीतिक चर्चा और वोट का इस्तेमाल सोच-विचार करने के निर्णय ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। कांग्रेस के वोट बैंक रहे मुस्लिम समाज की नाराजगी से चिंतित पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री का निर्देश दिए कि इस वर्ग की नाराजगी दूर करने के तत्काल प्रयास शुरू किए जाए।
सम्मेलन से एक दिन पूर्व बुधवार को और सम्मेलन सम्पन्न होने के बाद आज शाम कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल एवं प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक ने मुख्यमंत्री से हालात की जानकारी ली। सरकार और कांग्रेस के खिलाफ हुए सम्मेलन का जवाब देने के लिए सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों से जुडे विभिन्न आयोगों एवं बोर्ड अध्यक्षों की प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कराई गई। इसमें यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि गहलोत सरकार ने अल्पसंख्यक समाज के लिए कई निर्णय किए है। सीएम और पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेता पिछले दो दिन से इस प्रयास में जुटे है कि चिंतन शिविर के दौरान कहीं कोई विवाद उत्पन्न नहीं हो जाय।
चिंतन शिविर स्थल बिड़ला सभागार के ठीक सामने होटल हवेली में आज अल्पसंख्यक संगठन जमीयत उलेमा-ए-राजस्थान और मुस्लिम आरक्षण संघर्ष समिति के तत्वावधान में आरंभ अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जादानशीन दीवान हजरत सय्यद जैनुअल आबेदीन ने दुआ करके किया। इस मौके पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कब तक नशे में रहेंगे। जब अंग्रेजों का शासन ही नहीं टिका, तो गहलोत कहां टिक पाएंगे। इस बात को केन्द्र सरकार को भी समझना होगा। अब्दुल वाहिद खतरी ने संगठन की मांगों पर विचार व्यक्त किए। इस मौके पर प्रदेशभर के मुस्लिम शामिल हुए।
संगठन के महासचिव अब्दुल वाहिद खतरी ने भरतपुर के गोपालगढ़ में पिछले साल पुलिस फायरिंग में दस लोगों की मौत के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्ही के आदेश से गोली चली थी,इसलिए कांग्रेस उन्हे पद से हटाकर किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री बनाए नहीं तो मुस्लिम समाज विस.चुनाव में वोट देने से पूर्व सोच विचार करेगा।
उन्होंने मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने की भी मांग की। इधर फिल्मकार महेश भट्ट ने मुसलमानों की मौजूदा स्थिति के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार को चेताया कि अभी चिंतन शिविर में चेत जाए। मुसलमानों की स्थिति को गंभीरता से लें, वरना आने वाले समय में दिक्कत खड़ी हो जाएगी।
उन्होंने प्रदेश में हुए सांप्रदायिक दंगों को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि मानसिकता बदलनी होगी। इसके लिए पुलिस को साइक्लोजिकल ट्रेनिंग की जरूरत है।
भट्ट फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एंड एनालिसिस की ओर से प्रदेश और केन्द्र सरकार की मुस्लिम और उर्दू विरोधी नीतियों के खिलाफ जयपुर के शहीद स्मारक पर हुए धरने को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा कि कांग्रेस की मुस्लिम विरोधी नीतियों से नरेन्द्र मोदी और अशोक गहलोत में कोई फर्क नहीं लगता।
उन्होंने कहा कि अब फासिस्ट पार्टी हो या लेफ्ट, सांप्रदायिक पार्टी हो या फिर जोड़-तोड़ की सरकार, सब चलेगी। लेकिन कांग्रेस को सत्ता में नहीं आने दिया जाएगा।

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