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नई दिल्ली। अन्तर्राष्ट्रीय पंचाट के हेग स्थित न्यायालय ने नीलम
नदी पर 330 मेगावाट परियोजना के लिए आवश्यक जल डायवर्जन मामले में निर्णय
भारत के पख में दिया है। गौरतलब कि भारत नीलम नदी पर 330 मेगावाट के
'किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक' परियोजना के लिए जल डायवर्जन करना चाहता था।
जिस पर पाकिस्तान ने भारत पर सिंधु जल संधि की शर्तों का उल्लंघन करने का
आरोप लगाते हुए इस परियोजना का विरोध किया था और इस पर स्थगन की मांग की
थी।
विदेश मंत्रालय ने इस मामले की जानकारी देते हुए कहा कि पंचाट न्यायालय के
इस फैसले से साफ हो गया है कि सिंधु जल संधि की शर्तों का उल्लंघन नहीं
किया गया है। हम न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हैं जिससे कि भारत
को अपनी परियोजना के लिए जल डायवर्जन की अनुमति मिल गयी है।
ऐसा माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद के बीच यह
पाकिस्तान के लिए एक झटका है और इससे भारत को लाभ मिलेगा। इस परियोजना का
लाभ कश्मीर के लोगों को मिलेगा।
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