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4 फ़र॰ 2013

अपनी कुर्सी अपना ध्यान, रामभरोसे हिंदुस्तान..!


 एटा: रंग महोत्सव में आयोजित अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन में शनिवार की रात कवियों की रचनाएं सुनने आए श्रोता भोर की किरण फूटने तक जमे रहे। जिला कृषि और औद्योगिक विकास प्रदर्शनी के पंडाल में कवि सम्मेलन का उद्घाटन डीआइजी प्रकाश डी और विधायक अलीगंज रामेश्वर सिंह ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। मां सरस्वती के चित्र के समक्ष जिलाधिकारी लोकेश एम, एसएसपी अजयमोहन शर्मा ने माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित किया।
मुंबई से आई कवित्री डा. सावित्री कोचर ने संचालन संभालते ही कवित्री व्यंजना शुक्ला को आवाज दी, तो उन्होंने मां बागेश्वरी की वंदना सुनाते हुए कहा 'वीणा के तार बजाती नहीं तुम, सरगम का हमें ज्ञान नहीं होता'। वरिष्ठ कवि अशोक चक्रधर ने कवि बलवीर सिंह रंग का नमन कर सुनाया 'गूंजे गगन में, महके पवन में, हर एक वन में सदभावना'। उन्होंने व्यंग्य रचना में सुनाया 'घर पर धोबी अपने कुत्तो को जब गधे के सामने फटकारता है, एक धोबी का कुत्ता ही है, जो घर का है न घाट का है'। ओमप्रकाश यदुवंशी ने राजनीति पर व्यंग्यबाण कुछ कसे 'घटक-घटक हो जाये चाहें, गुटबाजी कर लो, राम सलाम सभी से कर लो '। गीतकार डॉ. सुशीलाशील ने दिल्ली में दामिनी के साथ हुए दुष्कर्म की घटना को अपनी पंक्तियां दीं 

'निगाहें इनकी नहीं है, इरादे इनके गंदे हैं, सड़क पर आदमी हैं या दरिन्दे ही दरिन्दे हैं'।

हाथरस के पदम अलवेला ने हास्य रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीत लिया, उन्होंने जवानी और बुढ़ापे का अंतर बताया। बीनू महेन्दु ने वर्तमान व्यवस्था पर करारा व्यंग कसते हुए कहा- अपनी कुर्सी अपना ध्यान, रामभरोसे हिन्दुस्तान। इसके अलावा सरदार रतन सिंह रतन, अब्दुल अयूब गौरी, व्यंजना शुक्ला ने भी रचना पढ़ीं। लाफ्टर चैम्पियन सरदार प्रताप फौजदार, भोपाल से आई अनु सपन, मध्यप्रदेश हरदा से आये मानिक वर्मा और डॉ. विनीत चौहान ने श्रेष्ठ रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

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