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18 फ़र॰ 2013

पूरे भारत का इंटरनेट कनेक्शन कट सकता है?

internet-5123037f447df_lक्या आपने कभी सोचा है कि किसी देश में इंटरनेट के सभीकनेक्शन काटना कितना मुश्किल होगा?
अगर आपको लगता है कि इसका ख़तरा तानाशाही में या गृह युद्ध झेल रहे देश में ज़्यादा होगा, तो जान लीजिए कि शांति पसंद लोकतंत्र में भी इंटरनेट के कटने का काफ़ी ख़तरा है। भारत को ही लीजिए। ‘इंटरनेट कनेक्टिविटी’ पर हुए एक शोध के मुताबिक इंटरनेट कटने का जितना ख़तरा, सरकार के नियंत्रण से बाहर क़बायली नेताओं के साये में अफ़गानिस्तान में है, उतना ही यहां भी।
पर ये कैसे? वर्ष 2012 में लीबिया, मिस्र और सीरिया में इंटरनेट के कनेक्शन काटे जाने के बाद ‘रेनेसिस’ नाम की संस्था ने दुनिया के सभी देशों में कनेक्शन कटने की संभावना पर शोध किया।
‘रेनेसिस’ के मुताबिक इंटरनेट काटने की क्षमता सरकार या बाहुबल पर ही नहीं, बल्कि दुनिया से तार जोड़ने वाले इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ग्लोबल आईएसपी) पर भी निर्भर करती है।
ग्लोबल आईएसपी ज़्यादा होंगे तो ख़तरा कम, क्योंकि पूरे तरीके से इंटरनेट गायब करने के लिए इन सबको एक साथ बंद करना होगा।
भारत को कितना ख़तरा?
रेनेसिस के मुताबिक जिन देशों में बहुत जटिल और आधुनिक सैटेलाइट नेटवर्क है, वहां इंटरनेट कटने का ख़तरा ज़्यादा है।
‘रेनेसिस’ के प्रमुख तकनीकी अफ़सर जिम कोवी ने बीबीसी को बताया, “ईरान में 100 आईएसपी हैं, लेकिन इनमें से 10 से कम ही दुनिया से जुड़े हैं, इसलिए इन्हें रोकना और इंटरनेट काटने का ख़तरा बहुत ज़्यादा है।”
वहीं अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों में ये ख़तरा है ही नहीं। यानी वहां 40 से ज़्यादा ग्लोबल आईएसपी हैं, तो इंटरनेट को पूरी तरह बंद करना मानो मुमकिन ही नहीं।
और भारत में? ‘रेनेसिस’ के मुताबिक दुनिया के बाकि देशों के मुकाबले भारत में इंटरनेट रोक पाने का ख़तरा कम है क्योंकि यहां 10 से 40 ग्लोबल आईएसपी हैं, इन सबको एक साथ बंद कर पाने में कई दिन लग सकते हैं।
लेकिन उतना ही कम ख़तरा अफ़गानिस्तान में भी है। अफ़गानिस्तान में सरकार का नियंत्रण कम है, उज़बेक, ईरानी और पाकिस्तानी सीमाएं लांघ कर इंटरनेट तक पहुंचने की संभावना ज़्यादा। यानी एक साथ सारा इंटरनेट काटने में कई दिन लग सकते हैं।
कहां कट जाएगा पूरा इंटरनेट कनेक्शन?
‘रेनेसिस’ के मुताबिक यूरोपीय देश बेलारूस में इंटरनेट काटे जाने का ख़तरा बहुत ज़्यादा है।
वहां एक सरकारी टेलिकॉम कंपनी बेलारूस के सभी आईएसपी को दुनिया से जोड़ती है, उसके ज़रिए पूरे देश का इंटरनेट बंद किया जा सकता है।
इसका पोस्टकोड भी गोपनीय नहीं है क्योंकि इंटरनेट के काम करने के लिए इसका सार्वजनिक होना ज़रूरी है। बेलारूस का पोस्टकोड है 6697।
वहीं ‘रेनेसिस’ के मुताबिक चीन में इंटरनेट काटे जाने का ख़तरा कम है। हालांकि वर्ष 2009 और 2010 में चीन के ज़िनजियांग प्रांत में इंटरनेट काट दिया गया था।
‘रेनेसिस’ बताता है कि चीन में कई स्वतंत्र कंपनियां इंटरनेट का काम कर रही हैं और इन पर ज़ोर आज़माना चीन सरकार के लिए मुश्किल है।
लेकिन चीन में साइबर-सिक्यूरिटी के विशेषज्ञ ऐडम सेगल अलग राय रखते हैं। उनका कहना है, “चीन के आईएसपी दुनिया की जानकारी को रोकने में माहिर हैं, ऐसे में कोई कंपनी सरकार की बात नहीं मानेगी, इस पर यकीन करना मुश्किल है।”
सेगल के मुताबिक चीन दुनिया को यही संदेश देना चाहता है कि उसके देश में इंटरनेट पर कोई रोकटोक नहीं है, इसलिए ज़रूरत पड़ने पर वो इंटरनेट को बंद नहीं बल्कि उसकी रफ्तार बहुत धीमी कर देने जैसे तरीके अपनाएगा।

नौ को धोखा दे सकता है इंटरनेट

दुनियाभर के इंटरनेट यूजर्स सावधान हो जाएं सोमवार 9 जुलाको वायरस उनको परेशानी में डाल सकता है. नौ को इंटरनेट सर्विस में बाधा आ सकती है. क्योंकि वायरस मालवेयर आपके कंप्यूटर पर हमला कर सकता है. जानकारों के अनुसार दुनियाभर के करीब 2.5 लाख कंप्यूटर्स इसकी जद में आ सकते हैं. गौरतलब है कि पिछले साल भी इस वायरस ने दुनियाभर के इंटरनेट यूजर्स को परेशान किया था.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने इससे निपटने के लिए एक खास वेबसाइट तैयार की है. मालवेयर के इफेक्ट से बचने के लिए इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर काम कर रहे हैं. यह खतरा उनके लिए है जिनके कंप्यूटर में पहले से डीएनएस वायरस है.
एफबीआई एल्यूरॉन डीएनएस चेंजर वायरस के खिलाफ सुरक्षा देना बंद कर देगी. एफबीआई ने पिछले साल नवंबर में इस्टोनिया में 6 लोगों को हिरासत में लेकर एक बड़ी इंटरनेट फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश किया था.
एफबीआई की पकड़ में एल्यूरॉन डीएनएस चेंजर वायरस आ गया था और एफबीआई ने इसके खिलाफ लाखों कंप्यूटरों को सुरक्षा उपलब्ध करवा रखी थी.
क्या है मालवेयर:
यह वायरस कंप्यूटर का डीएनएस पता बदलकर जानकारी चुरा लेता है और फिर उसे साइबर अपराधियों के सर्वर पर भेज देता है. बैंक या पर्सनल डेटा को इकट्ठा करके साइबर अपराधी फिर फ्रॉड को अंजाम देते है.
एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 2.5 लाख कंप्यूटर इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं. बीते साल इंटरनेशनल हैकरों के कारण यह समस्या शुरू हुई. इससे निपटने के लिए एफबीआई एजेंटों ने हैकरों के सर्वर को बंद करने का विचार किया था, लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि ऐसा करने से यूजर अपनी इंटरनेट सेवाएं खो देंगे.
जिन कंप्यूटरों में यह वायरस है उसमें मालवेयर वेब सर्फिंग को धीमा करने के साथ उनके एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर को डिसेबल कर चुका होगा. वैसे इंटरनेट प्रोवाइडर कंपनियां अपने ग्राहकों की मदद के लिए योजना बना रहे हैं.

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