बीजिंग।
चीन की सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए रेल मंत्रालय में फेरबदल करने का फैसला लिया है
चीन ने सरकारी मंत्रालयों को सरल और कारगर बनाने की मुहिम के तहत देश के रेल मंत्रालय को खत्म करने की घोषणा की है.
पिछले सालों में एक ओर तो चीन के रेल मंत्रालय में भारी निवेश हुआ है वहीं ये कर्ज़ लेने, भ्रष्टाचार, घोटाले और भयानक दुर्घटनाओं की वजह से भी चर्चा में रहा है.
चीन में दुनिया का सबसे बड़ा हाई-स्पीड रेल नेटवर्क है और अगले साल भी इसमें 100 अरब डॉलर से ज़्यादा के निवेश की योजना है. लेकिन तेज़ी से बढ़ते इस नेटवर्क में कई दुर्घटनाओं ने सुरक्षा के सवाल खड़े कर दिए. अब चीन की संसद की सालाना बैठक में सरकारी मंत्रालयों के व्यापक पुनर्गठन पर बातचीत हुई जिसमें रेल मंत्रालय को खत्म करने का फैसला लिया गया.
स्टेट काउंसिल के महासचिव मा काई का कहना है, “स्टेट काउंसिल के विभाग अब अपने छोटे-छोटे मसलों पर ज़ोर दे रहे हैं, हमें एक-दूसरे के विभागों में दख़ल नहीं देना चाहिए.”
किस पर होगी जिम्मेदारी
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रेल मंत्रालय की नियामकीय जिम्मेदारियां अब परिवहन मंत्रालय के जिम्मे होंगी और इसके संचालन का दायित्व एक वाणिज्यिक इकाई पर होगा. सरकार ने रेल उद्योग को निजी निवेशकों के लिए भी खोलने का वादा किया है ताकि बड़े पैमाने पर निवेश की राह तैयार हो.
देश के नेता इस कदम को रेल विभाग की क्षमता बढ़ाने और भ्रष्टाचार से लड़ने जैसे उपायों के तौर पर देख रहे हैं. चीन में इन सुधारों का पहला चरण साल 2008 में शुरू हुआ जिसके तहत 15 सरकारी विभागों में बदलाव किए गए. उस वक्त 28 मंत्रिमंडलीय स्तर की एजेंसियों की तादाद कम करके 27 कर दी गई थी और साथ ही पांच ‘सुपर मंत्रालय’ भी बनाया गया.
सुपर एजेंसी
रेलवे मंत्रालय और परिवार नियोजन आयोग पर विशेष तौर पर सवाल उठाए जाते रहे हैं ऐसे में इनमें सरकार द्वारा सुधार के फैसले की उम्मीद कुछ वक्त से जताई जाती रही है.
एक संतान वाली नीति के विवादों से घिरे परिवार नियोजन आयोग जैसी एजेंसी को अब स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ जोड़ दिया गया है. सरकार ने एक सुपर एजेंसी तैयार करने का मन भी बनाया है ताकि मीडिया का नियमन करने के साथ अन्य नौकरशाही विभागों की दिशा बदलकर उनकी क्षमता बढ़ाई जाए.
सरकार की पुनर्गठन योजना के तहत मंत्रिमंडल स्तर की एजेंसियों की तादाद कम करके 25 कर दी जाएंगी. इसके अलावा खाद्य एवं दवा नियामकों की भूमिका को भी बढ़ाने का फैसला किया गया है. अब इन विभागों को भी मंत्रालय का दर्जा दिया जा रहा है ताकि इनके पास अतिरिक्त शक्तियां हों.
"स्टेट काउंसिल के विभाग अब अपने छोटे-छोटे मसलों पर ज़ोर दे रहे हैं, हमें एक-दूसरे के विभागों में दख़ल नहीं देना चाहिए."
मा काई, स्टेट काउंसिल के महासचिव
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