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मोदी को लेकर नीतीश की बयानबाजी को लेकर बीजेपी में कितना गुस्सा है, उसका अंदाजा पार्टी के एक पदाधिकारी की बातों से लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार के इस रवैये को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह ठीक उस तरह से है, जैसे कि 1979 में जनता सरकार को गिराने के लिए नीतीश कुमार के सीनियर समाजवादियों ने सांप्रदायिकता का हौवा खड़ा किया था।' गौरतलब है कि साल 1979 में जनता पार्टी के समाजवादी सदस्यों ने जन संघ के नेताओं के रिश्ते आरएसएस से होने का विरोध करते हुए सरकार से किनारा कर लिया था।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि कोर ग्रुप और पार्ल्यामेंटरी बोर्ड 5 मई को कर्नाटक विधानसभा इलेक्शन के बाद बिहार में जेडी(यू)से नाता तोड़कर सरकार से हटने के बारे में फैसला कर सकता है। हालांकि, बीजेपी के अलग होने से नीतीश कुमार की सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। उन्हें 243 सीटों वाली विधानसभा में 120 विधायकों का समर्थन हासिल है। इन हालात में और किसी की सरकार बनने की गुंजाइश नहीं है। ऐसे में इस बात की संभावनाएं ज्यादा होंगी कि जल्द चुनावों से बचने के लिए जेडी(यू) को कुछ नए सहयोगी मिल जाएं
।गौरतलब है कि बिहार से आए सीनियर बीजेपी नेताओं के ग्रुप सोमवार को पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात कर नीतीश कुमार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी। इनमें बिहार के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सी.पी. ठाकुर, स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे गिरिराज सिंह और चंद्रमोहन राज शामिल थे। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी नीतीश के रवैये को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा, 'जो कुछ हुआ, वह नहीं होना चाहिए था।' हालांकि उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि पार्टी ने बिहार में जेडी(यू) से अलग होने का फैसला किया है या नहीं।
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