नई दिल्ली, नरेंद्र मोदी को केंद्रीय चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने के ठीक एक महीने बाद सोमवार को बीजेपी संसदीय बोर्ड ने तय किया कि पार्टी की चुनावी रणनीति को कामयाब बनाने के लिए मोदी और राजनाथ सिंह मिलकर कमिटियां बनाएंगे। यह भी तय हो चुका है कि मोदी को चुनाव अभियान से जुड़े नीतिगत फैसले संसदीय बोर्ड की सलाह से ही लेने होंगे। संकेत साफ हैं कि मोदी को फ्री हैंड नहीं मिलने जा रहा है। इसे लालकृष्ण आडवाणी के कथित मोदी विरोधी अभियान का नतीजा माना जा रहा है।
गोवा में कार्यकारिणी बैठक में जब मोदी को कैंपेन कमिटी का चीफ घोषित किया गया था तब यह माना जा रहा था कि अब चुनाव प्रचार की कमान सीधे मोदी के हाथ में आ गई है और वही अपनी टीम बनाकर अपने तरीके से चुनाव अभियान चलाएंगे। लेकिन एक महीना बीतने के बावजूद अब तक मोदी की अध्यक्षता वाली चुनाव अभियान समिति का गठन नहीं हो सका है। अब तक माना जा रहा था कि आडवाणी की नाराजगी को देखते हुए मोदी की टीम का ऐलान टाला जा रहा है लेकिन सोमवार को संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद बताया गया कि मोदी को राजनाथ के साथ मिलकर ही फैसले लेने होंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भले ही मोदी और राजनाथ में इस वक्त जबरदस्त पटरी बैठती है लेकिन ताजा फैसले का मेसेज यही है कि पार्टी मोदी को इतनी छूट नहीं देना चाहती कि वह मनमर्जी से फैसले ले सकें।
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