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नौसेना सूत्रों ने बताया कि हमारे गोताखोरों को पनडुब्बी से तीन शव मिले हैं, लेकिन अब तक उनकी पहचान नहीं हो पाई है। रूस में निर्मित 2,300 टन वजन की इस पनडुब्बी में तीन अधिकारियों सहित 18 लोग थे और आशंका है कि इनमें से कोई भी अब जीवित नहीं बचा है।
नौसना ने गुरुवार को उन 18 कर्मियों (अधिकारियों और नाविकों) के नाम जारी किए, जो इस 16 साल पुरानी पनडुब्बी में थे। इन 18 लोगों में से तीन अधिकारी हैं- लेफ्टिनेंट कमांडर निखिलेश पाल, लेफ्टिनेंट कमांडर आलोक कुमार और लेफ्टिनेंट कमांडर आर. वेंकटराज।
आईएनएस सिंधुरक्षक में मौजूद नाविकों की पहचान संजीव कुमार, केसी उपाध्याय, तिमोथी सिन्हा, केवल सिंह, सुनील कुमार देसारी प्रसाद, लिजु लॉरेंस, राजेश तूतीका, अमित सिंह, अतुल शर्मा, विकास, नरोत्ता देउरी, मलय हल्दर, विष्णु वी., सीताराम बदापल्ले के रूप में हुई है।
पनडुब्बी में पानी भर जाने से, उसके अंदर जाने में अत्यंत कठिनाई होने से और उसके अधिकतर उपकरणों के मूल स्थान से हट जाने के कारण तथा दृश्यता कम होने से गोताखोरों के प्रयासों में बाधा आई। विस्फोट के कारण पनडुब्बी के कई उपकरण अपनी मूल जगह से हट गए हैं।
डूबी हुई पनडुब्बी को निकालने के लिए नौसेना डच कंपनी की मदद लेने की योजना भी बना रही है। नौसेना की गोदी पर खड़ी पनडुब्बी में मंगलवार देर रात श्रृंखलाबद्ध विस्फोट हुए जिसके बाद सिंधुरक्षक उथले समुद्र में आंशिक रूप से डूब गई।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को 67वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में कहा कि हमें गहरी पीड़ा है कि हमने मंगलवार देर रात एक दुर्घटना में पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक को खो दिया। इस हादसे में 18 बहादुर नौसैनिकों के मारे जाने की आशंका है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्घटना अधिक दु:खद इसलिए भी है, क्योंकि नौसेना ने हाल ही में परमाणु संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत और विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के रूप में दो बड़ी सफलताएं हासिल कीं।
नौसेना के अनुसार विस्फोट की गर्मी से पनडुब्बी के आंतरिक खोल के हिस्सों के पिघल जाने से उसके अंदर के कंपार्टमेंट में जाना दूभर हो गया। पनडुब्बी से पानी निकालने के लिए भारी पंपों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विस्फोट के चलते पनडुब्बी में बड़े स्तर पर समुद्र का पानी चला गया।
नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी बुधवार को मुंबई पहुंच गए थे। उन्होंने किसी तोड़फोड़ की कार्रवाई की आशंका से इंकार नहीं किया लेकिन कहा कि अब तक इस तरह के संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पनडुब्बी में मौजूद 18 लोगों के जीवित बचने की संभावना बहुत ही कम है। बुधवार को ही रक्षामंत्री एके एंटनी भी मुंबई पहुंचे।
डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी को नौसेना में 1997 में शामिल किया गया था और इसकी लागत लगभग 400 करोड़ रुपए थी। हाल ही में 450 करोड़ रुपए की लागत से रूस में इसका नवीनीकरण किया गया था।
डीजल जनरेटरों और इलेक्ट्रिक बैटरियों से चलने वाली इस पनडुब्बी में पोतरोधी 'क्लब’ प्रक्षेपास्त्रों सहित कई हथियार लगे थे।
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