जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शनिवार को दूसरा दिन भी विवादों की लपटों में झुलसता रहा। हालात ऎसे बने कि आयोजकों को आमंत्रित वक्ताओं को हद में रहने की नसीहत देनी पड़ी। पहला दिन सलमान रूश्दी के हिमायती चर्चा में रहे तो दूसरे दिन उनके विरोध के स्वर फूटे। प्रसिद्ध उपन्यासकार चेतन भगत ने कहा, ऎसे लेखक जिसकी किताब बैन है उसे हीरो नहीं बनाना चाहिए। साहित्यकार सुहैल सेठ व जम्मू-कश्मीर की अंजुम जमरूदा हबीब ने भी रूश्दी को ज्यादा भाव देने को गलत बताया।
शनिवार होने के कारण फेस्टिवल में भारी भीड़ उमड़ी। कई बार तो एंट्री रोकनी पड़ी। संगीत संध्या के टिकट दिन में ही खत्म हो गए। सुबह सत्र में चेतन भगत ने कहा, जिनकी पुस्तक बैन की गई है, उन्हें ज्यादा तूल न दें। प्रतिबंघित पुस्तक ने भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा, मेरी नजर में ऎसे लोगों को बैन करना गलत है। लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर लोगों की भावनाओं को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। जुटी नामी हस्तियां: दूसरे दिन बॉलीवुड अभिनेत्री याना गुप्ता, निदेशक विधु विनोद चोपड़ा, अभिनेता शेखर कपूर, इला अरूण, केंद्रीय मंत्री माकन सहित कई नामचीन हस्तियां यहां दिन भर आम लोगों के बीच कभी कतारों में तो कभी सत्रों में नजर आई।
हमने नहीं दी कोई रिपोर्ट: महाराष्ट्र पुलिस
मुंबई. महाराष्ट्र पुलिस ने कहा है कि उन्हें रूश्दी को जान से मारने की धमकी की कोई जानकारी नहीं है। रूश्दी ने कहा था कि उन्हें मुंबई पुलिस ने खुफिया जानकारी दी है कि अंडरवल्र्ड उन्हें मारने की फिराक में है, इसीलिए उन्होंने जयपुर दौरा रद्द किया। महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक के. सुब्रमण्यम ने कहा, हमें नहीं पता कि कोई माफिया डॉन रूश्दी को मारने की साजिश रच रहे हैं।
रूश्दी को साहित्योत्सव में भाग लेने न देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ 'अत्याचार' है। - डेविड रेमनिक, लेखक
रूश्दी का जयपुर न जाने का फैसला कायतापूर्ण है।- तसलीमा नसरीन का टि्वट
चुनाव है...ये नहीं बोलेंगे
रूश्दी मामले पर एक सवाल पर कन्नी काटते हुए सिब्बल ने कहा, मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा। इस दौरान उनके साथ खड़े वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर बोल पड़े... पहले भी तो यहां रूश्दी आ चुके हैं तब विरोध क्यों नहीं हुआ था, यह सब यूपी चुनाव के कारण हो रहा है...ये नहीं बोलेंगे।
दिखाया जेल का डर
पहले दिन मंच से प्रतिबंघित सैटेनिक वर्सेस के अंश पढ़ने से भड़के विवाद के बाद आयोजकों ने रूख सख्त कर लिया। आयोजकों ने डेलीगेट्स को व्यक्तिगत मेल और मैसेज कर अभिव्यक्ति की आजादी का प्रयोग नियमों के दायरे में करने को कहा है। सह निदेशक नमिता गोखले की ओर से भेजे संदेश में सभी से आग्रह किया गया कि सैटेनिक वर्सेस प्रतिबंघित है, इसे नहीं पढ़ा जाए इससे आप लोग कानूनी प्रक्रिया में फंस सकते हैं और जेल भी जा सकते हैं।
सुहैल ने लांघी मर्यादा
पत्रकारों से चर्चा में लेखक सुहैल सेठ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर बरसे। रूश्दी प्रकरण से नाराज सेठ ने गहलोत पर अशोभनीय टिप्पणी कर डाली। उन्होंने गहलोत को कमजोर मुख्यमंत्री बताते हुए उनका इस्तीफा मांग लिया। सेठ ने कहा, राज्य सरकार रूश्दी की सुरक्षा की गारंटी नहीं ले पाई। रूश्दी को इंटेलीजेंस की रिपोर्ट भेजना सरकार की ही चाल रही, ताकि उन्हें आने से रोका जा सके।
रूश्दी को बताना गलत नहीं
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, रूश्दी के न आने को लेकर सरकार पर सामाजिक तानाशाही के आरोप लगाना सही नहीं है। सरकार ने उनकी सुरक्षा के पूरे प्रबंध किए थे। कोई नहीं चाहेगा कि ऎसा शानदार आयोजन डिस्टर्ब हो। रूश्दी को धमकी की खुफिया जानकारी मिली थी, ये उन्हें बताना गलत नहीं था। उनके आने से आक्रोश था व कानून व्यवस्था बिगड़ सकती थी। यहां विचारों की स्वतंत्रता है। साहित्यकार अपना मत दे सकते हैं।
बेटी ने कहा, पर नहीं पढ़ी
2011 के नोबेल के लिए नामित हुए साहित्यकार के. सçच्चदानंदन ने कहा, मेरी बेटी कई बार मुझे मैसेज भेज चुकी है कि मैं मंच से सैटेनिक वर्सेस पढूं, लेकिन मैं आयोजकों को परेशानी में नहीं डालना चाहता। इसलिए मैंने रूश्दी और इरोम शर्मिला को समर्पित एक-एक कविता पढ़ी।
चुनाव का चक्कर
भाजपा नेता उमा भारती ने कहा, रूश्दी को मुस्लिम वोट पाने के लिए रोका गया। रूश्दी ने 'सैटेनिक वर्सेस' में हनुमान जी का भी मजाक उड़ाया पर हमने कभी विरोध नहीं किया। लेखक को अपनी बात कहने या लिखने का हक है, लेकिन उसे तभी तक माना जा सकता है जब तक किसी की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचे।
'शेहान' को दक्षिण एशियन पुरस्कार
फेस्टिवल में शनिवार शाम श्रीलंकाई लेखक शेहान करूणातिलक को 'डीएससी प्राइज फॉर साउथ एशियन लिटरेचर-12' पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें भूटान की राजमाता आशी दोरजी वांगमो वांग्चुक ने पुरस्कार दिया। शेहान को प्रतीक चिन्ह और 50 हजार अमरीकी डॉलर की राशि दी गई शेहान को पुरस्कार पहली किताब 'चाइनामैन' के लिए मिला।
इसमें क्रिकेट को केन्द्र में रखते हुए श्रीलंकाई पृष्ठभूमि में खेल और खेल भावना पर लेखन है।
पुरस्कार के लिए दुनिया के 6 लेखकों का चयन हुआ। अंतिम चरण तक पहुंचने वाली अन्य पांच किताबों में अनुवादक श्रेणी में आर अनंतमूर्ति: भारतीपुरा (सुशीला पुनीता द्वारा अनुवादित), चंद्रकांता: ए स्ट्रीट इन श्रीनगर(मनीषा चौधरी द्वारा अनुवादित) और लेखन में उषा केआर(मंकीमैन), तबीश खेर(द थिंग अबाउट थंग्स) और कावेरी नाम्बीसान(द स्टोरी देट मस्ट नॉट बी टोल्ड) थी। इस अवसर पर पुरस्कार चयन समिति की अध्यक्ष इरा पांडे सहित अन्य सदस्य डॉ. अलास्टेयर निवेन, डॉ. फखरूल आलम, फैजा एस खान ओर मैरी ब्रेनर भी मौजूद थे। समारोह की कमान फिल्म अभिनेता कबीर बेदी ने संभाली।
...तो सिब्बल हों सेंसर
एक सत्र में तब ठहाके गूंजे जब सेंसरशिप की बात पर एक श्रोता ने कहा, 'कपिल सिब्बल' पर भी सेंसर होना चाहिए क्योंकि न चाहते हुए भी उन्हें सुनना पड़ता है।
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