अहमदाबाद, एजेंसी
गुजरात दंगे की जांच के लिए बनाया गया विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बुधवार को अहमदाबाद मजिस्ट्रेट कोर्ट में गुलबर्ग सोसायटी मामले में जांच रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में सौंपी। एसआईटी की यह रिपोर्ट गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जाकिया जाफरी की शिकायत पर है।
हालांकि जकिया जाफरी ने मुख्यमंत्री और 62 अन्य खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। जकिया पूर्व कांग्रेसी सांसद अहसन जाफरी की पत्नी हैं। जाफरी भी 2002 में गुलमर्ग सोसायटी में हुए दंगे में मारे गए थे। उस वक्त गुलबर्ग सोसायटी में 69 लोगों की मौत हुई हुई थी। राज्य में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे।
अदालत के सूत्रों ने बताया कि एसआईटी के अधिकारियों ने एक सीलबंद लिफाफे में मजिस्ट्रेटी अदालत को अंतिम रिपोर्ट सौंपी। इसका आदेश सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिया गया था। एसआईटी का गठन भी न्यायालय ने किया था। अब मजिस्ट्रेट इस रिपोर्ट पर विचार करेंगे। यह रिपोर्ट उस दिन सौंपी गई है, जब गुजरात हाईकोर्ट ने मोदी सरकार को दंगों के दौरान निष्क्रियता और लापरवाही के लिए फटकार लगाई।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गुरुवार का दिन काफी खास हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक गुलबर्ग सोसायटी मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में मोदी को क्लीन चिट दे दी है। हालांकि इस खबर की अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।सूत्रों की मानें तो नरेंद्र मोदी के दामन पर लगे सबसे बड़े दाग को एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट ने धो दिया है। उन्हें गुजरात दंगों के मामले में क्लीन चिट मिल गई है। दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने मोदी पर तमाम तरह के आरोप लगाए थे। उन पर दंगों की साजिश रचने से लेकर उसको अंजाम तक पहुंचाने में मदद करने का आरोप लगाया था।लेकिन सूत्रों का दावा है कि एसआईटी ने अपनी जांच में मोदी के खिलाफ एक भी पुख्ता सबूत नहीं पाया है। लिहाजा उसने अहमदाबाद की जूनियर फर्स्ट क्लास कोर्ट में अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश करते हुए मोदी सहित सभी 56 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी।अब यह अदालत पर निर्भर करता है कि वो एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करती है या उसे खारिज कर देती है या फिर आगे और जांच करने का आदेश देती है। गौरतलब है कि जाकिया जाफरी की शिकायत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी को आदेश दिया था। एसआईटी की टीम ने मुख्यमंत्री मोदी से लंबी पूछताछ की थी। उसने राज्य सरकार के तमाम अधिकारियों की भी भूमिका की जांच की।
यही नहीं एसआईटी ने दंगों के दौरान पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनकी गवाही भी ली थी। लेकिन सूत्रों का दावा है कि आखिर में एसआईटी को मोदी सहित किसी भी आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिला।गौरतलब है कि जाकिया जाफरी की याचिका में जिन 62 लोगों पर आरोप लगाए गए थे उनमें से दो आरोपी विश्व हिंदू परिषद के नेता केके शास्त्री और राज्य के पूर्व कानून मंत्री अशोक भट्ट की पहले ही मौत हो चुकी है, जबकि चार लोग जमानत पर हैं। बाकी सभी 56 आरोपियों को एसआईटी ने क्लीन चिट दे दी है।मोदी शुरू से दावा करते आए हैं कि 2002 के दंगों में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं थी और इस बाबत किसी तरह की माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता है।
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