गोसाऊ (स्विट्जरलैंड)>>>>
सामाजिक गुट में विवाद का निबटारा बहुत मायने रखता है। शोधकर्ताओं ने मैगजीन पीएलओएस वन में छपे शोध में यह नतीजा निकाला। यह शोध स्विट्जरलैंड में गोसाऊ के चिड़ियाघर में चिंपांजियो पर किया गया। टीम ने कहा कि यह देखना बहुत आश्चर्यजनक था कि चिंपाजी विवाद में बीच बचाव कर सकते हैं और इस दौरान वह अपने लाभ के बारे में नहीं सोचते।
शोध के मुताबिक, 'विवाद को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका है पुलिस व्यवस्था। ऐसी व्यवस्था जिसमें तमाशा देखने वाला शख्स निष्पक्ष होकर दखल दे और जो नैतिक रूप से सक्षम और पर्याप्त हो।'
एन्थ्रोपोलॉजिस्ट कारेल फान शाइक और क्लाउडिया रुडोल्फ फॉन रोहर के नेतृत्व वाली टीम ने 11 चिंपांजियों का अध्ययन किया। उन्होंने बिना किसी विवाद के उनका व्यवहार देखा। इस गुट में दो वयस्क और एक युवा नर चिंपांजी के अलावा छह दूसरे अन्य वयस्क चिंपांजी और दो युवा मादा चिंपांजी थी।
इनमें से तीन मादा चिंपांजी इस नए गुट में आई। इसके बाद ग्रुप में कौन बड़ा है इसे लेकर दो नर चिंपांजियों में विवाद शुरू हुआ। इस कारण ग्रुप में अस्थिरता पैदा हुई और असहमतियां उभरने लगीं।
फरवरी 2007 और 2008 के बीच इकट्ठा किए आंकड़ों को बासल, चेस्टर (ब्रिटेन), आर्नहाइम (नीदरलैंड्स) के चिड़ियाघर में हुए शोध से मिलाया गया।
विवाद मादा चिंपाजियों के बीच खाने पर और नर चिंपाजियों के मादाओं तक पहुंचने के मामले में था। शोधकर्ताओं ने कुल 438 विवादों पर नजर रखी जिसमें से 69 मामले निष्पक्ष मध्यस्थ ने हल किए। सभी मामलों में मध्यस्थ बड़ी उम्र के दो नर चिंपाजी थे। अक्सर लड़ने वाली पार्टी के पास जाना ही विवाद के हल के लिए काफी होता। हालांकि कुछ मामलों में धमकी या दो पार्टियों के बीच जा कर खड़े होने पर ही विवाद खत्म होता। 60 मामलों में बीच बचाव से बात बन गई।
ऐसे ही नतीजे ब्रिटेन के चेस्टर और नीदरलैंड्स के आर्नहाइन में किए शोध में भी सामने आए हालांकि यहां वरिष्ठ मादा चिंपांजी की मध्यस्थता भी थी। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि मध्यस्थता हमेशा खतरे से खाली नहीं होती क्योंकि बीच बचाव करने वाले चिंपांजी पर दोनों पक्षों का गुस्सा उतर सकता है। यह एक कारण हो सकता है कि बीच बचाव करने अक्सर चिंपांजी दल के सीनियर सदस्य ही आते हैं।
किसी भी दल के लिए बीच बचाव करना अच्छा साबित हो सकता है कि इससे सिर्फ दल स्थिर ही नहीं रहता बल्कि उनके जीवन की संभावना भी बढ़ जाती है। इन नतीजों से पता चलता है कि पुलिस व्यवस्था का मुख्य कारण ग्रुप की स्थिरता बनाना होता है। यह सामुदायिक व्यवहार दिखाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें