गुवाहाटी।। असम
का बोडो बहुल आदिवासी इलाका सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा है। बोडो
आदिवासियों और आदिवासी इलाकों में बसे मुस्लिम समुदाय के बीच बुधवार को
सातवें दिन भी जमकर हिंसा हुई और प्रभावित इलाकों से नौ और शव बरामद किए
गए। इस तरह सांप्रदायिक दंगों में अब तक 41 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
करीब दो लाख लोग बेघर हुए हैं।
हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित जिलों कोकराझाड़ और चिरांग में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा हुआ है। बावजूद इसके हालात काबू में नहीं आ रहे हैं और यह दंगे दूसरे इलाकों तक फैल रहे हैं। बुधवार को चिरांग से पांच शव और कोकराझाड़ से चार शव बरामद किए गए। कोकराझाड़ में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है।
केंद्र सरकार भी सख्त
बुधवार को केंद्र सरकार ने असम सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि वह हिंसा भड़काने वाले दंगाइयों को तत्काल अरेस्ट करे। राज्य प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे रखा है। कोकराझाड़ के अतिरिक्त धुबड़ी, चिरांग और बोंगईगांव जिलों में भी सेना तैनात कर दी है। सेना के डेढ़ हजार से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। अर्द्धसैनिक बलों की 63 कंपनियां तैनात की गई हैं।
करीब दो लाख लोग हुए बेघर
सात दिनों से जारी हिंसा में करीब दो लाख लोगों ने अपना घर छोड़ा है, इनमें तमाम के घर जला दिए गए हैं। ज्यादातर लोग सरकार द्वारा बनाए गए 125 राहत शिविरों में रह रहे हैं। हिंसा से प्रभावित जिलों के लोगों के लिए जगह-जगह शरणार्थी कैंप खोले गए हैं।
राहत के लिए रेलगाड़ियां
रेल सेवा को सुरक्षित बनाने के लिए अर्द्धसैनिक बलों के दो हजार जवानों को विभिन्न ट्रेनों में तैनात किया गया है। केंद्रीय गृह सचिव के अनुसार ये जवान यात्रियों की सुरक्षा के साथ ही रेलवे ट्रैक की सुरक्षा पर भी नजर रखेंगे। मार्ग में रुकी ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर अभी भी हजारों लोग फंसे हुए हैं। सरकारी इंतजामों के बावजूद तमाम लोग खाद्य सामग्री और पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। इन लोगों को उनके ठिकानों तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेन का प्रबंध किया जा रहा है। रेलवे ने क्षतिग्रस्त ट्रैक और सिग्नलों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है।
दंगे में बांग्लादेश का हाथ?
केंद्रीय गृह सचिव राज कुमार सिंह ने बांग्लादेश से लगने वाली सीमा के नजदीक हो रही हिंसा में सीमापार से किसी मदद से इनकार किया है। सिंह ने कहा कि इंटरनैशनल बॉर्डर सील कर दिया गया है। उन्होंने कहा,'अभी तक इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं कि असम में हो रही हिंसा में बांग्लादेश का हाथ है।' उधर, आईजी जेएन चौधरी ने कोकराझाड़ और उसके इर्द-गिर्द हो रही हिंसा को सांप्रदायिक हिंसा मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि यह जातीय हिंसा है, जिसमें जातीय गुट शामिल हैं।
कैसे शुरु हुई हिंसा
पिछले गुरुवार को कोकराझाड़ ज़िले में मुस्लिम समुदाय के दो छात्र नेताओं पर अज्ञात लोगों ने गोली चलाई। जवाबी हमले में बोडो लिबरेशन टाइगर्स संगठन के चार पूर्व सदस्य मारे गए। इसके बाद धीरे-धीरे हिंसा की जिलों में फैल गई।
हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित जिलों कोकराझाड़ और चिरांग में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा हुआ है। बावजूद इसके हालात काबू में नहीं आ रहे हैं और यह दंगे दूसरे इलाकों तक फैल रहे हैं। बुधवार को चिरांग से पांच शव और कोकराझाड़ से चार शव बरामद किए गए। कोकराझाड़ में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है।
केंद्र सरकार भी सख्त
बुधवार को केंद्र सरकार ने असम सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि वह हिंसा भड़काने वाले दंगाइयों को तत्काल अरेस्ट करे। राज्य प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे रखा है। कोकराझाड़ के अतिरिक्त धुबड़ी, चिरांग और बोंगईगांव जिलों में भी सेना तैनात कर दी है। सेना के डेढ़ हजार से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। अर्द्धसैनिक बलों की 63 कंपनियां तैनात की गई हैं।
करीब दो लाख लोग हुए बेघर
सात दिनों से जारी हिंसा में करीब दो लाख लोगों ने अपना घर छोड़ा है, इनमें तमाम के घर जला दिए गए हैं। ज्यादातर लोग सरकार द्वारा बनाए गए 125 राहत शिविरों में रह रहे हैं। हिंसा से प्रभावित जिलों के लोगों के लिए जगह-जगह शरणार्थी कैंप खोले गए हैं।
राहत के लिए रेलगाड़ियां
रेल सेवा को सुरक्षित बनाने के लिए अर्द्धसैनिक बलों के दो हजार जवानों को विभिन्न ट्रेनों में तैनात किया गया है। केंद्रीय गृह सचिव के अनुसार ये जवान यात्रियों की सुरक्षा के साथ ही रेलवे ट्रैक की सुरक्षा पर भी नजर रखेंगे। मार्ग में रुकी ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर अभी भी हजारों लोग फंसे हुए हैं। सरकारी इंतजामों के बावजूद तमाम लोग खाद्य सामग्री और पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। इन लोगों को उनके ठिकानों तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेन का प्रबंध किया जा रहा है। रेलवे ने क्षतिग्रस्त ट्रैक और सिग्नलों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है।
दंगे में बांग्लादेश का हाथ?
केंद्रीय गृह सचिव राज कुमार सिंह ने बांग्लादेश से लगने वाली सीमा के नजदीक हो रही हिंसा में सीमापार से किसी मदद से इनकार किया है। सिंह ने कहा कि इंटरनैशनल बॉर्डर सील कर दिया गया है। उन्होंने कहा,'अभी तक इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं कि असम में हो रही हिंसा में बांग्लादेश का हाथ है।' उधर, आईजी जेएन चौधरी ने कोकराझाड़ और उसके इर्द-गिर्द हो रही हिंसा को सांप्रदायिक हिंसा मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि यह जातीय हिंसा है, जिसमें जातीय गुट शामिल हैं।
कैसे शुरु हुई हिंसा
पिछले गुरुवार को कोकराझाड़ ज़िले में मुस्लिम समुदाय के दो छात्र नेताओं पर अज्ञात लोगों ने गोली चलाई। जवाबी हमले में बोडो लिबरेशन टाइगर्स संगठन के चार पूर्व सदस्य मारे गए। इसके बाद धीरे-धीरे हिंसा की जिलों में फैल गई।
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