जयपुर। उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत बाघ परियोजनाओं के कोर एरिया (अंदरूनी इलाकों) में संचालित पर्यटन पर अंतरिम रोक से बाघ दर्शन नहीं हो सकेगा। ऎसे में वन्यजीव पर्यटन के शौक रखनेवाले लाखों पर्यटकों के राजस्थान से विमुख होने, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से एक लाख लोगों के रोजगार पर असर पड़ने तथा 75 करोड़ रूपए का कारोबार प्रभावित होने का खतरा हो गया है। देश में बाघ दर्शन के मामले में रणथम्भौर का अलग महत्व है यहां टाइगर साइटिंग का प्रतिशत अन्य अभयारण्यों से काफी अधिक है।
हमारे अभयारण्यों का हाल
रणथम्भौर (सवाईमाधोपुर)
27 व्यस्क और
26 बाघ शावक
2.88 लाख पर्यटक 2011-12 में यहां आए
7.8 करोड़ की आय सिर्फ टिकट बिक्री से हुई
क्या है समस्या
यहां 1,113.36 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र कोर एरिया है। जबकि बफर जोन सिर्फ 297.9 वर्ग किलोमीटर। यहां पर्यटन गतिविधियां चलाने को जगह नहीं बचेगी।
अभी क्या हाल
कोर एरिया में आरटीडीसी का होटल झूमर बावड़ी चल रहा है। कुंदाल, बालास व चिड़ीखोह पर्यटन गतिविधियां जारी हैं।
आदेश की प्रति नहीं मिली, सो गतिविधियां चालू हैं। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से मार्गदर्शन मांगा है।
वाई.के. साहू, डीएफओ
ये निर्भर
अभयारण्य क्षेत्र में 50 से ज्यादा होटल चल रहे हैं। 150 गाइड व 400 पर्यटन वाहन हैं।
4 गांव
बफर जोन में 4 गांव हैं, जिनकी किस्मत का फैसला होगा।
सरिस्का (अलवर)
05 व्यस्क बाघ-बाघिन हैं
42 हजार पर्यटक दो सालों में
75 लाख औसत आय है
क्या है समस्या
बाघों के खत्म होने के बाद पर्यटन औंधे मुंह गिरा था, मगर अब पांच बाघ-बाघिनों के विस्थापन के बाद स्थिति थोड़ी सुधरी। सारे बाघ कोर जोन में ही हैं। बफर जोन में बाघों की साइटिंग ही नहीं होगी तो पर्यटकों की संख्या दोबारा गिर जाएगी।
अभी क्या हाल
सितम्बर तक यूं तो पर्यटन पर रोक लगी हुई है। सीजन शुरू होने को लेकर संशय के कारण यहां लोगों की सांस अटकी है।
एकजुट हुए पर्यटन व्यवसायी
सवाईमाधोपुर . सुप्रीम कोर्ट के आदेश से चिंतित रणथम्भौर के पर्यटन व्यवसायियों ने सरकार पर दबाव बनाने की तैयार शुरू कर दी है। बुधवार को पर्यटन व्यवसाय से जुडे विभिन्न संगठनों की एक होटल में बैठक हुई। इसमें लोगों ने एक सुर में कहा कि पर्यटन है तो बाघ हैं, पर्यटन नहीं तो बाघ खत्म हो जाएंगे। इस दौरान रणथम्भौर संघर्ष समिति का गठन किया गया है। समिति में पर्यटन व्यावसाय से जुड़े 15 लोगों को शामिल किया गया है। संघर्ष समिति की ओर से गुरूवार दोपहर बाद मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
मैं जयपुर से बाहर हूं, अभी आदेश का अध्ययन नहीं किया है।
वी.एस. सिंह, अतिरिक्त वन एवं पर्यावरण सचिव
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