नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग [एएसआइ] को लाल किले के पास सुभाष पार्क में अवैध रूप से बनाई गई मस्जिद को गिरवाने की अनुमति दे दी है। कार्यकारी
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस संजय किशन
कौल की खंडपीठ ने पुलिस को निर्देश दिया कि अदालत के आदेश के बावजूद अवैध
मस्जिद का निर्माण करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे।
हाई कोर्ट ने नगर निगम से कहा है कि एएसआइ द्वारा 19 जुलाई को जारी किए गए नोटिस के अनुसार त्वरित कार्रवाई करे। इस नोटिस में एएसआइ ने निगम से अवैध मस्जिद को ढहाने के लिए कहा था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हमारे देश की धार्मिक व सास्कृतिक विभिन्नता को एकजुटता व भाईचारे का प्रतीक माना जाता है, न कि शाति भंग करने का। समाज के प्रबुद्ध लोगों का यह दायित्व है कि वे धर्म के दिखावे के नाम पर आम जनता की जान जोखिम में न जाने दें। इसके अतिरिक्त समाज के तीन अंगों विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका की यह ड्यूटी बनती है कि संविधान की मूल भावना को स्थापित रखा जाए।
हाई कोर्ट ने विभिन्न पक्षकारों की उस माग को ठुकरा दिया, जिसमें एएसआइ द्वारा की जा रही जाच की निगरानी के लिए एक रिटायर्ड जज नियुक्त करने की माग की गई थी। अदालत ने कहा कि एएसआइ एक विशेषज्ञ निकाय है। हाई कोर्ट इस मामले की निगरानी खुद करेगा। अदालत ने कहा कि विवादित स्थल पर किसी को भी कोई धार्मिक गतिविधि करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मामले में एएसआइ को 11 अक्टूबर को अपनी स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
क्या था मामला
सुभाष पार्क इलाके में मेट्रो ट्रैक खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिले थे। एक समुदाय विशेष ने इस पर अपना दावा ठोकते हुए यहां अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण शुरू करवा दिया था। हरकत में आई दिल्ली सरकार ने इस पर रोक लगा दी। फिर भी निर्माण कार्य जारी रहा। हिंदू संगठनों ने इसका विरोध जताया। कुछ दिनों पहले ढांचे को तोड़े जाने की अफवाह पर इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अनेक वाहनों में तोड़फोड़ व आगजनी की। इलाके में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात है।
हाई कोर्ट ने नगर निगम से कहा है कि एएसआइ द्वारा 19 जुलाई को जारी किए गए नोटिस के अनुसार त्वरित कार्रवाई करे। इस नोटिस में एएसआइ ने निगम से अवैध मस्जिद को ढहाने के लिए कहा था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हमारे देश की धार्मिक व सास्कृतिक विभिन्नता को एकजुटता व भाईचारे का प्रतीक माना जाता है, न कि शाति भंग करने का। समाज के प्रबुद्ध लोगों का यह दायित्व है कि वे धर्म के दिखावे के नाम पर आम जनता की जान जोखिम में न जाने दें। इसके अतिरिक्त समाज के तीन अंगों विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका की यह ड्यूटी बनती है कि संविधान की मूल भावना को स्थापित रखा जाए।
हाई कोर्ट ने विभिन्न पक्षकारों की उस माग को ठुकरा दिया, जिसमें एएसआइ द्वारा की जा रही जाच की निगरानी के लिए एक रिटायर्ड जज नियुक्त करने की माग की गई थी। अदालत ने कहा कि एएसआइ एक विशेषज्ञ निकाय है। हाई कोर्ट इस मामले की निगरानी खुद करेगा। अदालत ने कहा कि विवादित स्थल पर किसी को भी कोई धार्मिक गतिविधि करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मामले में एएसआइ को 11 अक्टूबर को अपनी स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
क्या था मामला
सुभाष पार्क इलाके में मेट्रो ट्रैक खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिले थे। एक समुदाय विशेष ने इस पर अपना दावा ठोकते हुए यहां अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण शुरू करवा दिया था। हरकत में आई दिल्ली सरकार ने इस पर रोक लगा दी। फिर भी निर्माण कार्य जारी रहा। हिंदू संगठनों ने इसका विरोध जताया। कुछ दिनों पहले ढांचे को तोड़े जाने की अफवाह पर इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अनेक वाहनों में तोड़फोड़ व आगजनी की। इलाके में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात है।
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