नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने बाघ संरक्षित क्षेत्र में पर्यटन पर रोक लगा दी है। हालांकि, यह रोक अभी अंतरिम आदेश के तौर पर है। प्रतिबंध सिर्फ ‘कोर जोन’ के लिए ही है। मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्यों को बाघ अभयारण्यों के आसपास बफर जोन तय करने के लिए आखिरी मोहलत दी। तीन हफ्ते के भीतर आदेश तामील नहीं हुआ तो राज्यों पर अवमानना का केस चलेगा। साथ ही वन विभाग के प्रमुख सचिव पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ने पिछला आदेश नहीं मानने के लिए आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड पर 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया। झारखंड और अरुणाचल प्रदेश के वकील ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि वह इस बार समय पर काम पूरा कर लेंगे। जस्टिस स्वतंत्र कुमार और इब्राहीम कलीफुल्ला की बेंच पर्यावरणविद अजय दुबे की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने 4 अप्रैल और 10 जुलाई को भी राज्यों से बफर जोन का इलाका तय करने के निर्देश दिए थे। अजय दुबे का आरोप है कि कई राज्य टाइगर रिजर्व के भीतर होटल, लॉज और पर्यटन परियोजनाओं को मंजूरी दे रहे हैं। इससे वन्य जीवों को जिंदगी खतरे में है। केंद्र ने किया फैसले का स्वागत केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही कहा कि वह मंत्रालय की ओर से भी राज्यों को फौरन कार्रवाई करने को कहेंगी। 4 अप्रैल को निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र को तीन माह में बफर जोन अधिसूचित करने को कहा था। 10 जुलाई को सख्ती राजस्थान ने बफर जोन अधिसूचित करने की सूचना दी। कोर्ट ने बाकी राज्यों को दो हफ्ते का और वक्त दिया। लेकिन चेतावनी के साथ। क्यों दिया आदेश वन्य जीव अधिनियम-1972 के तहत सभी राज्यों को टाइगर रिजर्व का कोर जोन और बफर जोन तय कर इसकी अधिसूचना जारी करना अनिवार्य है। क्या है कोर जोन और बफर जोन कोर जोन टाइगर रिजर्व का वह इलाका जिसमें बाघ घूमता-फिरता और शिकार करता है। बफर जोन इसके इर्द-गिर्द का वह इलाका है, जिसमें बाघों के भोजन में इस्तेमाल होने वाले जानवर रहते हैं। कोर जोन के बाहर करीब 10 किमी तक का क्षेत्र बफर जोन हो सकता है। इसमें लोग आ-जा सकते हैं। राजस्थान : दोनों टाइगर रिजर्व के कोर जोन में पर्यटन रणथंभौर अभयारण्य 1.5 लाख पर्यटक आए 2011-2012 में। यहां 27 बाघ-बाघिन व 23 शावक हैं। रणथंभौर के कोर जोन में आरटीडीसी का होटल झूमर बावड़ी है। कहां-कहां कोर जोन में पर्यटन राजबाग, जोगीमहल, पदमतालाब, लकड़दा, कचीदा और मलिक तालाब में। अनुमति 22 होटलों की, चल रहे हैं 42 सरकार ने इको सेंसेटिव जोन में सिर्फ 22 होटलों की अनुमति दी है, लेकिन यहां 42 होटल चल रहे हैं। जिन होटलों को अनुमति दी गई थी, उन्हें और निर्माण नहीं करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने कमरे और क्षेत्र बढ़ा लिया है। 40 गाड़ियों की अनुमति, दौड़ती हैं 80 तक दिसंबर-जनवरी के सीजन में कोर जोन में पर्यटन के लिए सिर्फ 40 गाड़ियों की अनुमति दी गई है, लेकिन 80 गाड़ियां तक सीजन में दौड़ती हैं। इनमें वे गाड़ियां भी हैं, जो वीआईपी और नेताओं को लेकर पार्क जाती हैं। होटल मालिकों को ही बना दिया है ऑनरी वार्डन सरकार ने होटल मालिकों को ही ऑनरी वार्डन बना दिया है। इसका मकसद था कि कोर क्षेत्र में पर्यटन बंद हो, लेकिन ये खुद पर्यटकों को पार्क में घुमा रहे हैं। बाघों से 40 करोड़ की कमाई सरकार व होटल मालिक बाघों से 40 करोड़ रु. सालाना कमा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या पार्क और बाघ सिर्फ होटल संचालकों के कारोबार का जरिया बन गए हैं? सरिस्का यहां 3 बाघिन व 2 बाघ हैं। पूरा 886 किमी का इलाका कोर जोन है। इसमें आरटीडीसी का होटल टाइगर डेन और एक निजी होटल सरिस्का पैलेस हैं। 2011-2012 में यहां34,403 पर्यटक आए। इनसे 82.30लाख रु. आय हुई। मंत्री को कुछ पता नहीं राज्य की वन एवं पर्यटन मंत्री बीना काक को यह पता ही नहीं है कि कोर व बफर जोन में होटल है या नहीं। उन्होंने कहा कि बफर जोन की स्थिति के बारे में नक्शे पर ही समझा सकती हूं। काक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ूंगी, उसके बाद ही कुछ कह पाऊंगी। सरकार को बदलनी चाहिए नीति 'रणथंभौर और सरिस्का अभयारण्य में पर्यटन कोर जोन में ही हो रहा है, जो चिंताजनक है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार को अब अपनी नीतियां बदलनी चाहिए। क्योंकि पार्क बाघों के लिए हैं, न कि होटल मालिकों की कमाई के लिए।' -आरएन मेहरोत्रा, पूर्व प्रधान मुख्य संरक्षक मुकंदरा हिल्स नहीं बन पाया टाइगर रिजर्व इसे टाइगर रिजर्व बनाना प्रस्तावित है। 30 माह पहले रणथंभौर से भागकर आई बाघिन टी-35 यहां अपनी टेरिटरी बना चुकी है। यहां कोर जोन व बफर जोन भी निर्धारित नहीं हैं। हालांकि इस संबंध में प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं।
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