जयपुर, 31 जुलाई। बाजार में सजी-धजी दुकानों पर जो
रंग-बिरंगे लड्डू, बर्फी, जलेबी, रसगुल्ला आदि मिठाइयां ललचा रही हैं दरअसल
वे मीठे जहर से कम नहीं है।
राखी के त्योहार से पहले ही मिलावटखोरों ने त्योहार का रंग फीका करने के लिए जानलेवा रंगों को मिठाइयों में मिलाना शुरू कर दिया है। चिंता की बात है कि ऐसे मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने व समाज को इन रंगीन मिठाइयों से होने वाली बीमारियों से सुरक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग ने अब तक कोई तैयारी नहीं की है।
राखी के साथ त्योहारों का मौसम शुरू होने वाला है। इसके साथ ही बाजार में मिलावटी माल खपाने के लिए मिलावटखोर भी सक्रिय हो गए हैं। मिलावटखोर हर साल त्योहारों के मौकों पर मिलावटी माल बेचकर चांदी काटते हैं।
इसके बावजूद खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण विभाग की आंख नहीं खुलती। यही वजह है कि विभाग द्वारा मिलावट जांचने की कार्रवाई त्योहार के एक या दो दिन पहले ही शुरू की जाती है। मिठाई, खाद्य सामग्री के नमूने लिए जाते हैं।
जब तक जांच रिपोर्ट आती है, मिलावट प्रमाणित होती है बाजार में मिलावटी मिठाई बिक चुकी होती है। शहर में प्रतिदिन लगभग ढाई से तीन क्विंटल मिठाई की खपत होती है। त्योहारों के समय यह खपत बढ़कर 12 से 15 क्विंटल तक पहुंच जाती है। इसके बाद भी विभाग की कार्रवाई का आंकड़ा देखा जाए तो मात्र बीस से तीस नमूनों पर ही सीमित रह जाते हैं। विभागीय निष्क्रियता के कारण रिपोर्ट आने से पहले ही माल बाजार में खप गया। यह रंगीन मिठाइयां गंभीर बीमरियों के आगोश में धकेलने में जरा भी देर नहीं लगातीं। पीले रंग की मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
नारंगी-नीले मिलावटी रंगों से लीवर व किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। हरा रंग इतना घातक है कि अगर किसी खाद्य पदार्थ में यह रंग मिला हो और इसका सेवन किया जा रहा है तो फेफड़ों, लीवर, चमड़ी से जुड़े कैंसर होने का खतरा बन जाता है। वहीं लाल रंग मिले खाद्य पदार्थ से चमड़ी से जुड़ा संक्रमण रोग होने का खतरा रहता है। रक्षाबंधन के त्योहार पर मिठाई के शौकीनों को खरीदारी करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी राजधानी के कई इलाकों में सिंथेटिक दूध से बने सिंथेटिक मावे से तैयार की गई मिठाइयां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। घातक है मिलावट मिलावटी मिठाई में मिलाए जाने वाले कलर से कैंसर का खतरा हो सकता है। मिलावटी मिठाई के सेवन के लगभग एक घंटे बाद सीने में जलन, खट्टी डकार, उल्टी-दस्त की शिकायत भी हो जाती है। पीलिया होने के साथ ही एसजीपीडी बढ़ जाती है। ब्लड यूरिया, सीरम क्रियेटनिक बढ़ जाता है। यह लीवर और किडनी पर भी विपरीत असर डालता है। डॉ. शिवराज सिंह, मेडिसिन विशेषज्ञ
राखी के त्योहार से पहले ही मिलावटखोरों ने त्योहार का रंग फीका करने के लिए जानलेवा रंगों को मिठाइयों में मिलाना शुरू कर दिया है। चिंता की बात है कि ऐसे मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने व समाज को इन रंगीन मिठाइयों से होने वाली बीमारियों से सुरक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग ने अब तक कोई तैयारी नहीं की है।
राखी के साथ त्योहारों का मौसम शुरू होने वाला है। इसके साथ ही बाजार में मिलावटी माल खपाने के लिए मिलावटखोर भी सक्रिय हो गए हैं। मिलावटखोर हर साल त्योहारों के मौकों पर मिलावटी माल बेचकर चांदी काटते हैं।
इसके बावजूद खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण विभाग की आंख नहीं खुलती। यही वजह है कि विभाग द्वारा मिलावट जांचने की कार्रवाई त्योहार के एक या दो दिन पहले ही शुरू की जाती है। मिठाई, खाद्य सामग्री के नमूने लिए जाते हैं।
जब तक जांच रिपोर्ट आती है, मिलावट प्रमाणित होती है बाजार में मिलावटी मिठाई बिक चुकी होती है। शहर में प्रतिदिन लगभग ढाई से तीन क्विंटल मिठाई की खपत होती है। त्योहारों के समय यह खपत बढ़कर 12 से 15 क्विंटल तक पहुंच जाती है। इसके बाद भी विभाग की कार्रवाई का आंकड़ा देखा जाए तो मात्र बीस से तीस नमूनों पर ही सीमित रह जाते हैं। विभागीय निष्क्रियता के कारण रिपोर्ट आने से पहले ही माल बाजार में खप गया। यह रंगीन मिठाइयां गंभीर बीमरियों के आगोश में धकेलने में जरा भी देर नहीं लगातीं। पीले रंग की मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
नारंगी-नीले मिलावटी रंगों से लीवर व किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। हरा रंग इतना घातक है कि अगर किसी खाद्य पदार्थ में यह रंग मिला हो और इसका सेवन किया जा रहा है तो फेफड़ों, लीवर, चमड़ी से जुड़े कैंसर होने का खतरा बन जाता है। वहीं लाल रंग मिले खाद्य पदार्थ से चमड़ी से जुड़ा संक्रमण रोग होने का खतरा रहता है। रक्षाबंधन के त्योहार पर मिठाई के शौकीनों को खरीदारी करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी राजधानी के कई इलाकों में सिंथेटिक दूध से बने सिंथेटिक मावे से तैयार की गई मिठाइयां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। घातक है मिलावट मिलावटी मिठाई में मिलाए जाने वाले कलर से कैंसर का खतरा हो सकता है। मिलावटी मिठाई के सेवन के लगभग एक घंटे बाद सीने में जलन, खट्टी डकार, उल्टी-दस्त की शिकायत भी हो जाती है। पीलिया होने के साथ ही एसजीपीडी बढ़ जाती है। ब्लड यूरिया, सीरम क्रियेटनिक बढ़ जाता है। यह लीवर और किडनी पर भी विपरीत असर डालता है। डॉ. शिवराज सिंह, मेडिसिन विशेषज्ञ
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