नई दिल्ली, 18 जुलाई। स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में अपनी जांच पूरी कर लेने के बाद एनडीए कार्यकाल के दौरान टेलीकॉम मंत्री रहे प्रमोद महाजन का नाम भी चार्जशीट में शामिल किया है। महाजन के साथ ही तीन निजी सेल्यूलर कंपनियों और पूर्व सरकारी अधिकारियों को भी चार्जशीट में शामिल किया है। चार्जशीट में महाजन का नाम एक अलग कॉलम में दर्ज किया गया है जहां उन्हें 508 करोड़ के आवंटन घोटाले में सक्रिय भूमिका के चलते नामजद किया है। वहीं, दूसरी ओर वर्ष 2001-2007 के दौरान दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटन में अपनी आरंभिक जांच के करीब 19 महीने बाद सीबीआई ने उस दौर के संबंध में जांच बंद कर दी है जब अरुण शौरी दूरसंचार मंत्री थे।
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि शौरी के कार्यकाल से जुड़े दस्तावेजों और जांच के दौरान उनसे पूछताछ से कोई अनियमितता सामने नहीं आई।
जनवरी, 2011 में आरंभिक जांच का मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने दो मंत्रियों, दिवंगत प्रमोद महाजन और द्रमुक नेता दयानिधि मारन. के कार्यकाल के दौरान कथित अनियमितताएं पाई थीं और इस मामले में उसने एफआईआर दर्ज की थीं।
यह जांच 2001 से 2007 के दौरान दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित थी और शौरी जनवरी, 2003 से मई, 2004 तक राजग सरकार में दूरसंचार मंत्री थे। उनसे पहले राजग सरकार में महाजन के पास दूरसंचार मंत्रालय का प्रभार था।
वर्ष 2004 में संप्रग के सत्ता में आने के बाद मारन 2007 तक दूरसंचार मंत्री थे। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि शौरी के कार्यकाल में अपनाई गई ‘पहले आओ पहले पाओ की नीति कम आकर्षक क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए थी। ये ऐसे क्षेत्र थे जहां दूरसंचार आपरेटर जाने के अनिच्छुक थे।
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