अपने चार दशक के राजनीतिक करियर को
विराम देते हुए बुधवार को प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति के रूप
में पद पर आसीन हुए। संसद के केंद्रीय कक्ष में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के
मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया ने शपथ दिलाई।
काले रंग की अचकन और उजले रंग का चूड़ीदार पजामा पहने प्रणब ने अंग्रेजी में ईश्वर के नाम पर संविधान और विधि के संरक्षण और सुरक्षा की शपथ ली। इसके बाद शपथ ग्रहण रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए। उसी दौरान एक ओर 21 तापों की सलामी शुरू हुई और दूसरी ओर उन्होंने प्रतिभा पाटिल के साथ सीटों की अदला-बदली कर ली। केंद्रीय कक्ष के मंच पर बीच की सीट पर विराजमान होते ही प्रणब मुखर्जी विधिवत महामहिम, देश के प्रथम नागरिक बन गए। राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले अभिभाषण में उन्होंने देश में भ्रष्टाचार और गरीबी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर प्रहार किया। उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी पद का भार व्यक्ति के सपनों पर भारी पड़ जाता है। समाचार सदैव खुशनुमा नहीं होते। भ्रष्टाचार ऐसी बुराई है जो देश की मनोदशा में निराशा भर सकती है और इसकी प्रगति को बाधित कर सकती है। हम कुछ लोगों के लालच के कारण अपनी प्रगति की बलि नहीं दे सकते।’ उन्होंने देश के शब्दकोष से गरीबी जैसे शब्द को हटाने का आह्वान किया। शपथ ग्रहण समारोह सुबह 11.30 बजे शुरू हुआ था। इससे पहले राष्ट्रपति भवन से निर्वाचित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और निवर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का काफिला जुलूस के तौर पर संसद भवन पहुंचा। संसद भवन में उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और मुख्य न्यायाधीश कपाड़िया ने उनकी अगवानी की। उनके मंच पर विराजमान होने के बाद गृहसचिव ने कार्यक्रम शुरू किया। खास बात यह है कि गृहसचिव ने कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति तो प्रतिभा पाटिल से ली, लेकिन समाप्त करने की अनुमति प्रणब मुखर्जी से। महामहिम के तौर पर प्रणब का पहला आदेश अपनी नियुक्त को गजट में प्रकाशित करने को लेकर था। प्रणब मुखर्जी की पत्नी शुभ्रा व्हील चेयर में बैठकर आई थीं। पश्चिम बंगाल से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा सिने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भी समारोह में मौजूद थे। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, महासचिव राहुल गांधी, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत विभिन्न दलों के प्रमुख नेता, कई राज्यों के राज्यपाल व मुख्यमंत्री भी मौजूद थे। प्रथम नागरिक देश के महान इतिहास में बुधवार को नया अध्याय जुड़ा जब प्रणब मुखर्जी ने 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इस समारोह में परंपरा और आधुनिकता दोनों अपने भव्य रूप में नजर आईं। कुछ दिनों पहले तक राजनेता के रूप में नजर आने वाले महामहिम प्रणब के नए रूप ने सभी को आकर्षित किया। राष्ट्रपति पद की शपथ लेने बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। दादा की चिंता 1. गरीबी : गरीबी के अभिशाप को खत्म करना होगा। भूख से बड़ा अपमान कोई नहीं है। हमारा विकास तभी सच्चा है, जब गरीब को भी लगे कि वह तेजी से उभरते भारत की कहानी का हिस्सा है। 2. शिक्षा : शिक्षा वह मंत्र है जो कि भारत में अगला स्वर्ण युग ला सकता है। देश के हर कोने में शिक्षा को पहुंचाना चुनौती है। हमारा ध्येय वाक्य स्पष्ट है, ज्ञान के लिए सब और ज्ञान सबके लिए। 3. आतंकवाद : आतंकवाद चौथा विश्वयुद्ध है, जिससे पूरी दुनिया जूझ रही है। जब दुनिया को इसकी भयावहता का अंदाजा भी नहीं था, तब भारत इससे जूझ रहा था। इसे खत्म करना ही होगा। 4. सामाजिक बराबरी : हमारे विकास का कारण है लोकतंत्र में जनता की संपूर्ण भागीदारी। मैं ऐसे भारत की कल्पना करता हूं जहां सबका कल्याण हो। जहां हर क्रांति सकारात्मक क्रांति हो। 5. युवाओं को अवसर : हमारे सामने युवाओं के लिए ऐसे अवसर पैदा करने की चुनौती है, जिससे वे देश को तीव्र गति से आगे जाएं। युवा अपनी असाधारण ऊर्जा तथा प्रतिभा को सामूहिक लक्ष्य के लिए प्रयोग करें। अमिता पॉल राष्ट्रपति की सचिव नियुक्त लंबे समय से प्रणब मुखर्जी की सहयोगी के रूप में कार्य करने वाली अमिता पॉल को राष्ट्रपति का सचिव नियुक्त किया गया है। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट्स कमेटी ने बुधवार को इस नियुक्ति को अनुबंध के आधार पर स्वीकृति दी। राष्ट्रपति के कार्यकाल के साथ ही उनका कार्यकाल चलेगा या समाप्त होगा। भारतीय सूचना सेवाओं में कार्यरत पॉल 1990 के दशक से प्रणब के साथ हैं, जब वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष, वित्त और विदेश मंत्री रहे थे। 2004 से जब वह रक्षा, विदेश और वित्त मंत्री पदों पर रहे, तो पॉल उनकी सलाहकार नियुक्त हुईं। इस बीच 2009 में पॉल केंद्रीय सूचना आयोग में थोड़े समय के लिए सूचना आयुक्त के पद पर भी रहीं। |
26 जुल॰ 2012
भ्रष्टाचार से देश मायूस: प्रणब मुखर्जी
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