नई दिल्ली, 6 जुलाई।
12वीं योजना के तहत आए मुफ्त दवा वितरण के प्रस्ताव में 20 हजार करोड़ रुपये केंद्र खर्च करेगा, जबकि सात हजार करोड़ रुपये राज्य सरकारें खर्च करेंगी। सूत्रों के अनुसार सरकार ने पिछले साल ही इस परियोजना को हरी झंडी दिखा थी, लेकिन इसका प्रचार नहीं किया गया था। अब हाल में इस परियोजना से संबंधित प्राथमिक राशि जारी की गई है।
भारतीय फार्मा इंडस्ट्री ने सरकार के इस कदम की सराहना की है। इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस के महासचिव डीजी सिंह ने कहा है कि उनका संगठन सरकार द्वारा समाज के जरूरतमंद लोगों के हित में उठाए गए कदम का समर्थन करता है। सरकार के इस कदम से देश के 1.10 लाख करोड़ के घरेलू दवा उद्योग को लाभ होगा। इससे न केवल देश में उसका कारोबार बढ़ेगा, बल्कि निर्यात भी बढ़ेगा।
27 हजार करोड़ होंगे खर्च, केन्द्र और राज्य मिलकर करेंगे
केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों के सहयोग से देश के करोड़ों लोगों तक मुफ्त दवाएं पहुंचाने की योजना बनाई है। इसके लिए वह 27 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में मुफ्त
जेनेरिक दवाओं का वितरण किया जाएगा। ग्रामीण तथा शहरी सरकारी अस्पतालों में
जेनेरिक दवाओं के काउंटर बनेंगे और कोई भी व्यक्ति डॉक्टर की पर्ची दिखा
कर ये दवाएं नि:शुल्क ले सकेगा। जेनेरिक दवाएं गैर-पेटेंट दवाएं होती हैं,
जो कंपनियों की महंगी पेटेंट दवाओं के मुकाबले बेहद किफायती होती हैं।
सरकार की योजना के अनुसार डॉक्टरों को सिर्फ जेनेरिक दवाएं लिखने के
निर्देश दिए जाएंगे। ब्रांडेड दवाएं लिखने वाले डॉक्टरों को सजा का
प्रावधान रहेगा। यह कदम उन दवा उत्पादक कंपनियों के लिए निराशाजनक है, जो
भारत को बड़े बाजार के रूप में देखती हैं और अपनी दवाओं के प्रचार-प्रसार
में करोड़ों रुपये खर्च करती हैं।12वीं योजना के तहत आए मुफ्त दवा वितरण के प्रस्ताव में 20 हजार करोड़ रुपये केंद्र खर्च करेगा, जबकि सात हजार करोड़ रुपये राज्य सरकारें खर्च करेंगी। सूत्रों के अनुसार सरकार ने पिछले साल ही इस परियोजना को हरी झंडी दिखा थी, लेकिन इसका प्रचार नहीं किया गया था। अब हाल में इस परियोजना से संबंधित प्राथमिक राशि जारी की गई है।
भारतीय फार्मा इंडस्ट्री ने सरकार के इस कदम की सराहना की है। इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस के महासचिव डीजी सिंह ने कहा है कि उनका संगठन सरकार द्वारा समाज के जरूरतमंद लोगों के हित में उठाए गए कदम का समर्थन करता है। सरकार के इस कदम से देश के 1.10 लाख करोड़ के घरेलू दवा उद्योग को लाभ होगा। इससे न केवल देश में उसका कारोबार बढ़ेगा, बल्कि निर्यात भी बढ़ेगा।
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