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4 फ़र॰ 2013

'माया' का आनंद 757 करोड़ का


प्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती लाख कहें कि उन्होंने या उनके परिवार के किसी सदस्य ने या उनके किसी राजनीतिक सहयोगियों ने पिछले 5 वर्षों के दौरान जब प्रदेश में बसपा की सरकार थी तब कोई भी आर्थिक लाभ नहीं उठाया, यह बात सही नहीं है।

जानकारी सामने है कि मायावती के छोटे भाई आनंद की कंपनियों के खातों में हजारों करोड़ के नकद वित्तीय लेनदेन हुआ था। इस धनराशि का स्रोत स्त्रोत क्या है! स्पष्ट नहीं है यह जानने के लिए देश के प्रवर्तन निदेशालय ने मायावती के भाई आनंद की कंपनियों की जांच शुरू कर दी है। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने उजागर की है।

कंपनी मामलों के रजिस्ट्रार के समक्ष फाइल किए गए कागजातों में यह बात सामने आई है कि मायावती के भाई आनंद की कंपनियों द्वारा साधारण व्यापार किया गया, किन्तु 2007 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार और मायावती के मुख्‍यमंत्री बनते ही अन्य कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर वित्तीय लेनदेन किया गया।
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव किरीट सोमैया के हवाले से अब यह बात उजागर हो गई है कि पूर्व मुख्‍यमंत्री के भाई आनंद कुमार की कंपनियों में हजारों करोड़ का वित्तीय लेनदेन हुआ है। उनका दावा है कि मायावती के भाई आनंद कुमार की सात कंपनियों को 2007-2012 के दौरान 5 वर्ष में करीब 757 करोड़ मिले जब मायावती सत्ता में थीं। 

भाजपा ने मायावती सरकार के घोटालों को वर्ष 2011 में ही उजागर कर दिया था। भाजपा ने देश के राष्ट्रपति को 13 जुलाई 2011 को ही विस्तृत ज्ञापन सौंपकर संबधित साक्ष्य सौंप दिए थे। भाजपा ने 28 जुलाई 2011 को ही मायावती के भाई आनंद कुमार की बोगस कंपनियों की जानकारी उजागर कर दी थी। भाजपा नेताओं विशेषकर किरीट सोमैया ने 30 दिसम्बर 2011 को ही व्यक्तिगत रूप से सीबीआई मुख्‍यालय में अधिकारियों से मिलकर शिकायत दर्ज कराई थी और मायावती के भाई आनंद कुमार की 300 बोगस कंपनी के साक्ष्य उपलब्ध कराए थे। 
भारतीय जनता पार्टी ने 2011 में विधानसभा चुनाव के दौरान विभिन्न अधिकारियों को यह रिपोर्ट सौंपी थी कि आनंद कुमार ने 76 कंपनियां चालू कर रखी हैं और अवैध कामों के लिए रखे हुए कालेधन को सफेद बनाकर आय से अधिक सम्पत्ति बना रहे हैं।
भाजपा का आरोप था कि आनंद की इन कंपनियों ने टैक्स हैवन में शामिल कंपनियों में निवेश किया है। यह भी कहा गया था कि मुख्‍यमंत्री के साथ उनके संबधों का गलत और गैर कानूनी तरीके से फायदा उठाया जा रहा है। 


आनंद की कंपनियों में गोपनीय और अज्ञात सम्पत्ति की बिक्री से प्राप्त लाभ और झूठी कंपनियों की बढ़ी हुई दरों पर शेयरों की बिक्री सहित ऐसी नकदी का प्रवेश हुआ है जो अभी रहस्य बनी हुई है। आनंद कुमार की घाटे में चल रही कंपनी द्वारा तीसरे पक्ष से अनिर्दिष्ट सेवाओं के लिए एडवांस लेने वाले राबर्ट वाड्रा मामले जैसी प्रक्रिया अपनाई गई है।

उल्लेखनीय है कि 37 वर्षीय आनंद कुमार पहले नोयडा अथॉरिटी में क्लर्क थे। आनंद कुमार की सबसे पुरानी कम्पनी होटल लाइब्रेरी क्लब प्रालि है, जिसका अस्तित्‍व 1987 में आया था जिसके द्वारा होटल शेल्टन मंसूरी में चलता था। इस कंपनी की शेयर पूंजी 24 लाख थी। इस कंपनी के मालिक आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्रलता थीं। वर्ष 2007-08 में होटल व्यापार से उनकी आय 25 लाख थी।

वर्ष 2011-12 में इस कंपनी ने 80 लाख का घाटा प्रदर्शित किया किन्तु कंपनी ने 152 करोड़ गोपनीय निवेश की बिक्री से प्राप्त किए। पिछले 5 वर्षों में इस कंपनी ने नकद 346 करोड़ इसी प्रकार गोपनीय निवेश की बिक्री से प्राप्त किए। भारत के कम्पनी मामलों के रजिस्ट्रार के समक्ष यह विवरण उजागर नहीं किया गया है कि असल में निवेश क्या था और इनकी बिक्री किसको की गई थी? 

प्रश्न यह है कि आनंद कुमार की कंपनियों द्वारा प्राप्त इस धनराशि के आय का स्त्रोत क्या है। एक लाख के निवेश पर जो भारी लाभांश स्वीकार किया गया, वह कैसे और क्यों प्राप्त किया गया? 

बसपा प्रमुख को और भी कई सवालों का सामना करना होगा। उनके जवाब देने होंगे। बहुजन समाज पार्टी केन्द्र में यूपीए सरकार की सहयोगी है। मल्टी ब्राण्ड रिटेल में एफडीआई पर बहस के दौरान मायावती के पैंतरे देख चुके हैं। 

अब भाजपा ने मायावती के भाई आनंद कुमार की कंपनियों पर लगे आरोपों की वित्त मंत्रालय से जांच की मांग की है और कहा कि वित्त मंत्रालय इन कंपनियों को नोटिस दे। आनंद कुमार की कंपनियों के कार्यक्षेत्र की जांच कराई जाए। कम्पनी मामलों के मंत्रालय को चाहिए कि वह इन कंपनियों के कागजों की तलाशी ले और उन्हें जब्त कर ले।

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