गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी में राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की राय भी बहुत मायने रखती हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं हैं, राजग शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी मोदी के बारे में अब तक अपनी राय जाहिर नहीं की है। ऐसे में नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी की कितनी संभावना है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
भाजपा नीत राजग गठबंधन फिलहाल गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक पंजाब और गोवा में सत्ता में है। इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी के धुर विरोधी है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के रूप में उनकी पहली पसंद अरुण जेटली हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बारे में अब तक कोई राय नहीं बन पाई है। वे खुद भी प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल हैं। मोदी पर मचे घमासान को देखते हुए ऐसी भी संभावना है कि अंतिम समय में पीएम उम्मीदवार के रूप में उनका नाम उभर कर सामने आ जाए।
मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह व अकाली दल मोदी के पक्ष में है। एनडीए का विस्तार करने के लिए भाजपा की जिन दलों पर नजर है उनमें जयललिता की अन्नाद्रमुक और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस है। जयललिता मोदी को समर्थन दे सकती है लेकिन ममता बनर्जी सेक्यूलरिज्म के नाम पर मोदी के खिलाफ ही रहेंगी।
राजग के अन्य सहयोगी दलों में शिवसेना सुषमा स्वराज के पक्ष में अपनी राय जाहिर कर चुकी है। हरियाणा में भाजपा की सहयोगी हरियाणा जनहित कांग्रेस भी सुषमा के साथ रहेगी, जबकि टीडीपी व तेलंगाना राष्ट्र समिति के लिए भी मोदी के नाम पर सहमत होना आसान नहीं होगा।
बहरहाल, आगामी लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में जुटी भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता की कमी खल रही है, जो एनडीए के सर्वमान्य नेता थे। भाजपा मानती है कि आज का एनडीए 1996 के एनडीए से काफी अलग है। आज इसमें केवल सात दल हैं। साथ ही वाजपेयी जैसा नेता भी नहीं है।
ऐसे में अगर चुनाव बाद केंद्र में एनडीए की सरकार बनने की संभावना बनी तो राजग के घटक दल भाजपा की बजाए नेताओं के नाम पर समर्थन देंगे। मोदी के नाम पर कांग्रेस को शिकस्त देने की रणनीति पर काम कर रही भाजपा भी जानती है कि उनका पीएम तभी बन सकता है जब वह अकेले दम पर 150-160 सांसदों का आंकड़ा पार कर ले। इतनी संख्या जुटाने के बाद एनडीए का कारवां भी बढ़ जाएगा।
भाजपा नीत राजग गठबंधन फिलहाल गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक पंजाब और गोवा में सत्ता में है। इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी के धुर विरोधी है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के रूप में उनकी पहली पसंद अरुण जेटली हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बारे में अब तक कोई राय नहीं बन पाई है। वे खुद भी प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल हैं। मोदी पर मचे घमासान को देखते हुए ऐसी भी संभावना है कि अंतिम समय में पीएम उम्मीदवार के रूप में उनका नाम उभर कर सामने आ जाए।
मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह व अकाली दल मोदी के पक्ष में है। एनडीए का विस्तार करने के लिए भाजपा की जिन दलों पर नजर है उनमें जयललिता की अन्नाद्रमुक और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस है। जयललिता मोदी को समर्थन दे सकती है लेकिन ममता बनर्जी सेक्यूलरिज्म के नाम पर मोदी के खिलाफ ही रहेंगी।
राजग के अन्य सहयोगी दलों में शिवसेना सुषमा स्वराज के पक्ष में अपनी राय जाहिर कर चुकी है। हरियाणा में भाजपा की सहयोगी हरियाणा जनहित कांग्रेस भी सुषमा के साथ रहेगी, जबकि टीडीपी व तेलंगाना राष्ट्र समिति के लिए भी मोदी के नाम पर सहमत होना आसान नहीं होगा।
बहरहाल, आगामी लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में जुटी भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता की कमी खल रही है, जो एनडीए के सर्वमान्य नेता थे। भाजपा मानती है कि आज का एनडीए 1996 के एनडीए से काफी अलग है। आज इसमें केवल सात दल हैं। साथ ही वाजपेयी जैसा नेता भी नहीं है।
ऐसे में अगर चुनाव बाद केंद्र में एनडीए की सरकार बनने की संभावना बनी तो राजग के घटक दल भाजपा की बजाए नेताओं के नाम पर समर्थन देंगे। मोदी के नाम पर कांग्रेस को शिकस्त देने की रणनीति पर काम कर रही भाजपा भी जानती है कि उनका पीएम तभी बन सकता है जब वह अकेले दम पर 150-160 सांसदों का आंकड़ा पार कर ले। इतनी संख्या जुटाने के बाद एनडीए का कारवां भी बढ़ जाएगा।
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