नई दिल्ली।
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार को फिर एक बड़ी गलती कर
दी। शिंदे ने राज्यसभा में महाराष्ट्र के भंडारा रेप केस पर बयान देते हुए
तीनों नाबालिग पीड़िताओं का नाम ले लिया। इस पर नेता विपक्ष अरुण जेटली ने
आपत्ति जताई और विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। इसके बाद राज्यसभा उपसभापति
ने इसे कार्रवाई से हटा दिया।
वहीं भाजपा नेता अरुण जेटली की जासूसी में खुद पार्टी के नेता फंसते
नजर आ रहे हैं। अनुराग सिंह नाम के जिस जासूस को पुलिस ने गिरफ्तार किया
है, उसके संबंध भाजपा नेता सुधांशु मित्तल से भी हैं। खुद, सुधांशु
मित्तल ने भी इस बात को माना है कि वह अनुराग को लंबे वक्त से जानते हैं।
सूत्रों के अनुसार, मुख्य आरोपी अनुराग सिंह के कई नेताओं के साथ भी करीबी
संबंध रहे हैं। सुधांशु मित्तल पर वर्ष 1991, 1996 और 1998 के चुनाव में
पार्टी विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने का भी आरोप लग चुका है। सुधांशु
मित्तल का अरुण जेटली से रिश्ता अच्छा नहीं रहा है।
सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को बीजेपी की एक बैठक में अरुण जेटली ने
इस बात पर नाराजगी जताई कि जब एक कारोबारी और बीजेपी के नेता का नाम (इशारा
सुधांशु मित्तल की तरफ समझा जा रहा है) आ रहा है तो पार्टी के कुछ नेता
उसकी तरफदारी में क्यों जुटे हुए हैं।
शुक्रवार को यह मुद्दा राज्यसभा में भी गूंजा। केंद्रीय गृह मंत्री
सुशील कुमार शिंदे ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर अपने बयान में कहा, 'इस
मामले में फोन टेपिंग नहीं बल्कि कॉल रिकॉर्ड हासिल किए गए थे। पांच मोबाइल
फोन के कॉल रिकॉर्ड निकाले गए थे। हमने एयरटेल अधिकारियों से जवाब मांगा
है। अरविंद डबास ने एसीपी के ई-मेल आईडी का इस्तेमाल कॉल रिकॉर्ड हासिल
करने के लिए किया था। यह बात भी पता चली है कि अरविंद डबास 1500 रुपये में
नीरज को कॉल डिटेल देता था।'
लेकिन गृह मंत्री के बयान से सदन के कई नेता असंतुष्ट रहे। बीजेपी
नेता वैंकेया नायडू ने आरोप लगाया कि सरकार जासूसी केस को हल्के में ले रही
है। नायडू ने पूछा कि सरकार क्या छिपा रही है? बीजेपी के प्रवक्ता और
राज्यसभा सांसद रविशंकर प्रसाद ने पूछा कि क्या जासूसी एजेंसी ने सरकार से
इजाजत ली थी? क्या कोई सरकारी एजेंसी भी जासूसी में शामिल थी? रविशंकर
प्रसाद ने यह भी पूछा कि प्राइवेट व्यक्तियों के हाथों में टेप रिकॉर्ड
करने वाले यंत्र कैसे गए? बीजेपी के अलावा सपा नेता रामगोपाल ने कहा,
'गृहमंत्री का बयान आधा अधूरा है। किनकी कॉल डिटेल मांगी गई थी, गृहमंत्री
ने उनका नाम नहीं बताया। गृह मंत्री जी आपने कोई नहीं जानकारी नहीं दी।
आपसे ज्यादा जानकारी तो मीडिया से मिल रही है। फोन टेपिंग के लिए राज्यसभा
के सभापति की अनुमति होनी चाहिए। दोनों सदनों के करीब सौ नेताओं के नाम
सामने आ रहे हैं, जिनके फोन कॉल डिटेल हासिल किए गए हैं या फोन टेप किए गए
हैं।' सपा नेता रामगोपाल ने गृहमंत्री से यह भी जवाब मांगा कि एक कांस्टेबल
को राजनीतिक नेता के कॉल डिटेल की जरूरत क्यों होगी? इसके घटना के पीछे
कौन है? सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी दावा किया कि उनका फोन कॉल भी
टेप किया जा रहा है।
सुशील कुमार शिंदे ने राज्यसभा में नेताओं के सवालों की बौछार के बाद
जवाब देते हुए कहा, 'भारत सरकार किसी भी सांसद को फोन टेप नहीं कर रही है।
सरकार ने किसी भी नेता के फोन कॉल के रिकॉर्डिंग की मांग नहीं की थी।
सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्डिंग) के बारे में कोई कानून नहीं है। इस मामले
में अभी तक सिर्फ शुरुआती जांच हुई है।' गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने
कहा कि जिनका कॉल डिटेल निकालवाने की कोशश की गई थी वह ( अरुण जेटली) आसान
आदमी नहीं है। जब सांसदों ने गृहमंत्री की 'आसान आदमी' की टिप्पणी पर चुटकी
ली तो उन्होंने जोर देते हुए कहा, 'मेरा आसान आदमी कहने के पीछे आशय
साधारण आदमी से था।' इस दौरान सदन में विपक्ष के नेता अरुण जेटली मुस्कराते
हुए नजर आए।
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